कानपुर देहात में 18 लाख की गोशाला में पानी भरा:भूख-प्यास से तड़पते नजर आए गोवंश, एसडीएम ने अधिकारियों को बुलाया

कानपुर देहात के रसूलाबाद विकासखंड के मित्रसेन कहिंजरी ग्राम पंचायत मे लाखों रुपए से बनी गोशाला भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रतीक बन गई है। भारी जलभराव के कारण यह गोशाला तालाब में तब्दील हो गई, वहीं यहां के गोवंशों को अस्थायी रूप से दूसरी गौशाला में स्थानांतरित करना पड़ा। इस मामले में सरकारी धन के दुरुपयोग और जिम्मेदारों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अगस्त और सितंबर माह में गौशाला में कई दिनों तक जलभराव रहा, जिससे गोवंश भूख-प्यास से तड़पते नजर आए। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होने के बाद ग्रामीणों और भारतीय गौ रक्षा वाहिनी के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए, उप जिलाधिकारी सर्वेश सिंह ने 1 अक्टूबर को नायब तहसीलदार शिवदर्शन सिंह, राजस्व निरीक्षक अनिल कुमार और लेखपाल योगेश को जांच के लिए भेजा। हालांकि, जांच टीम गहरे जलभराव के कारण गौशाला के अंदर प्रवेश नहीं कर सकी और बाहर से ही अव्यवस्थाओं की रिपोर्ट तैयार कर उप जिलाधिकारी को सौंपी। इसके बाद, 6 अक्टूबर को तहसील सभागार में ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव और खंड विकास अधिकारी की बैठक बुलाई गई। बैठक में खंड विकास अधिकारी ने बताया कि गोवंशों की जान बचाने के लिए उन्हें अस्थायी रूप से लाल भगत गोशाला में स्थानांतरित कर दिया गया है। ग्रामीणों और गौ रक्षा संगठन ने प्रशासन की कथनी और करनी पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि जब सरकार का उद्देश्य गोवंश की सेवा और सुरक्षा है, तो लाखों रुपए की योजनाओं का लाभ जमीन पर क्यों नहीं उतरता। ग्रामीणों ने कहा कि 18 लाख रुपए की धनराशि गोशाला निर्माण में खर्च दिखाई गई, लेकिन आज उसकी हालत तालाब जैसी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते व्यवस्थाएं दुरुस्त की जातीं, तो गौवंशों को इस दुर्दशा का सामना नहीं करना पड़ता। गोशाला की गोवंशों को दूसरी जगह से गोशाला मे शिफ्ट करके जिम्मेदारों ने अपनी जवाब देही से बचाओ तो कर लिया लेकिन सरकार के गौ संरक्षण के नाम पर खर्च हुए सरकारी पैसे का आखिर में जवाब कौन देगा गोशाला के निर्माण में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसकी जांच कब जिम्मेदार करेंगे

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