गाजीपुर में किसान महासभा का दो दिवसीय राज्य सम्मेलन संपन्न:कृषि संकट के लिए मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार, कर्जमाफी और मुफ्त बिजली की उठाई मांग

गाजीपुर में किसान महासभा का दो दिवसीय राज्य सम्मेलन संपन्न हुआ। लंका मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में देश और प्रदेश में व्याप्त कृषि संकट की राजनीतिक चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। सम्मेलन ने मौजूदा कृषि संकट के लिए केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। सम्मेलन ने कृषि संकट की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अखिल भारतीय किसान महासभा को सभी किसान संघर्षों का क्रांतिकारी केंद्र बनाने का संकल्प लिया। इसमें प्रदेश के चालीस जिलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। राजनीतिक प्रस्तावों में भाजपा सरकार द्वारा किसानों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर आंदोलन को कमजोर करने के प्रयासों का पर्दाफाश करते हुए किसान मुद्दों पर संघर्ष तेज करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया गया। सम्मेलन ने मोदी सरकार से एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग की। प्रतिनिधियों ने बताया कि एमएसपी कानून न होने के कारण प्रदेश में धान की खरीद 1500-1600 रुपये में हो रही है, जबकि एमएसपी 2369 रुपये है। उन्होंने धान किसानों की लूट बंद करने और 2369 रुपये एमएसपी दिलाने की मांग की। महंगी बिजली के कारण किसानों और गरीबों पर बिजली बिलों का बकाया बढ़ गया है। सम्मेलन ने समस्त बकाये को माफ करने, 300 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी देने और स्मार्ट मीटर व निजीकरण रोकने की मांग की। इसके अतिरिक्त, किसानों, गरीबों और महिलाओं के सरकारी, माइक्रोफाइनेंस और सूदखोरों के कर्ज माफ करने की भी मांग की गई। सम्मेलन में किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूल्दू सिंह और राष्ट्रीय सचिव गुरुनाम सिंह की उपस्थिति में 53 सदस्यीय राज्य परिषद का चुनाव किया गया। इस राज्य परिषद से 19 सदस्यीय कार्यकारिणी का निर्वाचन हुआ, जिसने कामरेड जयप्रकाश नारायण को अध्यक्ष और ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा को राज्य सचिव चुना। इसके अलावा, चार उपाध्यक्षों में नत्थी लाल पाठक, शिवाजी राय और कृपा वर्मा शामिल हैं, जबकि अफरोज आलम और राजीव कुशवाहा को सहसचिव चुना गया। सम्मेलन में कुल दो सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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