गर्लफ्रेंड डॉ. घावरी बोलीं- चंद्रशेखर को बसपा सुप्रीमो बनना था:मेरे पास उसके ऐसे वीडियो, मुंह छिपाता फिरेगा; वह भाजपा का दलाल है
नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद पर उनकी एक्स गर्लफ्रेंड डॉ. रोहिणी घावरी ने कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। रोहिणी ने अपने सोशल मीडिया पेज पर 29 मिनट के वीडियो लाइव शेयर किया है। घावरी कहती हैं- चंद्रशेखर भाजपा का दलाल है। वह दलित-मुस्लिम की राजनीति करता है, जिससे बसपा को कमजोर किया जा सके। घावरी ने दावा करते हुए कहा- मेरे पास उसका ऐसा वीडियो है, जिस दिन एक्सपोज किया, मुंह छिपाता फिरेगा। अभी तो एक रिकॉर्डिंग वायरल करने वाली हूं। जिसमें वो बहन जी (बसपा सुप्रीमो मायावती) को अपशब्द कह रहा है। डॉ. घावरी ने दैनिक भास्कर को बताया कि कैसे चंद्रशेखर उससे शादी करने का आश्वासन देकर दलितों में जाटव-वाल्मीकि समाज को एकजुट करने का झूठा ख्वाब दिखाते थे? फिर कैसे कैसे भाजपा के साथ मिलकर दलित मूवमेंट, खासकर बसपा को कमजोर किया? बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर वह क्या कहते थे? घावरी के अलावा और कितने दलित युवतियों की जिंदगी बर्बाद की है? पढ़िए ये स्टोरी… घावरी ने 29 मिनट के वीडियो में क्या कहा, जानिए
डॉ. घावरी अपने सोशल पेज पर लाइव वीडियो में कहती हैं- चंद्रशेखर सिर्फ दलित समाज का रहनुमा बनने का नाटक करता है। अभी तो मैं उसकी एक रिकॉर्डिंग वायरल करने वाली हूं, जिसमें वो बहन जी को गाली दे रहा था। इसमें ये बता रहा है कि बहन जी क्या हैं? मैं बहन जी के जन्मदिन पर उन्हें समाज का कोहिनूर, महानायिका आदि अपने सोशल पेज पर लिखकर पोस्ट करती थी। ये सब उसे नागवार लगता था। इसके बाद वह बहन जी के बारे में ऐसी गंदी चीजें बतानी शुरू कीं, जिसके बारे में मैं लाइव बोल भी नहीं सकती। वह कहता था कि तुम जिस महिला का समर्थन करती हो, उस महिला ने ये किया है, वो किया है। तुम्हें उनके बारे में अच्छा नहीं लिखना चाहिए। तुम्हे विरोध करना चाहिए। लेकिन, मैं हमेशा से उनको आइडियल मानती रही हूं। मैं हमेशा से ये सोचती रही कि राजनीति में प्रतिस्पर्धा चलती है। लेकिन, एक महिला के रूप में मैं उनके नेतृत्व का सम्मान करती हूं। खासकर उस संघर्षशील महिला का, जिसने अपनी पूरी जिंदगी समाज के लिए समर्पित कर दी। अपना पूरा जीवन अपने समाज को दे दिया। ऐसी महिला का सपोर्ट सभी करते हैं। डॉ. घावरी आगे कहती हैं कि लाइव आने का मकसद यही है कि मैं अपनी चीजें बता पाऊं। एक नेता का जेल जाना ही उसकी हार नहीं होती। एक नेता का हार होती है, जब उसका सामाजिक विरोध लोग करना शुरू कर दें। जो जाटव समाज 2 महीने पहले इसके समर्थन में मुझे भला-बुरा कहते थे। अब वे इसकी असलियत जानकर खिलाफ बोलने लगे हैं। इसने कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद की, अब मैं इसकी बर्बादी की वजह बनूंगी
डॉ. रोहिणी आगे इस वीडियो में दावा करते हुए कहती हैं- चंद्रशेखर ने उसकी तरह कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद की है। कुछ लड़कियां पीड़ित होकर भी परिवार के दबाव में बोल नहीं पाईं। कुछ लड़कियों को इसने पैसे देकर खरीद लिया। दिल्ली की एक लड़की ने तो इसके चक्कर में फंसकर सुसाइड तक कर लिया। उसके पिता इसके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। मेरे पास सहारनपुर की एक और लड़की के चैट हैं। वो भी इसका शिकार बन चुकी है। इसी तरह कई लड़कियों को इसने शादी करने का झांसा देकर उनकी भावनाओं से खेल चुका है। तभी 2020 में इसने चुपके से शादी की थी, जिससे किसी को पता न चले। लेकिन, यह न तो मुझे खरीद पाया और न ही डरा पाया। इसे लगा कि सांसद बन जाऊंगा, तो रोहिणी को दबा लूंगा। कई बार समाज को बर्बाद करने वाले से उसे बचाने वाला अधिक दोषी होता है। मैं ही इसके विनाश का कारण बनूंगी। भावनात्मक रूप से लड़कियां कमजोर होती हैं। इसी का मैंने भी खामियाजा भुगता। इसने मेरा व्यक्तिगत सुख छीना है, मैं इसका सामाजिक सम्मान छीन लूंगी। इसका सांसद बनना पहली और आखिरी सफलता है। आगे अपनी पार्टी से एक विधायक बनाकर बता दें। यह जिनके दम पर फूल रहा है, वो भी सपोर्ट नहीं करेंगे। पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है। पैसों की चमक से रोहिणी अब बहकने वाली नहीं है। तू चुनाव लड़ तो आगे कहीं से। जहां से चुनाव लड़ोगे, वहीं आकर विरोध करूंगी। बसपा में विलय की शर्त इसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की थी
डॉ. घावरी कहती हैं- इस आदमी ने हमारे बहुजन समाज के आंदोलन को बहुत नुकसान पहुंचाया है। यह दलितों की लड़ाई का दावा करता था। मैंने एक बार इससे कहा भी कि पार्टी खड़ी करना और चलाना तुम्हारे बस की बात नहीं। 2024 में मैंने इससे बोला कि ऐसा करो कि पार्टी का बसपा में विलय कर लो। फिर मुझसे ही बोला कि पता करो बहन जी इस बार अपने जन्मदिन पर क्या करने वाली हैं? मैंने कहा भी कि तुम पता करो, बहन जी बड़ी हैं। तुम जाओ, उनके पास बात करने। लेकिन, ये खुद हिम्मत नहीं कर पाया। फिर मैंने बसपा के कुछ नेताओं को फोन किया। जब बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्षा मायावती से बात होने वाली थी। उससे पहले ये कहने लगा कि तुम बातचीत में ये प्रस्ताव रखो कि पार्टी का विलय करने पर चंद्रशेखर को बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाओ। यदि यह समाज का भला ही चाहता तो अपना व्यक्तिगत नुकसान झेल सकता था। लेकिन, इसे तो पद और पैसे की भूख है। आज तक इसने अपने सांसद निधि से 5 दलित बच्चों की फीस तक नहीं भरी। किसी दलित की आर्थिक मदद तक नहीं की। फिर काहे का दलित मसीहा खुद को कहलाते हो। घावरी ने कहा- शुरू-शुरू में समझ नहीं आता था कि क्या चल रहा है? पर जैसे-जैसे समझ में आने लगा, मेरा झगड़ा होने लगा। मैंने अपनी एक शिकायत पर इसे बीजेपी का गुलाम बना दिया। इसने क्यों नहीं हिम्मत दिखाई? बहुजन आंदोलन के लिए कुछ करना ही होता, तो जेल चला जाता। एक बार पहले भी इसके खिलाफ बोलने की कोशिश की थी। तब मैं भावनात्मक रूप से इतनी मजबूत नहीं हो पाई थी। अब इसे जेल भेजकर ही दम लूंगी। बीजेपी 2027 तक इसे बचाएगी। इसके बाद टिश्यू पेपर की तरह यूज कर फेंक देगी। अभी एफआईआर न करके मदद जरूर की है। पर इसकी मोलभाव की ताकत अब नहीं बची है। इसे ऐसा गुलाम बना दिया है कि वह अपने सिद्धांतों से समझौता कर बैठा है। 4 महीने में मैं भीम आर्मी और उसकी आजाद समाज पार्टी को आधा समाप्त कर दिया है। यह 8 अक्टूबर को लखनऊ में एक बड़ी रैली करने जा रहा था, लेकिन उसे कैंसिल करना पड़ा। इसने जाटव समाज के युवाओं को भड़का कर बहन जी के खिलाफ किया था। अब वे इसकी सच्चाई जानकर वापस बहन जी की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। दलित समाज में बहन जी का वर्चस्व था, इसने उसमें डेंट लगाने काम किया। 2017 में वह जेल गया, बाहर निकला तो पार्टी बना ली। इसकी वजह से हमारे समाज को कितना नुकसान हुआ। आज हमारा समाज एक विधायक और सांसद बनाने के लिए परेशान हो रहा है। कार्यक्रम कराने के बहाने दलितों से चंद एकत्र करना होता है मकसद
डॉ. रोहिणी कहती हैं कि इसकी पार्टी के अलग-अलग प्रदेश के अध्यक्ष चंद्रशेखर का अपने राज्य में कार्यक्रम कराने की होड़ में रहते हैं। इसके पीछे का गणित समझाते हुए रोहणी लाइव वीडियो में कहती हैं कि कार्यक्रम की आड़ में दलितों से चंदा एकत्र किया जाता है। कार्यक्रम का खर्च 10 लाख होता है, तो चंदा 40 से 50 लाख तक वसूला जाता है। मैं कहती हूं कि तुम दलित मसीहा बनकर समाज को मूर्ख मत बनाओ। पैसा कमाना हो तो नौकरी करो, बिजनेस करो। समाज का अहित मत करो। यह गृहमंत्री अमित शाह से मिलने किस महिला नेता के माध्यम गया था, इसकी भी खबर है। इसका विरोध करने पर कहता था कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए कांशीराम और मायावती ने भी बीजेपी का सपोर्ट लिया था। हम कहते थे कि हम लोग बूंद-बूंद से घड़ा भरेंगे, लेकिन समाज को धोखा नहीं देंगे। घावरी का दावा- भाजपा 2027 में चुनावी फायदा के लिए इसे बचा रही
2017 के सहारनपुर दंगे में इस पर एफआईआर और चार्जशीट भी दाखिल हुआ था। पर बीजेपी के सपोर्ट से इसे हाईकोर्ट से रिलीफ मिला। यदि बीजेपी की यूपी सरकार हाईकोर्ट में मजबूती से पक्ष रखती तो इसे रिलीफ नहीं मिलती। मेरी दिल्ली में की गई खुद की शिकायत में इतने स्ट्रॉन्ग साक्ष्य सौंपे हैं कि इस पर सीधे 376 की धारा लगेगी। पर इसे बचाया जा रहा है। 2027 के यूपी चुनाव में फायदा लेने के लिए बीजेपी इसे बचा रही है। मैं डेढ़ महीने दिल्ली में सिर्फ एफआईआर लिखवाने के लिए रुकी रही, पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी के बाद मैंने तय किया कि अब मैं इसका सामाजिक विरोध करूंगी। इसने जिस तरीके से मेरा सामाजिक सम्मान छीना, मेरे व्यक्तिगत जीवन का सुख छीना, मन की शांति छीनी। स्विटजरलैंड जैसी खूबसूरत जगह पर रहकर भी मैं परेशान हूं, तो सोचो कि मेरे मेंटल हेल्थ को कितना टॉर्चर किया है? मैं जब इसका नंबर ब्लॉक करती तो यह मेरी बहन और फ्रेंड को फोन कर परेशान करता था कि घावरी से बोलो, वह बात कर ले। यह मुझे समझाता कि तुम्हें इतनी बड़ी स्कॉलरशिप मिली है, तो पे-बैक सोसाइटी करनी चाहिए। कहता कि तुम्हारे साथ मिलकर जाटव और बाल्मीकी समाज को एकजुट करेंगे। ये दोनों समाज एकजुट हो जाए, तो हम अपना पीएम बना सकते हैं। पर बीजेपी के हाथों में खेलकर इसने दलित आंदोलन का बहुत नुकसान पहुंचाया। नहीं तो क्या कारण है कि पहली बार के सांसद को देश में वाय प्लस सुरक्षा, दिल्ली में पाश इलाके में बड़ा सरकारी बंगला मिला है। कैसे घावरी चंद्रशेखर के संपर्क में आई, कब विवाद बढ़ा
मूल रूप से मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली डॉ घावरी के पिता सफाईकर्मी हैं। प्रदेश सरकार की ओर से विदेश में पढ़ाई के लिए उन्हें 1 करोड़ की स्कॉलरशिप मिली है। घावरी स्विटजरलैंड से पीएचडी कर रही हैं। वह दलित अधिकारों, आरक्षण नीति आदि पर मुखर रहती हैं। उन्होंने यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल (UNHRC) की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। घावरी दैनिक भास्कर से बातचीत में कहती हैं कि 2021 में मुझे दलित सफाईकर्मियों पर एक प्रोजेक्ट पर काम करना था। हाथरस में मनीषा वाल्मीक मामले में चंद्रशेखर पॉपुलर हुए थे। इस कारण मुझे लगा कि इस प्रोजेक्ट में चंद्रशेखर से बात करनी चाहिए। फिर उनके कुछ करीबियों का नंबर मिला। उनके माध्यम से बात हुई। मुझे स्विटजरलैंड में आए छह महीने हुए थे। 3 जून 2021 को पहली बार चंद्रशेखर का मेरे पास फोन आया था। 25 अक्टूबर 2021 को पहली बार फिर दिल्ली में मुलाकात हुई। उसने अपनी शादी छिपाकर मुझसे नजदीकी बढ़ाई। बोलता था कि तुमसे शादी करके मैं जाटव–बाल्मिकी समाज को एकजुट करूंगा। यह अक्सर मेरे इंदौर वाले घर जाता रहता था। वहां मेरे पिता, मां और भाई-बहनों से बात करता था। उनसे भी शादी की बात छिपाई। कहता था कि हम दोनों साथ में रहकर बहुत काम करेंगे। पहले बोलता था कि सांसद बनने पर तुमसे शादी करूंगा। पर सांसद बनने के बाद इसका असली चेहरा सामने आया। सांसद बनने के बाद सितंबर 2024 में यह पहली बार तीन दिन के लिए आस्ट्रिया आया था। वहां मैं भी गई थी। तीन दिन तक इसके साथ ही रही। आखिरी दिन जब वह इंडिया लौट रहा था तो उसने शादी करने से मना कर दिया। तब पता चला कि वह शादीशुदा है। एक बच्चे का पिता भी है। मैं बहुत रोई। मैं अक्टूबर में इंडिया आई थी। तब मैंने अपने घरवालों को इसके बारे में बताया। बाद में मुझे इसके और रिश्तों के बारे में पता चला। सहारनपुर की जाटव समाज की एक युवती के बारे में पता चला। उसके साथ वह 2017 से 2021 तक रिलेशन में रहा। उसके चैट मेरे पास हैं। इसने इससे पहले दिल्ली में जाटव समाज की एक लड़की के साथ 2013 से 2020 तक रिलेशन में रहा। फिर उसके चुपके 2020 में इसने शादी कर ली। इसकी जानकारी होने पर उस लड़की ने सुसाइड कर लिया। अगस्त, 2025 में मैं इसके खिलाफ साक्ष्यों के साथ शिकायत करने दिल्ली आई थी। पुलिस को सारे साक्ष्य सौंपे लेकिन मेरी एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। यूपी चुनाव तक पुलिस इसे बचा रही है। मैं एक बार फिर नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल में जाने वाली हूं। वहां मैं देश के पीएम से सवाल करूंगी कि एक दलित बेटी 5 महीने से अपनी एक एफआईआर दर्ज नहीं करा पा रही है। क्या हमारा संविधान इतना खोखला है कि एक बेटी को न्याय तक नहीं दिला सकता? बसपा से मिलीभगत के आरोप पर क्या बोलीं घावरी
घावरी के वीडियो जिस तरीके से बसपा के सोशल पेज पर वायरल किए जा रहे हैं। इससे समाज का एक तबका और चंद्रशेखर के लोग आरोप लगा रहे हैं कि वह बसपा के हाथों में खेल रही हैं। घावरी ने इन आरोपों से साफ इनकार किया। बोलीं- मेरी बसपा के किसी नेता से कोई बातचीत नहीं हुई। मैंने अपनी फाइल कांग्रेस की सांसद प्रियंका गांधी को भी भेजी थी, लेकिन वहां से कोई रिस्पांस नहीं मिला। मेरी अगस्त- 2025 में इंडिया आने से पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से जरूरत बात हुई थी। उन्हें भी पूरे साक्ष्य भेजे। लगा कि शायद मेरी मदद होगी, लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया। शायद दलित वोटबैंक के चलते कोई इस मसले में पड़ना नहीं चाहता है। घावरी कहती हैं कि ये मेरे मान-सम्मान की लड़ाई है। मुझे खुद अकेले ही लड़नी होगी। चंद्रशेखर को जेल पहुंचा कर ही मेरी लड़ाई अब रुकेगी। रोहिणी ने महिला आयोग को भी शिकायत की है
रोहिणी ने महिला आयोग से भी शिकायत की है। इसमें लिखा है- मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और अनुसूचित जाति (सफाईकर्मी समुदाय) की महिला हूं। 2020 में मध्यप्रदेश सरकार की छात्रवृत्ति पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा में पीएचडी के लिए एडमिशन लिया था। इसी दौरान मेरी जान-पहचान चंद्रशेखर आजाद, सांसद नगीना (बिजनौर, उत्तर प्रदेश) से हुई थी। जून- 2021 से हमारे बीच लगातार बातचीत शुरू हुई। चंद्रशेखर ने मुझे विश्वास दिलाया कि वे अविवाहित हैं और मेरी जैसी जीवनसाथी की तलाश में हैं। उन्होंने शादी का झांसा देकर भावनात्मक रूप से मेरे साथ संबंध बनाए। उनके आश्वासन पर मैंने न केवल व्यक्तिगत रूप से उन्हें अपनाया, बल्कि उनके राजनीतिक अभियानों में भी सक्रिय रूप से सहयोग दिया। चंद्रशेखर ने मेरे भारत आने पर विशेषकर दिल्ली में, कई बार मुझे होटल और अपने द्वारिका स्थित निवास पर बुलाकर शारीरिक संबंध बनाए। 2022 के यूपी चुनाव में मुझे इनकी पार्टी के कुछ लोगों ने शादी के बारे में बताया। जब मैंने पूछा तो इन्होंने साफ मना कर दिया, और कहा कि मेरी शादी नहीं हुई है। शादी तो तुमसे ही करूंगा। जब मैंने इस संबंध को समाप्त करने की बात की, तो उन्होंने आत्महत्या करने की धमकी दी। साथ ही “बहुजन आंदोलन छोड़ने” जैसी बातें कहकर मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इन्होंने मुझे हमेशा धोखे में रखा। शुरू से खुद को अविवाहित बताकर और शादी का झांसा देकर कई बार मेरी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाए। उन्होंने मेरे प्रेम, विश्वास, निष्ठा और समर्पण का दुरुपयोग किया। विदेश में रहते हुए भी मैंने उनके सामाजिक अभियानों में साथ दिया। लेकिन, उन्होंने न सिर्फ मेरे भावनात्मक विश्वास को तोड़ा, बल्कि मुझे सामाजिक रूप से बदनाम भी किया। स्थिति यह है कि लोग मुझे “रखैल” जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित कर रहे हैं। इससे मैं गहरे अवसाद में चली गई और दो बार आत्महत्या करने का प्रयास किया। मैं मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से टूट चुकी हूं। आपसे निवेदन है कि तथ्यों को ध्यान में रखते हुए चंद्रशेखर आजाद के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए। ———————- ये खबर भी पढ़ें- राजा भैया, यूपी की सियासत का बाहुबली, मायावती से अदावत, अखिलेश से नाराजगी के बाद अब पत्नी से खुलेआम विवाद उत्तर प्रदेश की भदरी रियासत से ताल्लुक रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पारिवारिक विवाद के बीच राजा भैया मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, उनका सियासी सफर काफी मुसीबत भरा रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
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