करोड़पति लेखपाल आलोक दुबे पर शिकंजा:फर्जी रजिस्ट्री और बिल्डर गठजोड़ का खुलासा, सात अभियुक्तों पर आरोप पत्र दाखिल

जिले में फर्जी रजिस्ट्री और दानपत्र घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने करोड़पति लेखपाल आलोक दुबे सहित 7 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया है। मामला एक भूमि विवाद से जुड़ा है, जिसमें राजस्वकर्मियों और बिल्डर के गठजोड़ से फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन की रजिस्ट्री कराई गई थी। मार्च में जिलाधिकारी के निर्देश पर दर्ज हुई थी एफआईआर कला का पुरवा, थाना सचेण्डी निवासी संदीप सिंह की तहरीर पर दर्ज इस प्रकरण की विवेचना के बाद पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है। मामला स्व. गंगा सिंह के हिस्से की भूमि से जुड़ा है, जिसमें कुछ भाग पहले ही वसीयत और दानपत्र के माध्यम से हस्तांतरित हो चुका था। इसके बावजूद औरैया जनपद निवासी राजपति देवी और राजकुमारी देवी ने संपूर्ण भूमि पर दावा जताते हुए फर्जी रजिस्ट्री करा दी। इसके साथ ही RNG इंफ्रा के भागीदार अमित गर्ग, निवासी सिविल लाइंस कानपुर के नाम एक रजिस्टर्ड अनुबंध किया गया। जांच में खुलासा हुआ कि जिन चेक नंबरों का उल्लेख रजिस्ट्री में किया गया था, उनका भुगतान कभी हुआ ही नहीं, जिससे षड्यंत्र की पुष्टि हुई। राजस्व कर्मियों की मिली भगत हुई उजागर क्षेत्र के तत्कालीन लेखपाल अरुणा द्विवेदी और कानूनगो आलोक दुबे पर मिलीभगत का आरोप सिद्ध हुआ। अपर जिलाधिकारी (वि/रा) की त्रिस्तरीय जांच रिपोर्ट में पाया गया कि दोनों अधिकारियों ने यह जानते हुए भी कि विवादित भूमि खतौनी में संबंधित नाम दर्ज नहीं हैं, फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और न्यायालय को भ्रमित कर नाम चढ़वाने का आदेश कराया। उसी दिन रजिस्ट्री भी पूरी कर ली गई। फर्जीवाड़े का पूरा खुलासा जांच में हुआ विवेचना के दौरान गवाहों के बयान, खतौनियां, वसीयतनामा, बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेजों का अध्ययन किया गया। इसमें यह साबित हुआ कि विक्रेताओं को कोई वास्तविक धन नहीं दिया गया। रजिस्ट्री में अंकित चेकों का भुगतान न होना षड्यंत्र और कूट रचना का प्रमाण माना गया। पुलिस विवेचक ने यह भी दर्ज किया कि यह अपराध सरकारी कर्तव्यों के दौरान नहीं बल्कि व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया था, इसलिए अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। विजिलेंस जांच में करोड़ों की संपत्ति के संकेत विशेष रूप से इस प्रकरण में संलिप्त कानूनगो आलोक दुबे को जिलाधिकारी ने पहले ही दंडस्वरूप पदावनति देकर लेखपाल बनाया था। अब उन्हीं के खिलाफ विजिलेंस की जांच भी चल रही है। सूत्रों के अनुसार, जांच में उनकी करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति का भी पता चला है। इन धाराओं में हुआ आरोप पत्र दाखिल विस्तृत विवेचना के आधार पर अभियुक्त राजपति देवी, राजकुमारी देवी, रघुबीर सिंह, अरुण सेंगर उर्फ अमन सेंगर, RNG इंफ्रा भागीदार अमित गर्ग, लेखपाल अरुणा द्विवेदी और कानूनगो आलोक दुबे के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2), 352 और 351(3) के तहत अपराध सिद्ध पाया गया है। पुलिस ने आरोप पत्र संख्या 158/2025, 11 अक्तूबर 2025 न्यायालय में दाखिल कर दिया है। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा सरकारी पद पर रहते हुए यदि कोई व्यक्ति भू-माफियाओं या बिल्डरों से मिलीभगत करता है तो वह कतई बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे मामलों में विभागीय कार्यवाही के साथ आपराधिक मुकदमे भी दर्ज कराए जाएंगे।

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