करवा चौथ पर बन रहा ग्रहों का शुभ महासंयोग:प्रयागराज में कल पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत

वैवाहिक जीवन में आपसी विश्वास, प्रेम, निष्ठा, समर्पण का पावन प्रतीक माना जाने वाला करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए बड़े मनोयोग से रखती हैं। करवा चौथ का व्रत हर सुहागिन महिला के लिए इतना खास होता है कि वो पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर न सिर्फ अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान् से प्रार्थना करती है, बल्कि अपने पति को खुश देखने के लिए सज-संवरकर तैयार होती है और व्रत का पारण अपने पति के हाथ से जल पीकर या कुछ खाकर ही करती है। प्रयागराज के आचार्य ब्रजमोहन पांडेय बताते हैं कि “हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला यह महापर्व इस साल 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल 10 अक्टूबर को यानि करवा चौथ के दिन ग्रहों का शुभ महासंयोग बन रहा है। इस दिन कृतिका नक्षत्र, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा। ऐसे शुभ महायोग में पूजा-अर्चना करने शुभ फल की प्राप्ति होती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए यह व्रत रखा था और इसी व्रत के पुण्य प्रभाव से उनका विवाह शिवजी से हुआ।” करवा चौथ की तिथि और मुहूर्त आचार्य ब्रजमोहन पाण्डेय ने बताया कि कोई भी व्रत या त्योहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है, यानी जिस तिथि में सूर्योदय होता है, उसे ही उस दिन को मुख्य तिथि माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर अक्टूबर को रात (भोर) 3 बजकर 07 मिनट पर हो रही है और इसका समापन 11 अक्टूबर शनिवार को रात 12 बजकर 41 मिनट पर होगा। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 10 अक्टूबर को होगा, इसलिए तिथि और चंद्रोदय का संयोग से करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। शाम 7.58 बजे होंगे चंद्रमा के दर्शन 10 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 58 मिनट पर होगा। शहर के अनुसार समय में कुछ मिनटों का आगे-पीछे हो सकता है। शाम को 5 बजकर 27 मिनट से शाम 7 बजकर 31 मिनट तक है। करवा चौथ की पूजा के लिए करीब दो घंटे का शुभ समय मिल रहा है क्योंकि करवा चौथ की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। जानिए, कैसे करें पूजा आचार्य ब्रजमोहन पांडेय के अनुसार, करवा चौथ वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और सरगी ग्रहण करें, जिसमें फल, मिठाई और मेवे शामिल होते हैं। करवाचौथ में कई क्षेत्रों में सरगी देने की परंपरा भी प्रचलित है। सरगी सास अपनी बहू को देती है, जिसमें मेवे, फल, मिठाइयां और श्रृंगार का सामान शामिल होता है। यह सरगी सूर्योदय से पहले ग्रहण की जाती है और पूरे दिन व्रत रखने की शक्ति प्रदान करती है। इसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन भगवान् का स्मरण करें। शाम को अपनी क्षमता के अनुसार सोलह श्रृंगार करके तैयार हों और शुभ मुहूर्त में चौकी पर भगवान् शिव, माता पार्वती और भगवान् गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। मिट्टी के करवे में गंगाजल भरकर रखें। धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। पूजा समाप्त होने के बाद चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करें और छलनी में दीपक रखकर उसके माध्यम से चंद्रमा के दर्शन करें। इसके बाद उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखें। चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपने पति की लंबी आयु, परिवार में सुख-समृद्धि, खुशहाली के लिए प्रार्थना करें। अंत में पति के हाथों से जल ग्रहण करें और मिठाई आदि खाकर अपने व्रत का पारण करें।

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