गोरखपुर चिड़ियाघर में मिर्गी से हुई बब्बर शेर की मौत:इटावा लायन सफारी से लाया गया था, 4 डॉक्टरों ने किया पोस्टमॉर्टम

गोरखपुर चिड़ियाघर में इटावा लायन सफारी से लाए गए बब्बर शेर भरत की रविवार को मौत हो गई। लगभग एक साल पहले गोरखपुर लाया गया भरत सुबह अचानक बीमार हो गया और नाइटसेल में गिर पड़ा। कीपरों ने तुरंत डॉक्टरों को सूचना दी। चिकित्सकों ने इलाज शुरू किया, लेकिन शाम करीब चार बजे शेर ने दम तोड़ दिया। भद्रता के अनुसार, सुबह भरत को सांस लेने में कठिनाई हुई। डॉक्टरों ने दोपहर तक उसकी सांस को सामान्य करने का प्रयास किया और थोड़ी देर के लिए स्थिति स्थिर हुई। लेकिन फिर उसकी हालत फिर बिगड़ गई। डॉक्टर और कीपरों की टीम ने इलाज जारी रखा, लेकिन शेर को बचाया नहीं जा सका। मई में भी आया था मिर्गी का दौरा
भरत को मई में भी मिर्गी का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उसका इलाज और निगरानी लगातार की जा रही थी। चिड़ियाघर के अस्पताल में इटावा लायन सफारी के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. आरके सिंह के नेतृत्व में चार डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमॉर्टम किया। पोस्टमॉर्टम में पाया गया कि फेफड़ों और मस्तिष्क में कंजेशन था और हृदय की झिल्ली में तरल पदार्थ जमा था। मृत्यु का प्राथमिक कारण कार्डियो-रेस्पिरेटरी फेल्योर बताया गया, जो मिर्गी (एपिलेप्सी) के कारण हुआ। डॉक्टरों ने भरत का विसरा सुरक्षित कर लिया और शव का दाह संस्कार अस्पताल परिसर स्थित शवदाह गृह में किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी मौके पर नहीं थे
भरत की मौत के समय गोरखपुर चिड़ियाघर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह चित्रकूट वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर में तकनीकी सहायता दे रहे थे। जैसे ही उन्हें जानकारी मिली, वे गोरखपुर के लिए रवाना हुए, लेकिन शेर की मौत उनके आने से पहले हो चुकी थी। भरत और गौरी को CM ने बाड़े में छोड़ा था
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति के बाद भरत और शेरनी गौरी को 24 मई 2024 को गोरखपुर लाया गया। क्वारैंटाइन अवधि पूरी होने के बाद जून 2024 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों को बाड़े में छोड़ा। भरत की उम्र लगभग सात वर्ष थी। इटावा लायन सफारी से भरत और गौरी को लाने के फैसले पर राजनीतिक विवाद भी उठाया गया था। समाजवादी पार्टी ने इसे इटावा के पर्यटन और रोजगार पर असर डालने वाला बताया। वहीं राज्य सरकार और वन विभाग ने सफाई दी कि यह सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें चिड़िया घरों के बीच प्रजातियों का आदान-प्रदान होता है। पर्यटकों के बीच लोकप्रिय थे भरत और गौरी
भरत और गौरी ने गोरखपुर चिड़ियाघर में आते ही पर्यटकों का दिल जीत लिया था। दोनों शेरों की गतिविधियां, खेलना और पर्यटकों के साथ इंट्रैक्शन हमेशा चर्चित रही हैं। गौरी अकेली रहे गई
भरत के निधन के बाद गौरी अकेली रह गई है। सूत्रों के अनुसार, भरत के जाने के बाद से गौरी काफी उदास और सुस्त नजर आ रही है और उसने खाना भी नहीं खाया। चिड़ियाघर स्टाफ उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है। इस साल चिड़ियाघर में पहले भी हुई जानवरों की मौत
इस साल गोरखपुर चिड़ियाघर में भरत से पहले पांच जानवरों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च-पीलीभीत से रेस्क्यू किए गए बाघ केसरी
5 मई-मादा भेड़िया भैरवी
7 मई-बाघिन शक्ति
8 मई-तेंदुआ मोना
23 मई-कॉकाटील चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव ने बताया कि रविवार की सुबह अचानक भरत की तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन शेर ने दम तोड़ दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मिर्गी से मौत की पुष्टि हुई।

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