उन्नाव में गंगा का जलस्तर घटा:47 दिन बाद तटीय इलाकों में लोगों को मिली राहत, पलायन कर चुके लोग घरों को वापस लौटेंगे

उन्नाव में पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में लगातार हुई बारिश के बाद उफनाई गंगा का जलस्तर अब तेजी से घट रहा है। लगभग डेढ़ माह तक खतरे के निशान से ऊपर बहने के बाद गंगा का जलस्तर अब चेतावनी बिंदु से नीचे आ गया है, जिससे तटीय इलाकों में बसे लोगों को बड़ी राहत मिली है। शनिवार को गंगा का जलस्तर गिरकर 111.750 मीटर पर पहुंच गया, जो खतरे के निशान से काफी नीचे है। केंद्रीय जल आयोग की जानकारी के अनुसार, 11 अगस्त को गंगा का जलस्तर पहली बार चेतावनी बिंदु को पार कर गया था। इसके बाद दो बार यह खतरे के निशान से ऊपर दर्ज किया गया। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण तटीय गांवों में पानी भर गया था, जिससे हजारों ग्रामीण प्रभावित हुए। कई जगहों पर फसलें जलमग्न हो गईं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी थी। जल आयोग की रिपोर्ट बताती है कि बुधवार शाम छह बजे गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से ऊपर 112.260 मीटर दर्ज किया गया था। इसके बाद गुरुवार को इसमें तेजी से गिरावट आई और शाम छह बजे 111.960 मीटर पर जलस्तर दर्ज किया गया। शनिवार को और गिरावट दर्ज करते हुए गंगा 111.750 मीटर पर पहुंच गई। चौबीस घंटे के भीतर जलस्तर में करीब 20 सेंटीमीटर की कमी आई है। जलस्तर कम होने से गंगा की रेती अब बाहर दिखाई देने लगी है। नमामि गंगे घाट की सीढ़ियों से भी पानी खिसक गया है और उन पर बालू जमा हो गई है। घाटों का दृश्य बदलने के साथ-साथ गोताखोर, शाही नगर, मोहम्मद नगर, चंपापुरवा, मनसुख खेड़ा और कर्बला जैसे प्रभावित इलाकों से भी बाढ़ का पानी निकलने लगा है, जिससे स्थानीय निवासियों ने राहत की सांस ली है। ग्रामीणों का कहना है कि पानी घटने से अब घर वापसी आसान हो सकेगी और रोजमर्रा की जिंदगी पटरी पर लौटेगी। हालांकि, गंगा की धारा अभी भी तेज होने के कारण लोग सतर्कता बरत रहे हैं। प्रशासन ने भी तटीय इलाकों में निगरानी जारी रखी है और लोगों से नदी किनारे न जाने की अपील की है। जलस्तर कम होने से खेती-किसानी और पशुपालन प्रभावित होने के बाद अब ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि हालात जल्द सामान्य होंगे और उन्हें बाढ़ की त्रासदी से पूर्ण राहत मिल सकेगी।

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