आकाश दीप की रोशनी से जगमगाया दशाश्वमेध घाट:वीर शहीदों को किया गया नमन, समिति ने परिजनों को दिया “भगीरथ शौर्य सम्मान”
वाराणसी में सेना के शहीद जवानों को अनोखे तरीके से श्रद्धांजलि दी गई। दशाश्वमेध घाट पर सेना के बैंड की धुन के बीच वीर जवानों की याद में आकाशदीप जलाए गए। पुलिस और सेना के जवानों के साथ इस दौरान समाज के अलग-अलग वर्ग से जुड़े लोग इसके साक्षी बने। इस दौरान गंगा आरती के दौरान हजारों श्रद्धालु मौजूद रहें। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा कारगिल युद्ध (1999) के पश्चात अमर शहीदों की पुण्य स्मृति में आरंभ किया गया “आकाश दीप” संकल्प इस वर्ष अपने 26वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। पहले देखें तस्वीर शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
गंगा सेवा निधि के इस ऐतिहासिक संकल्प का उद्देश्य है – देश के अमरवीर योद्धाओं की स्मृति को चिरस्थायी बनाना एवं काशी की परंपरागत आकाश दीप परंपरा को राष्ट्रभक्ति के भाव से जोड़ना। इस अवसर पर 186 बटालियन CRPF के शहीद सुनील कुमार पांडेय, 187 बटालियन के शहीद अरविन्द कुमार यादव, 11 बटालियन NDRF के शहीद रीतेश कुमार सिंह और इन्द्रभूषण सिंह, तथा रेलवे सुरक्षा बल के शहीद रामबहादुर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गंगा सेवा निधि द्वारा इस वर्ष जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों, अहमदाबाद विमान हादसे में मृत यात्रियों, प्राकृतिक आपदाओं एवं वर्षा जनित दुर्घटनाओं में मारे गए नागरिकों की आत्मा की शांति हेतु भी आकाश दीप प्रज्ज्वलित किए गए। साथ ही संस्था के संस्थापक स्व. पं. सत्येन्द्र मिश्र जी को भी भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन
मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ उपस्थित रहे। कार्यक्रम अध्यक्षता महंत शंकर पुरी (अन्नपूर्णा मठ) ने की। विशिष्ट अतिथियों में वाराणसी महापौर अशोक तिवारी, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, 95 बटालियन CRPF के कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकर, वायुसेना के ग्रुप कैप्टन सचिन सूद, मेजर आशीष (39 GTC) उपस्थित रहे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रो. रेवती साकलकर ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी, जिनका साथ तबले पर प्रीतम मिश्र और हारमोनियम पर पंकज मिश्र ने दिया। उनके सुरों ने पूरे घाट को भावपूर्ण वातावरण से भर दिया। देव दीपावली पर जलेगा अखंड ज्योति
समापन अवसर पर देव-दीपावली महोत्सव में शहीदों के परिजनों को “भगीरथ शौर्य सम्मान” और आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इस प्रेरक आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि काशी केवल आध्यात्मिक नगरी नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति की अखंड ज्योति भी है।
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