गोरखपुर के पुरुष सबसे ज्यादा घरेलू काम करते:लखनऊ वाले हैं सबसे पीछे; पत्नी के पीरियड के समय भी हाथ नहीं बंटाते
पुरुष घर में कितना हाथ बंटाते हैं? इस पर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। एक पुरुष औसत 11 मिनट घरेलू काम करता है। इस सर्वे में यूपी के 3 शहर हैं, जहां के पुरुष घर का काम ज्यादा करते हैं। यह रिपोर्ट सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के यूपी और देश के दूसरे राज्यों में साढ़े 5 साल तक किए गए सर्वे में आई। एनजीओ ने यह सर्वे ‘गृह साथी कार्य’ नाम से किया है। सर्वे में कुल 13,400 पुरुष-महिलाओं ने हिस्सा लिया। पढ़िए यूपी के वो किन शहरों के पुरुष हैं, जाे सबसे ज्यादा घरेलू काम करते हैं? सबसे कम कहां के पुरुष करते हैं? जब पत्नी को जरूरत होती है, तब कितना किचन में काम करते हैं? पहले जानिए सर्वे में पुरुषों से पूछे गए सवाल महिलाओं के पीरियड (माहवारी) का दर्द नहीं समझते
सेल्फी विद डॉटर के फाउंडर प्रो. सुनील जागलान बताते हैं- महिलाओं के पीरियड (मासिक धर्म) के दौरान भी पुरुष अक्सर घरेलू कामों में मदद नहीं करते। वे महिलाओं के दर्द और तकलीफ को समझने में असमर्थ रहते हैं। इस सर्वे में यह भी सामने आया कि कई महिलाएं महसूस करती हैं, पुरुषों के लिए उनका घरेलू काम केवल “उनकी ड्यूटी” नहीं है। बाहर जाकर पुरुष अपने काम से जुड़े रहते हैं, जबकि महिलाओं को घर और बाहर दोनों जगह खुद काम करना पड़ता है। नोएडा की कुछ वर्किंग महिलाओं ने बताया कि अगर वे जॉब करती हैं, तो उन्हें घर और ऑफिस दोनों जगह के काम खुद ही संभालने पड़ते हैं। जब एक ही जगह काम करने वाले कपल से सवाल किए गए, तो पुरुष पार्टनर ने कहा कि उन्हें कभी इस बारे में सोचना ही नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, “हमने कभी किसी को घरेलू काम करते नहीं देखा और ना ही इसके बारे में सुना। इसलिए हम सिर्फ अपना ही काम करते हैं।” सर्वे से साफ हुआ कि पुरुषों के बीच घरेलू काम को लेकर बात नहीं होती। इस वजह से ‘गृह कार्य साथी’ जैसे कार्यक्रम की जरूरत है। सुनील जागलान बताते हैं कि हम गृह साथी कार्य को वैल्यू एडिशन कोर्स के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इससे महिलाओं पर घरेलू काम का अतिरिक्त दबाव कम होगा और उनके जीवन में संतुलन और खुशी आएगी। 5 साल चले सर्वे में 2500 महिलाएं भी शामिल
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन ने कुल 5 साल 6 महीने तक एक व्यापक सर्वेक्षण किया। इस दौरान 7,000 से अधिक लड़कों और पुरुषों को शामिल किया गया। जिनकी उम्र 14 से लेकर 70 साल तक थी। यह सर्वे बेसलाइन सर्वे के रूप में किया गया, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया। इसमें ऑनलाइन करीब 4,000 लोग शामिल हुए। जबकि ऑफलाइन लगभग 70 हजार पुरुष और लड़के शामिल हुए। सर्वे में साथ ही लगभग 2,500 महिलाएं और लड़कियां भी शामिल हुईं। उनका उद्देश्य यह समझना था कि उनके घर के लड़के और पुरुष गृहकार्य में कितने भागीदार हैं? यूपी के किस शहर में कितनी देर घरेलू काम करते हैं पुरुष
सर्वे में सामने आया कि घर के कामकाज में महिलाओं के साथ गोरखपुर के पुरुष सबसे ज्यादा वक्त बिताते हैं। उसके बाद नोएडा के पुरुष। वहीं, अगर सबसे कम काम करने की टाइमिंग की बात करें, तो 7 मिनट है। जो यूपी के कई शहरों की है। यानी 7 मिनट तक पुरुष घरेलू कामकाज में हाथ बंटाते हैं। अभियान का उद्देश्य पुरुष भी करें घरेलू काम
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस भी हैं। हाल ही में उन्होंने ‘गाली बंद घर’ अभियान चलाया था। कहते हैं- गृह कार्य साथी अभियान के तहत लोगों को घरेलू कामों के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए पोस्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही इस अभियान में पुरुषों को छोटे-छोटे घरेलू कामों के लिए प्रेरित किया जाएगा… अब जानिए क्या कहती है सरकारी रिपोर्ट
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की टाइम यूज सर्वे- 2024 की रिपोर्ट बताती है कि बिना वेतन घरेलू कामों में महिलाएं रोजाना पुरुषों की तुलना में काफी ज्यादा समय बिताती हैं। सर्वे से पता चला कि घरेलू कामों में महिलाएं पुरुषों से 201 मिनट ज्यादा यानी 3 घंटे 21 मिनट ज्यादा समय देती हैं। जहां, पुरुष एक दिन में घरेलू कामों के लिए सिर्फ 88 मिनट देते हैं, वहीं महिलाएं 289 मिनट काम करती हैं। इस काम की उन्हें कोई सैलरी भी नहीं मिलती। इसी तरह बिना किसी वेतन के महिलाएं परिवार की देखभाल में रोजाना 137 मिनट देती हैं। वहीं, पुरुष सिर्फ 75 मिनट का समय देते हैं। इस तरह के बिना वेतन वाले काम में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 15-59 साल की महिलाओं की है। इन आंकड़ों के आधार पर मंत्रालय का कहना है कि यह भारतीय सामाजिक ताने-बाने की पुष्टि करता है। इसमें घर के सदस्यों की देखभाल की ज्यादातर जिम्मेदारियां महिलाएं उठाती हैं। घरेलू कामकाज को कम आंकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि हाउसवाइफ का काम उनके साथी द्वारा सैलरी पाने के बराबर है। कोर्ट में यह सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन ने गृहिणियों के मद्देनजर फैसला सुनाते हुए कहा कि परिवार की देखभाल करने वाली महिलाओं के योगदान का आकलन पैसों से नहीं किया जा सकता है। —————————– ये खबर भी पढ़ें… 7 महीने में 5 बार बॉयफ्रेंड संग भागी पत्नी, यूपी में 4 बच्चों संग नदी में कूदा, 12 KM दूर मिली बेटी की लाश यूपी के जिला शामली में 4 बच्चों को लेकर यमुना में कूदने वाला 38 साल का सलमान पत्नी की बेवफाई से बुरी तरह टूट चुका था। उसकी पत्नी 7 महीने में 5 बार अपने बॉयफ्रेंड संग भाग गई। करीब एक हफ्ते, तो कभी 10 दिन बद घर लौटकर आई। 4 बच्चों को पालने की खातिर सलमान चुपचाप सब सहता रहा। पत्नी को बार-बार समझाता रहा, लेकिन वो नहीं मानी। अब पांचवीं बार घर से भाग गई। तब सलमान के सब्र का बांध टूटा और उसने बच्चों के साथ जिंदगी खत्म कर ली। इस घर में अब सिर्फ सलमान का पिता और उनका छोटा बेटा बचे हैं। पूरा परिवार बर्बाद हो गया। सबको अफसोस है कि सलमान ने पत्नी को लेकर घर-परिवार में कभी कुछ नहीं बताया। अगर वो बताता, तो इस बेवफाई का हल जरूर निकलता। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर अफेयर से लेकर इस दर्दनाक अंत की पूरी कहानी समझी। दोनों पक्षों से अलग-अलग बात की। पढ़िए पूरी खबर…
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