गोरखपुर चिड़ियाघर में नन्हा शावक मां से नहीं मिल सकता:20 दिन पहले आई बाघिन से जान का खतरा, सेहत और व्यवहार पर है 24 घंटे निगरानी
एक मां अपने बच्चे के पास है, लेकिन उसे छू नहीं सकती। एक बेटा अपनी मां की खुशबू पहचानता है, पर उसके करीब नहीं जा सकता। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि गोरखपुर चिड़ियाघर में एक सच्चा, दर्दभरा दृश्य है। जहां सीतापुर से लाए गए बाघिन और उसके नर शावक अब एक ही जगह हैं, पर मिलने की इजाजत नहीं है। दरअसल, सीतापुर के महोली क्षेत्र के नरनी गांव में दो हफ्ते पहले यह शावक अपनी मां से बिछड़ गया था। मां बाघिन को वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर लिया। फिर उसे गोरखपुर लाया गया। इस बीच वन विभाग की टीम शावकों की तलाश जारी रखी। काफी दिनों की तलाश के बाद गुरुवार देर रात एक शावक को सुरक्षित रेस्क्यू किया और गोरखपुर चिड़ियाघर पहुंचाया। अधिकारियों ने पुष्टि की कि यही वही शावक है जिसकी मां बाघिन, पहले से इसी चिड़ियाघर में रह रही है। मगर दो हफ्ते की दूरी अब उनके बीच एक ऐसी दीवार बन गई है, जिसे तोड़ना फिलहाल असंभव है। मां-बेटे के बीच अब एक दीवार चिड़ियाघर प्रशासन ने दोनों को मिलने की अनुमति नहीं दी है। चिड़ियाघर के निदेशक एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि इतने लंबे समय के बाद बाघिन अपने शावक को पहचान नहीं पाएगी। ऐसे में वह उसे खतरा समझकर हमला कर सकती है और यह मुलाकात, जो प्यार की होनी थी, जानलेवा बन सकती है। यही वजह है कि अब मां-बेटे एक ही चिड़ियाघर में होते हुए भी एक-दूसरे से मिल नहीं सकते। आइसोलेशन वार्ड में शावक की कड़ी निगरानी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि शावक को फिलहाल आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। उसका वजन करीब 55 से 60 किलो है और वह पूरी तरह स्वस्थ है। हालांकि, जंगल से लाए जाने के कारण उसका व्यवहार बेहद आक्रामक है। उन्होंने कहा कि हम शावक की सेहत और व्यवहार दोनों पर चौबीसों घंटे निगरानी रख रहे हैं। उसे सुरक्षित माहौल देना हमारी पहली प्राथमिकता है।
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