कानपुर में अनियंत्रित रेत खनन पर लगेगी रोक:IIT कानपुर और NMCG ने मिलकर विज्ञान आधिरत रेत खनन नीति तैयार की
देश में नदियों से होने वाले अनियंत्रित रेत खनन पर रोक लगाने और उसके असर को समझने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। IIT कानपुर और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने मिलकर एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन पूरा किया है, जिसके आधार पर अब पूरे देश में विज्ञान आधारित रेत खनन नीति तैयार की जाएगी। देश भर लागू किया जाएगा
इस रिपोर्ट को 29 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने जारी किया। इस मौके पर जल शक्ति मंत्रालय के सचिव वीएल कांताराव ने कहा कि अगर राज्यों की सक्रिय भागीदारी रही, तो इस अध्ययन के निष्कर्षों को देशभर में लागू किया जा सकेगा। यह अध्ययन आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर राजीव सिन्हा के नेतृत्व में किया गया है। टीम ने सैटेलाइट तस्वीरों, ड्रोन सर्वे और आधुनिक मॉडलिंग तकनीकों की मदद से यह विश्लेषण किया कि अनियंत्रित रेत खनन से नदियों के प्रवाह, तट और पारिस्थितिकी तंत्र पर कितना गहरा असर पड़ता है। खनन को रोकने के लिए समग्र योजना तैयार करना जरूरी
प्रो. सिन्हा ने आगे कहा कि रेत खनन को नियंत्रित करने के लिए एक समग्र योजना तैयार की जानी चाहिए, जिसमें बाढ़ जोखिम, तट कटाव, भूजल पुनर्भरण और नदी पारिस्थितिकी जैसे पहलुओं को भी जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर नदियों की रियल-टाइम निगरानी की जाए। नदियों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाए
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि हिमालयी और दक्षिणी भारत की प्रमुख नदियों में पायलट प्रोजेक्ट चलाकर एक “सैंड माइनिंग मॉनिटरिंग मॉड्यूल (SMMM)” तैयार किया जाए। इस मॉड्यूल के जरिए भविष्य में पूरे देश के रेत खनन पर नियंत्रण और निगरानी संभव होगी। एनएमसीजी ने कहा कि इस पहल को सफल बनाने के लिए राज्य सरकारों के विभागों को प्रशिक्षण, स्थानीय स्तर पर जन सहयोग, और सामुदायिक जागरूकता अभियानों को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि रेत खनन के आर्थिक और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखा जा सके।
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