आजम बोले-जाहिल था, जो रामपुर सांसद को नहीं जानता था:मैं घटिया किस्म का बंदी; सुधरा नहीं, दुआ करें- अगली बार जाऊं तो सुधर कर आऊं
लंबे अरसे जेल में रहने के बाद बाहर आए आजम खान ने कहा- रामपुर के सांसद को वो क्या रामपुर के लोग भी नहीं जानते थे। हम बहुत बड़े जाहिल थे कि हम उन्हें जानते नहीं थे। ये हमारे अराजनैतिक होने का सबूत है। ये बातें आजम खान ने एक निजी चैनल काे दिए गए इंटरव्यू में कहीं। उनसे सवाल किया गया कि 2024 के चुनाव में आपकी क्या भूमिका थी, इस सवाल पर आजम ने कहा- मेरी क्या भूमिका हो सकती थी, मैं खुद ही मुसीबत का शिकार था। चाहा था कि रामपुर से अखिलेश यादव चुनाव लड़ें, उन्होंने वादा भी किया था। फिर शायद पार्टी का फैसला कुछ दूसरा हुआ। उन्होंने पार्टी के बेहतरीन सिपाही की तरह पार्टी के फैसले को माना और रामपुर से चुनाव नहीं लड़ा। उसकी मुझे कोई शिकायत नहीं है। बल्कि, मैंने इस बात की कद्र की कि इतने बड़े कद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी के फैसले को माना और अपनी ख्वाहिश को कुर्बान कर दिया। इसमें भी कोई दो राय नहीं की रामपुर से उनकी ऐतिहासिक जीत होती। आइए पढ़ते हैं आजम खान का इंटरव्यू… हम बहुत बड़े जाहिल थे कि उन्हें जानते नहीं थे रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी के सवाल पर आजम ने कहा- मैं जानता भी नहीं था उन्हें। शायद यहां भी कोई नहीं जानता था। वो हमारी शान हैं। हमारे लिए सम्मान की बात है कि पार्लियामेंट में इमाम साहब हमारे एमपी हैं। इसमें हमारी इज्जत बढ़ी है। हम वाकिफ नहीं थे उनसे। ये हमारी कमी है। इतनी लंबी राजनीति में ये हमारी ला इल्मी नहीं, बल्कि हमारी जहालत थी। हम बहुत बड़े जाहिल थे कि हम उन्हें जानते नहीं थे। ये हमारा अराजनैतिक होने का सबूत भी है। उनकी मेरे साथ बड़ी इनायतें रहीं। मैं घटिया किस्म का बंदी था। लेकिन, उन्होंने मुझे कैदी नहीं कहा। कहा- मैं सुधार घर में हूं। देखिए कितने अजीम हैं वो। उन्होंने मुझे ये नहीं कहा कि वह मुर्गी चोरी, भैंस चोर, बकरी चोर है। ये चोर कैसे 10 बार एमपी, एमएलए और वजीर रह लिया। बल्कि, कहा- सुधार घर में हैं। कितनी इज्जत बढ़ी मेरी। मैं सुधार घर से आया हूं, मगर सुधरा नहीं हूं। ये बड़ी कमी रह गई मुझमें। वो मेरे लिए दुआ करेंगे कि फिर कभी जाऊं तो सुधर कर आऊं, नेक आदमी हैं। मुझे घटिया किस्म के गुनाहों की सजा मिली एक सवाल के जवाब में आजम ने कहा कि वे इमरजेंसी के दौरान पौने दो साल जेल में रहे। अब गैर कांग्रेसी सरकार रही तो उसमें इम्तिहान नहीं हुआ, सजा मिली। सजा उन गुनाहों की मिली, जो घटिया किस्म के थे। इनकी फेहरिस्त भी किसी घटिया शख्स ने ही तैयार की होगी। इल्जाम लगाने वाले का स्तर यही था कि वह मुझे मुर्गा चोरी, बकरी चोरी, भैंस चोरी, किताब चोरी जैसी घटिया दफाओं का मुल्जिम बनाता। मैंने चोरी नहीं की, कहा जाओ- चोरी कर आओ। मुर्गी चोरी भी की और मुर्गी हाथ भी नहीं आई। धाराएं चोरी की नहीं लगाई गई, डकैती की लगाई गई। चोरी का मामला होता तो तीन साल की सजा होती। मुझे एक मुकदमे में 19 साल की सजा हुई। ऐसे ही मुझ पर 114 मुकदमे लगाए गए। अगर इतनी ही सजा हर एक में मान ली जाए तो लाखों साल चाहिए। शायद कयामत आ जाएगी, प्रलय आ जाएगा, मेरी सजाएं खत्म नहीं होंगी। जहां मुझे रखा गया, वहां फांसी दी जाती थी एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि क्रिमिनल से भी बदतर तरीके से रखा गया। 11 बाई 7 के कमरे में रखा गया। जिस कैंपस में ये कोठरी थी, वहां फांसी दी जाती थी। कैंपस में 18 कमरे थे। मेरे आसपास दो कैदी और बंद थे, जो इसलिए रखे गए थे कि कहीं मैं फांसी का फंदा न लगा लूं। उनके स्टैंड के बारे में पूछने पर कहा- क्लियरिटी मैं किसी को नहीं दे सकता, न कोई मजबूर कर सकता है। मेरे मालिक के अलावा किसी कोई क्लियरिटी नहीं दे सकता। न किसी की हैसियत है कि मुझसे क्लियरिटी मांगे। मैं अपने उसूलों के साथ जीता हूं। ऐसा नहीं है कि मैं मंत्री और एमपी, एमएलए बने बिना जी नहीं सकता। लेकिन, ये भी सच है कि मैं बहुत इज्जत करता हूं, बेहद मोहब्बत करता हूं, क्योंकि मैं उनके वालिद से बेपनाह इश्क करता था। मैं उनका अच्छा चाहता हूं, मैं उनकी कद्र करता हूं। बेहतर मुस्तकबिल चाहता हूं। कभी उनको गरम हवा न लगे, ये मेरी दुआ है। लेकिन, ये क्लियरफिकेशन नहीं है। ये मेरी दुआ है, एहसास है। मुलायम से रिश्ता आशिक और माशूक का था। मैंने ये सुना है कि जब उन्होंने मुझे निकाला था तब भी वो रोए थे। उन्होंने कुछ लोगों के कहने पर निकाला था। अखिलेश पहली बार नहीं आ रहे रामपुर अखिलेश यादव को लेकर किए गए सवाल पर कहा कि हमारी कोई नाइत्तफाकी नहीं है, एक छोटा सा खादिम कल भी था और आज भी हूं। पार्टी चाहेगी तो आगे भी रहूंगा। अखिलेश के रामपुर के दौरे पर कहा- ये कोई पहली बार थोड़ी हो रहा है कि अखिलेश या पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपुर आ रहा हों। मैं उनके वालिद के दोस्तों में से हूं। वो मेरे बेटे की तरह हैं। मैं बीमार हूं। ये उनका बड़प्पन है, जो कर रहे हैं। मैं ये कहूं कि वो छोटे हो जाएंगे, मैं चला जाऊंगा, मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। किसी वजह से वो नहीं आ सके थे। मैं जाता रहा हूं। पहले भी ऐसा कब हुआ है? मैं पौने तीन साल रह कर आया, तब मिलने के लिए मैं ही गया था। अब मैं थोड़ा कमजोर हाे गया हूं। लीडर नॉट शुड बी लीडर आजम ने कहा कि लीडर को लीडर होना चाहिए। लीडर मस्ट भी लीडर लीडर नॉट शुड बी लीडर। ये पूछे जाने पर की चमचों से आप नाराज हैं, इस पर आजम ने कहा कि मैं चमचों को क्या जानूं। मैं मजहब और जातियों के टकराव का कायल नहीं रहा। मुझ पर ये लेबल भी नहीं है। मैं कमजोरों का हमदर्द हूं। हद से गुजर जाने के लिए तैयार रहता हूं। मैं किसी का दोस्त नहीं हूं, ये भी नहीं है। मैं सभी धर्मों की इज्जत करता हूं, मोहब्बत करता हूं। उन्होंने कहा- सरकार से गुजारिश करना चाहता हूं। दिल बहुत उदास हो गए हैं। हर शख्स को मुस्कराना चाहिए। लोग खौफजदा हैं, लोग डरे हुए हैं। अपने ही वतन में बेइज्जत महसूस कर रहे हैं। कुछ ऐसा हो जाए कि चमन में बहारें फिर वापस आ जाएं, खुशियां फिर लौट आएं, परिंदे फिर चहचहाने लगें।
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