कांग्रेस आरक्षण की ‘दुश्मन’:सुधांशु बोले– अखिलेश आतंकियों के मुकदमे वापस ले रही थी, आजम खान ले लें तो क्या आश्चर्य

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को लखनऊ में सपा–कांग्रेस पर बड़ा सियासी हमला बोला। कहा कांग्रेस हमेशा से पिछले दरवाजे से एससी–एसटी और ओबीसी आरक्षण की दुश्मन रही है। हाईकोर्ट के जातीय रैलियों पर रोक लगाने का विरोध कर रहे सपा के अखिलेश यादव ने संसद में अनुराग ठाकुर के सवाल पर तल्ख अंदाज में कहा था कि आप किसी की जाति कैसे पूछ सकते हैं। अखिलेश जी से पूछना चाहता हूं कि वह सच था या यह सच? चेहरे पर कुछ और, दिल में कुछ और। त्रिवेदी ने जेल से जमानत पर छूटे आजम खान के ऊपर लगे मुकदमों को सत्ता मिलने पर समाप्त करने की बात कहने पर भी अखिलेश पर तंज कसा। कहा कि कोई आश्चर्य की बात नहीं है। 2006 में वाराणसी, फैजाबाद, लखनऊ की अदालतों में बम धमाके करने वाले आतंकवादियों के मुकदमे भी वापस लेने की कोशिश की थी, लेकिन हाईकोर्ट की फटकार के बाद बैकफुट पर आए थे। ये आदतन बोलते हैं। जीएसटी घटाने के फायदे गिनाने पहुंचे थे लखनऊ भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जीएसटी सुधारों पर पूरे देश में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस की श्रृंखला के तहत लखनऊ पहुंचे थे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कांग्रेस हमेशा से एससी–एसटी और ओबीसी आरक्षण समाप्त करने की कोशिश करती रही है। उसने अल्पसंख्यक संस्थाओं के नाम पर हजारों संस्थाओं को मान्यता देकर उन्हें आरक्षण से बाहर कर दिया। मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि आपकी सत्ता थी तो कश्मीर में एससी-एसटी व ओबीसी का आरक्षण नहीं था। आपकी सत्ता थी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण साफ था। मैं पूछना चाहता हूं कि भाई, आप तो कर चुके हैं। आपकी हरकतें इस बात की गवाह हैं। आरक्षण की सबसे बड़ी दुश्मन यदि कोई है, तो 1961 से नेहरू जी के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र से लेकर आज राहुल जी के समय तक की कांग्रेस है, जिसने सर्वाधिक क्षति पहुंचाई है। हिंदुओं से अधिक जातियां मुस्लिम समाज में दिखा दी गई कर्नाटक में मुस्लिम समाज को आरक्षण देकर एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण समाप्त करने की पूरी व्यवस्था कांग्रेस निरंतर कर रही है। कांग्रेस शासित राज्यों में पिछले दरवाजे से आरक्षण छीना जा रहा है। भारत सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग ने उन सभी राज्यों से जवाब तलब किया है। पश्चिम बंगाल में करीब 151 मुस्लिम जातियों को पिछड़े वर्ग में डाल दिया गया। आयोग ने पूछा कि ऐसा कैसे हो गया? कहते हैं कि साहब, कन्वर्ट होने से पहले वे थे, इसलिए मान लिया गया। आश्चर्य की बात है कि हिंदू समाज से ज्यादा जातियां मुस्लिम समाज में दिखा दी गईं। आदतन अखिलेश ऐसा बोलते हैं भाजपा के सीएम–डिप्टी सीएम की तरह सरकार बनने पर आजम के मुकदमे हटाने का बयान देने वाले अखिलेश पर कहा–इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। 2006 में वाराणसी, फैजाबाद, लखनऊ की अदालतों में बम धमाके करने वाले आतंकवादियों के मुकदमे भी वापस लेने की कोशिश की थी, लेकिन हाईकोर्ट की फटकार के बाद बैकफुट पर आए थे। ये आदतन बोलते हैं। हाईकोर्ट के जातीय रैलियां रोकने का विरोध कर रहे अखिलेश को पहले अपना संसद के पटल पर बोला गया बयान याद करना चाहिए। जब संसद में अनुराग ठाकुर जातिगत जनगणना पर बोल रहे थे, तो बिना नाम लिए कहा था कि जाति की बात वह करता है, जिसकी जाति का कोई पता नहीं। तब अखिलेश जी बड़े आक्रोश में खड़े होकर बोले थे कि आप किसी की जाति कैसे पूछ सकते हैं ? मैं अखिलेश जी से पूछना चाहता हूं कि वह सच था या यह सच? या चेहरे पर कुछ और, दिल में कुछ और था। ईवीएम हैक वाला हल्ला बंद कर अब वोट चोरी का लगा रहे सुधांशु त्रिवेदी ने इंडिया गठबंधन के नेताओं की ओर से वोट चोरी के मुद्दे का मखौल उड़ते हुए कहा कि छह महीने पहले ये लोग हल्ला मचा रहे थे कि ईवीएम में बटन कोई भी दबाओ, वोट भाजपा को ही मिलता है। तब ईवीएम हैकिंग का आरोप लगा रहे थे। मैं पूछना चाहता हूं कि भाई, जब ईवीएम हैक थी, तो वोट चोरी करने की क्या जरूरत थी? मैं कांग्रेस से स्पष्ट पूछना चाहता हूं कि ईवीएम हैक के आरोप समाप्त हो गए क्या? अब क्यों उठाना बंद कर दिया? या तो वह झूठ था या यह झूठ है। चिंता मत कीजिए, वह भी झूठ था, यह भी झूठ है। झूठ का नकाब धीरे-धीरे हटता जा रहा है। पेट्रोल–आबकारी को जीएसटी के दायरे में लाने पर सर्वसम्मति नहीं पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाने पर कहा–कि पेट्रोल और आबकारी अभी भी राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हैं, इसलिए जीएसटी के दायरे में नहीं हैं। अभी तक जीएसटी काउंसिल में जो भी निर्णय हुए हैं, वे सर्वसम्मति से हुए हैं। बाहर आकर विरोध करना बड़ी विचित्र बात है। यहां तक कि जीएसटी–2 सुधारों पर काउंसिल में विपक्षी राज्यों ने भी समर्थन दिया। केरल और कर्नाटक पहले विरोध कर रहे थे, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस शासित राज्य है। उसने चर्चा बढ़ाई। जब अंत में वोटिंग की नौबत आई, तो सभी राज्यों ने कहा कि परंपरा है सर्वसम्मति से निर्णय लेने की। इसलिए सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया। पेट्रोल–आबकारी को जीएसटी के दायरे में लाने पर राज्यों में सर्वसहमति नहीं बन पाई है। जीएसटी घटाने का फायदा सभी वर्गों को मिल रहा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु ने जीएसटी सुधारों पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विगत एक दशक से आर्थिक सुधारों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी कड़ी में 22 सितंबर को जीएसटी टैक्स में बड़े बदलाव लागू हुए हैं। जीएसटी में हुए बदलाव आम आदमी, विशेषकर मध्यम, निम्न और निर्धन वर्ग के लिए जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान में बड़ी राहत लेकर आए हैं। इन तीनों पर टैक्स में भारी कटौती की गई है। एक ओर रोटी, पराठा, टेट्रा-पैक्ड दूध या छाछ जैसे आहारों पर टैक्स शून्य कर दिया गया है। वहीं, बिस्कुट से लेकर अचार आदि अन्य खाद्य पदार्थों को 5 प्रतिशत में ला दिया गया है। जीवन की दूसरी आवश्यकता कपड़ा है। रेशों पर टैक्स 5 प्रतिशत कर दिया गया है। रेडीमेड वस्त्रों पर 2,500 रुपए तक के मूल्य के लिए टैक्स 5 प्रतिशत किया गया है। मध्यम वर्ग सामान्यतः इससे महंगे कपड़े नहीं खरीदता, सिवाय विशेष अवसरों जैसे शादी-विवाह के। कांग्रेस के समय सीमेंट पर 31 प्रतिशत लगता था वैट लोगों की एक और जरूरत है मकान। कांग्रेस के (VAT) दौर में सीमेंट पर 31 प्रतिशत टैक्स था। अब इसे घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। मकान के अंदर की सभी आवश्यक वस्तुएं—टूथपेस्ट से लेकर शैंपू और अन्य दैनिक उपयोग के सामान—पर जीएसटी को 5 प्रतिशत कर दिया गया है। अर्थात्, जन सामान्य को रोटी-कपड़ा-मकान में इतनी भारी राहत नवरात्रि के प्रारंभिक दिन देने का यह अभूतपूर्व निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है। पूरा देश इस समय उस उत्साह के लक्षण भी दिखा रहा है। पिछले 24 घंटों के रुझान से स्पष्ट है जीएसटी घटने से कैसे नवरात्र के पहले ही दिन मारुति सुजुकी की 30 हजार, हुंडई की 11 हजार और महिंद्रा की 10 हजार कारें बिकीं। यदि आप हवाई यात्रा कर रहे हैं, तो इकोनॉमी क्लास में जीएसटी 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह 7,500 रुपए तक के होटल रूम पर जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। मैं समझता हूं कि मध्यम वर्ग के लोग इससे महंगे होटल के कमरों का उपयोग नहीं करते होंगे। दावा- देश की जीडीपी में साढ़े तीन से चार लाख करोड़ की वृद्धि होगी जीएसटी सुधारों के बाद मैं यह कह सकता हूं कि चाहे जीवन की मूल आवश्यकताएं हों या दैनिक गतिविधियों की जरूरतें जैसे बाहर जाना, इन सभी में भारी सुधार किया गया है। इससे आम जनता के हाथ में खर्च करने की ताकत बढ़ी है। मुझे उम्मीद है कि नवरात्रि से प्रारंभ होकर दीवाली और छठ पूजा तक के त्योहारों के मौसम में कम से कम साढ़े तीन से चार लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था इस खर्च के माध्यम से जनता द्वारा खरीदारी पर लगेगी और देश के विकास में योगदान देगी। जीएसटी सुधारों को समझने के लिए मोदी जी जैसी कुशाग्र बुद्धि चाहिए; कोई बाल बुद्धि इसे नहीं समझ सकता त्रिवेदी ने आगे कहा कि जिसे लगता है कि जीएसटी में सुधार तात्कालिक या राजनीतिक निर्णय के तहत लिए गए हैं, वह गलत हैं। यह 10 वर्षों में लिए गए उत्तरोत्तर आर्थिक निर्णयों की श्रृंखला की एक कड़ी है। सबसे पहले जन-धन योजना शुरू हुई। आज 56 करोड़ बैंक खाते हैं। दुनिया में इससे बड़ा आर्थिक समावेशन कहीं नहीं हुआ। इसके बाद लोगों ने कहा कि खाते में पैसे कहां से आएंगे? तो डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सरकार ने पैसे भेजे। 56 करोड़ खातों में ढाई लाख करोड़ रुपए जमा हैं। उस समय ये कहा जा रहा था कि गरीब आदमी मजदूरी का पैसा निकालने सिर्फ बैंक क्यों जाएगा? फिर इसके लिए डिजिटल ट्रांसफर, जन-धन से जुड़े मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हुआ। इसी 30 जून 2025 को भारत में इंटरनेट कनेक्शन 100 करोड़ हो गए। देश में 1 अरब 12 करोड़ मोबाइल फोन हैं, जिनमें 85 प्रतिशत स्मार्टफोन हैं। इसका प्रभाव यह हुआ कि एक दौर में हमारे वित्त मंत्री सदन के पटल पर कहते थे कि भारत कम पढ़े-लिखे लोगों का देश है, टैक्स सेवर नहीं है। डिजिटल ट्रांसफर कैसे संभव होगा? आज 48 प्रतिशत वैश्विक डिजिटल ट्रांजैक्शन भारत के हैं। यह अमेरिका और चीन को मिलाकर भी सबसे ज्यादा हैं। भारत का डिजिटल ट्रांजैक्शन यूपीआई (UPI) वीजा को छोड़कर पिछले महीने सबसे ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन करने वाला प्लेटफॉर्म बन चुका है। इसके बाद नोटबंदी आई। फिर जीएसटी आया। फिर प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम आई, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारी बढ़ोतरी हुई। इसके बाद भारत चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बना। विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) 650 बिलियन डॉलर से ऊपर चला गया। इसके बाद इनकम टैक्स की लिमिट 12 लाख से ऊपर बढ़ाई गई। उस समय बड़े-बड़े आर्थिक विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे थे कि 10 लाख तक छूट देना बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन उससे अधिक दी गई। इसके बाद जीएसटी–2 का यह बदलाव। आप समझ सकते हैं कि यह एक व्यापक आर्थिक सुधार और जन-जन के हाथ में आर्थिक शक्ति देने की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है। इसे समझने के लिए मोदी जी जैसी कुशाग्र बुद्धि चाहिए; कोई बाल बुद्धि इसे नहीं समझ सकता। ‘हमें आरोप मत दीजिए, बहुत अफसोस होता है : त्रिवेदी जीएसटी सुधारों के साथ ही प्रधानमंत्री ने स्वदेशी का भी आह्वान किया है। आज से 100 साल पहले, 20वीं सदी के पहले क्वार्टर (1900 से 1925) में महात्मा गांधी ने स्वदेशी का आह्वान किया था। हमें स्वराज मिला, लेकिन ‘स्व’ का तत्व उसमें नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद पहले सांस्कृतिक ‘स्व’ का तत्व आया, फिर आर्थिक दृष्टि से ‘स्व’ को स्थापित किया गया है। यदि 20वीं सदी का पहला क्वार्टर गांधी जी के नेतृत्व में स्वदेशी आंदोलन के लिए था, तो 21वीं सदी का पहला क्वार्टर मोदी के नेतृत्व में स्वदेशी अभियान के द्वारा भारत के जन-जन को सशक्त करने का आधार बन रहा है। अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि जीएसटी-2.0 भारत के हर सामान्य और गरीब व्यक्ति के हाथ में क्रय शक्ति देगा। वैसे भी, जब हम सत्ता में आए थे, तब भारत की प्रति व्यक्ति आय 74 हजार रुपए थी, जो अब ढाई लाख रुपए के आसपास हो गई है। किसानों से लेकर मजदूरों, मध्यम वर्ग सहित सभी को जीवन के हर क्षेत्र में आर्थिक सशक्तीकरण का यह महाभियान चल रहा है। इसके फलस्वरूप आज हम चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, तीसरे बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हैंडसेट में दुनिया के दूसरे नंबर के देश हैं, और डिजिटल ट्रांजैक्शन व इन्फ्रास्ट्रक्चर में नंबर वन हैं। चंद्रमा की अछूती सतह को छूने वाले हम पहले देश हैं। डिफेंस प्रोडक्शन में हम इस सीमा तक पहुंचे हैं कि आपने देखा होगा, मोरक्को में रक्षा मंत्री ने आज ही टाटा डिफेंस की पहली ओवरसीज फैक्ट्री का उद्घाटन किया। विदेश में जाकर रक्षा उत्पाद बनाना किसलिए? मैं यह कहते हुए कि हमारे विपक्षी लोग, जो आरोप लगाने की हरकत और हिम्मत से बाज नहीं आते, मोदी के नेतृत्व में कितना बड़ा ट्रांसफॉर्मेशन हुआ है, इतना बड़ा बदलाव उन्हें दिखाई नहीं देता। उन्हें अपनी नजर बदलनी चाहिए और आरोप लगाने की अपनी फितरत बदलनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए यह पंक्ति कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं- ‘हमें आरोप मत दीजिए, बहुत अफसोस होता है। बड़ी तरकीब से कश्ती यहां तक लेके आए हैं। बदल देते हैं हम दरिया की लहरें अपनी हिम्मत से, आंधियों में भी अक्सर चिराग हमने जलाए हैं।’

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर