खड्डा में नारायणी नदी का जलस्तर घटा, कटान शुरू:नदी की धार से खेत और गांव खतरे में, ग्रामीणों ने जताई नाराजगी

कुशीनगर जिले में नारायणी नदी का जलस्तर एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है। पिछले हफ्ते लगातार बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के बाद नदी का जलस्तर बढ़ा, और अब घटने के साथ ही कटान शुरू कर दिया है धीरे धीरे कटान ठोकर के समीप पहुंच रहा है। गुरुवार की दोपहर लगभग 11 बजे भैंसहा ग्राम सभा के पास छितौनी तटबंध के समीप कटान हो रहा था, नदी का जलस्तर जब कम होना शुरू हुआ तो कटान ठोकर के समीप पहुंच गया है जिससे अब ठोकर भी खतरे में आ सकता है कटान की वजह से भैंसहा और आसपास के गांवों में डर का माहौल है। हर साल बाढ़ और कटान से जूझने वाले ग्रामीणों को इस बार फिर वही डर सताने लगा है। ग्रामीणों को आशंका है कि अगर नदी की धार और तेज हुई तो गांव और खेत दोनों खतरे में पड़ जाएंगे। ग्रामवासी ने बताया, “हर साल यही स्थिति बनती है। पिछले हफ्ते हुई लगातार बारिश से नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था। अब पानी घट रहा है तो नदी का कटान तेजी से हो रहा है। सूचना पर बाढ़ खंड की टीम मौके पर पहुंची और कटान रोकने के लिए झाड़ियां काटकर लांचिंग पैड लगाने का काम शुरू कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल नदी के कटान को देखते हुए अस्थायी उपाय किए जा रहे हैं। मौके पर पहुंचे उच्च अधिकारी भी स्थिति का जायजा लेकर वापस लौटे और विभागीय कर्मियों को चौकन्ना रहने के निर्देश दिए। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि केवल झाड़ियां और रेत की बोरी डालने से कुछ नहीं होगा। उनका मानना है कि ठोकर और तटबंध को बचाने के लिए पत्थर और लोहे की जालियों का उपयोग जरूरी है, तभी नदी के दबाव को रोका जा सकता है। स्थानीय लोगों में नाराजगी भी साफ झलक रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इसी वर्ष कुछ जायदा ही कटान होने लगी है जैसे जैसे नदी का जल स्तर नीचे जा रहा है कटान होती जा रही है अब तो ठोकर के समीप तक कटान हो चुकी है। इससे पहले छितौनी तटबंध और ठोकरों की मजबूती पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन अब कटान की स्थिति ने इन कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गांव के किसान नगीना चौधरी ने कहा, “अगर विभाग ने सही ढंग से गुणवत्तापूर्ण काम कराया होता, तो इतनी जल्दी ठोकर नहीं टूटती। यह भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा है।” गौरतलब है कि नारायणी नदी के किनारे बसे गांव हर वर्ष मानसून के दौरान बाढ़ और कटान की चपेट में आते हैं। लेकिन इस बार जलस्तर घटने के बाद नदी का कटान गंभीर हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक ठोकर और तटबंधों की स्थायी और मजबूत संरचना नहीं बनाई जाती, तब तक यह समस्या हर साल दोहराई जाएगी और करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद लोगों की जिंदगी असुरक्षित बनी रहेगी।

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