गोबर से बनी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनीं पर्यावरण की मिसाल:प्रयागराज में इको-फ्रेंडली दीपावली के संदेश के साथ इको मूर्तियों की बढ़ी मांग
दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है, जहां रोशनी के साथ पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश भी छिपा है। इसी सोच को साकार कर रही हैं प्रयागराज की समाजसेवी आभा सिंह, जिन्होंने देशी गाय के गोबर से भगवान गणेश और लक्ष्मी की सुंदर मूर्तियां तैयार की हैं। न केवल मूर्तियां, बल्कि दीपावली में सजावट के लिए गोबर से बने दिए, धूपबत्तियां, झूमर और अन्य सजावटी वस्तुएं भी तैयार की जा रही हैं, जिससे यह त्योहार पूरी तरह “इको-फ्रेंडली” बन सके। आभा सिंह का कहना है कि गाय का गोबर पवित्र माना जाता है और इससे बने उत्पाद न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि पूरी तरह प्रदूषणमुक्त भी हैं। इन मूर्तियों को सालभर घर में रखकर पूजा जा सकता है और बाद में इन्हें गमलों में डालकर प्राकृतिक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उनका मानना है कि यही सच्ची प्लास्टिक मुक्त दीपावली है। आभा सिंह आशा रानी फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं और उन्होंने यह अनोखी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर की थी। उन्होंने कोरोना काल के दौरान करीब पांच साल पहले गाय के गोबर से मूर्तियां बनाने की शुरुआत की थी। आज उनके द्वारा तैयार की गई वस्तुएं न सिर्फ प्रयागराज में, बल्कि आगरा, फिरोजाबाद और वाराणसी जैसे शहरों में भी लोकप्रिय हो रही हैं। इस बार उन्होंने पान के पत्ते पर भगवान गणेश, दुर्गा मां और सूर्य भगवान की विशेष आकृतियां बनाईं हैं। साथ ही राम दरबार और रंग-बिरंगी सुगंधित मोमबत्तियां भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। स्थानीय दुकानदार भी इन गोबर से बने उत्पादों की जमकर सराहना कर रहे हैं और इन्हें दीपावली बाजारों में बेचने के लिए आगे आ रहे हैं। आभा सिंह का कहना है, जब देशी गाय के गोबर की पूजा की जाती है, तो क्यों न उसी गोबर से बने गणेश-लक्ष्मी की पूजा की जाए?” उनकी यह पहल न केवल पर्यावरण की रक्षा की दिशा में कदम है, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत्मनिर्भर भारत की भावना को भी सशक्त बना रही है।
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