गोरखपुर में मधुमेह के लिए आयुर्वेदिक दवा मधुमेहारी तैयार:10 जड़ी-बूटियों से बनी औषधि, शुगर के साथ अन्य जटिलताएं भी करेगी दूर

गोरखपुर के महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की फार्मेसी में मधुमेह रोगियों के लिए हर्बल औषधि ‘मधुमेहारी’ तैयार की जा रही है। कुलपति डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी के शोध पर आधारित यह औषधि दस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह औषधि शुगर के मरीजों के लिए प्रभावी उपचार साबित हो सकती है। कुलपति डॉ. रेड्डी ने बताया कि तेजी से बदलती जीवनशैली के कारण मधुमेह के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आयुर्वेद में इसके समाधान मौजूद हैं और इसी दिशा में ‘मधुमेहारी’ औषधि का निर्माण किया गया है। यह औषधि ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के साथ हृदय रोग, किडनी की समस्या और आंखों की बीमारियों जैसी जटिलताओं को रोकने में भी मददगार होगी। दस जड़ी-बूटियों का है मिश्रण
‘मधुमेहारी’ में गुड़मार, जामुन की गुठली, नीम बीज, हरितकी बीज, सौंफ, हल्दी, आम्र की गुठली, बबूल फली, विजयसार और करेला बराबर मात्रा में पीसकर मिलाए जाते हैं। फिलहाल फार्मेसी में तीन क्विंटल से अधिक करेला काटकर सुखाया जा चुका है। इसे औषधि निर्माण में प्रमुख घटक के रूप में प्रयोग किया जाएगा। आयुर्वेद चिकित्सक रमाकांत द्विवेदी ने बताया कि यह औषधि पूरी तरह सुरक्षित और किफायती होगी। इसके नियमित सेवन से बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना और लगातार थकान जैसी आम समस्याओं में राहत मिलेगी। चिकित्सकों के अनुसार यह दवा मरीजों के लिए सुलभ और असरदार उपचार का विकल्प देगी। निर्माण में टीम का योगदान
फार्मेसी में औषधि तैयार करने की प्रक्रिया में राजेंद्र कुमार और मनीष कुमार की अहम भूमिका है। विश्वविद्यालय के चिकित्सकों का कहना है कि कुलपति के शोध पर आधारित यह ‘मधुमेहारी’ ओपीडी में आने वाले मधुमेह रोगियों के लिए एक बड़ा सहारा साबित होगी। औषधि के व्यावहारिक उपयोग के बाद इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भी तैयार किया जाएगा।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर