आगरा में अवैध खनन करा रहे अधिकारी-कर्मचारी:विजिलेंस की जांच में हुआ खुलासा, 37 पर चार्जशीट की तैयारी
आगरा में अवैध खनन के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। बालू और पत्थर के अवैध खनन में अफसरों की मिलीभगत सामने आई है। विजिलेंस जांच में यह खुलासा हुआ है। RTO, खनन और वाणिज्य कर विभाग के अफसरों ने नियमों की अनदेखी की। फर्जी बिल और कागजात बनाकर माल को आगे भेजा गया। जांच में सामने आया कि कई अफसरों ने ड्यूटी नहीं निभाई। वे भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हैं। अब 27 लोगों पर कार्रवाई की सिफारिश हुई है। इनमें RTO और खनन विभाग के 10 अफसर-कर्मी भी शामिल हैं। क्या है पूरा मामला?
17 सितंबर 2020 को विजिलेंस को एक शिकायत मिली। शिकायत में कहा गया कि जयपुर से बालू और पत्थर का अवैध खनन हो रहा है। यह खनन बिना रॉयल्टी और कागजों के किया जा रहा था। खनिज भरकर ट्रक सीधे आगरा सीमा में भेजे जा रहे थे।
विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। सैंया टोल प्लाजा पर एक अवैध RTO ऑफिस चल रहा था। यहीं पर फर्जी बिल, बिल्टी और कागजात बनाए जा रहे थे। इन फर्जी कागजों से ट्रकों को वैध दिखाया जाता था।
जांच में यह भी सामने आया कि RTO, खनन विभाग और वाणिज्य कर विभाग के अफसर इसमें शामिल थे। उन्होंने जानबूझकर अपनी ड्यूटी नहीं निभाई। वे माल की जांच और दस्तावेजों की पड़ताल नहीं कर रहे थे। इससे अवैध खनन और परिवहन को बढ़ावा मिला। 27 लोगों के खिलाफ सिफारिश, 10 अफसर-कर्मचारियों पर चार्जशीट
विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। रिपोर्ट में 27 लोगों को दोषी माना गया है। इनमें RTO और खनन विभाग के 10 अफसर और कर्मचारी शामिल हैं। इन सभी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गई है। सरकार ने अब इनके खिलाफ चार्जशीट लगाने की मंजूरी दे दी है। वाणिज्य कर विभाग के अफसर भी घेरे में
इस पूरे फर्जीवाड़े में वाणिज्य कर विभाग के 10 कर्मचारियों की भी भूमिका सामने आई है। इन पर आरोप है कि इन्होंने दस्तावेजों की जांच नहीं की और मिलीभगत की। अब इनकी संपत्तियों की जांच के आदेश दिए गए हैं। कई कर्मचारियों ने ड्यूटी के नाम पर मोटी कमाई की है। विजिलेंस यह भी देखेगा कि इनकी संपत्ति आय से ज्यादा तो नहीं। फिलहाल विजिलेंस की जांच जारी है। जो अफसर और कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। बेईमानी करने वालों की संपत्तियां भी जब्त हो सकती हैं। राज्य सरकार इस केस को उदाहरण बनाना चाहती है, ताकि भविष्य में कोई अफसर माफियाओं से न मिले। कार्रवाई की तैयारी एसपी विजिलेंस आलोक शर्मा ने बताया-वर्ष 2020 में दर्ज फर्जीवाड़े के केस में जांच च कर रिपोर्ट फरवरी में शासन को भेजी गई थी। इसमें 27 लोगों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने, 10 कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ अवैध खनन के वाहनों के परिवहन कराने में शामिल होने के साक्ष्य मिले हैं। इन पर अब कार्रवाई की तैयारी है।
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