आगरा में मूर्ति विसर्जन में डूबी सभी 12 लाश मिली:ऊटंगन नदी में 6 दिन चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 13 युवक डूबे थे

आगरा के खेरागढ़ में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान 2 अक्टूबर को हादसा हो गया था। यहां ऊटंगन नदी में 13 लोग डूब गए थे। इनमें से 4 लोगों की डेडबॉडी छठवें दिन मंगलवार को निकाली गई। 8 लोगों की लाश पहले ही नदी से निकाली जा चुकी है। 1 युवक जिंदा बच गया था, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम बचे 1 युवक को तलाश रही है। 250 मीटर के क्षेत्र में नदी के पानी का बहाव रोकने के लिए लोगों ने रात-दिन की मेहनत से 40 मीटर लंबा अस्थायी बांध बनाया है। नदी की धारा को डूब क्षेत्र के बीच से नाला बनाकर दूसरी ओर मोड़ा गया है। पोकलेन और JCB से खुदाई जारी है। अब जानते हैं कैसा है गांव का हाल 5 दिन से नहीं जले चूल्हे, पड़ोसी गांव से आ रहा खाना
नदी में डूबे सभी युवक आगरा की खेरागढ़ तहसील के कुसियापुर गांव के रहने वाले थे। ये गांव आगरा से 45 किमी दूर और राजस्थान बॉर्डर से सिर्फ 500 मीटर पहले है। 2500 आबादी वाले गांव में न बच्चों का शोर सुनाई दे रहा और न ही गलियों में आवाजाही। दूर-दूर तक गांव में सन्नाटा है। गांव में सिर्फ महिलाएं हैं। गांव के सभी पुरुष ऊटंगन नदी किनारे युवकों के बाहर निकाले जाने की राह में 6 दिन से डेरा डाले हुए हैं। जिन परिवारों के लड़के नदी में डूब गए, उनके घरों से सिर्फ रोने की आवाजें आ रहीं। रिश्तेदार-गांव के लोग उनके घर पहुंचकर सांत्वना दे रहे हैं। पूरा गांव गमगीन है। तमाम घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। पड़ोसी गांव के लोग भी दुख बांटने पहुंच रहे हैं। पड़ोसी गांव डुंगरपुर के लोग रिक्शे से खाना पहुंचा रहे हैं। गांव के युवक रिक्शे में बड़े-बड़े भगोनों में पूड़ी-सब्जी लेकर हर घर जा रहे हैं। मना करने के बावजूद वे उनके घरों में खाना रखकर आ रहे हैं। अब लड़कों के परिवार के बारे में पढ़िए विमलेश की आंखें सूजीं, बोलीं- कोई मेरे बेटे को ला दे
गांव के बीचोबीच में गजेंद्र का घर है। गजेंद्र भी डूबने वाले युवकों में शामिल हैं। उनकी मां विमलेश घर के अंदर हैं। गांव की महिलाएं उन्हें घेरे बैठी हैं। मां को रोता देख महिलाएं भी अपने आंसू रोक नहीं पा रही थीं। 6 दिन से घर में मातम है। मां की आंखें सूज गई हैं। बेटे की याद में मां बिना खाए-पीए सिर्फ रो रहीं। आने-जाने वालों से वह एक बात कहती- मेरे लाल को वापस ला दो। उसे मेरे सामने ले आओ। मुझे उसे देखना है। कोई उसे मेरे पास ले आए। मैंने उसे देखा नहीं है। हर घर से रोने की आवाज आ रही
गजेंद्र के घर से चंद कदमों की दूरी पर ही सचिन का घर है। सचिन का शव छठवें दिन मिल गया। सचिन के घर के सभी पुरुष घटनास्थल पर ही डेरा डाले हुए हैं। घर पर उसकी मां तथा अन्य रिश्तेदार हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। महिलाओं की स्थिति सबसे खराब है। दूर-दूर तक इनके रोने की आवाज ही सुनाई दे रही है। रेस्क्यू अभियान कहां तक पहुंचा, वो पढ़िए-
ऊटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दिन 13 युवक नदी में डूब गए थे। एक युवकों की तलाश अभी भी जारी है। गगन, ओमपाल, मनोज, भगवती, अभिषेक, करन, विनेश और ओकेश के शव निकाल गए। जबकि मंगलवार को सचिन, गजेंद्र और दीपक का शव निकाला गया। अब हरीश की तलाश की जा रही है। सबमर्सिबल पंप निकालने में होता है इस्तेमाल
लापता युवकों की तलाश के लिए नदी में कंप्रेशर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी मदद से अब तक दो और शव निकाले जा चुके हैं। जिन कंप्रेसर को नदी में फंसे लोगों को निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, उनका प्रयोग जमीन के अंदर 100 से 300 फीट तक फंसे सबमर्सिबल पंप को बाहर निकालने में किया जाता है। कई बार पंप बालू के आने की वजह से फंस जाते हैं। ऐसे में कारीगर कंप्रेसर से हवा के पाइप को अंडरग्राउंड पंप की पाइप लाइन में डालते हैं। हवा का दबाव काफी तेज होता है। इससे मिट्टी या बालू हट जाती है और पंप बाहर आ जाते हैं। अब उटंगन में लोगों को निकालने के लिए 3 कंप्रेसर को लगाया जाएगा। जिस स्थान पर सभी डूबे थे, वहां पर खनन की वजह से गड्ढा हुआ था। यह तकरीबन 25 से 30 फीट तक गहरा है। इसमें दलदल की वजह से फंसे लोग बाहर नहीं आ सके। ———————- ये खबर भी पढ़ें
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