अखिलेश दुबे बोला- BJP नेता भी नही बचा पाएंगे…:होटल कारोबारी से बातचीत के 6 AUDIO, धमकाया– बहुत ज्यादा पछताएगा

2.5 करोड़ रंगदारी मांगने के मामले में होटल कारोबारी सुरेश पाल के बेटे पुषेंद्र और अखिलेश दुबे से बातचीत के आज 6 और ऑडियो सामने आए हैं, जिनमें अखिलेश दुबे मदद करने के बहाने पुष्पेंद्र पर मिलने का दबाव बनाकर पिता को अपने ‘दरबार’ में भेजने की बात कह रहा है। न आने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दे रहा है। अखिलेश होटल कारोबारी के बेटे से कह रहा है कि बीजेपी नेता भी नही बचा पाएंगे… पुलिस को होटल कारोबारी और अखिलेश दुबे से बातचीत के करीब 35 ऑडियो मिले हैं, जिन्हें वह अपनी जांच में शामिल कर रही है। अब आप पढ़िए अखिलेश दुबे और पुष्पेंद्र के बीच बातचीत के ऑडियो के कुछ अंश… अखिलेश दुबे– क्या हुआ तुम्हारे पिताजी का लफड़ा, साॅल्व हुआ ? पुष्पेंद्र– नही भैया, कहां सॉल्व हुआ अखिलेश दुबे– अरे यार पता नहीं कहां गले में वो हम बार फंसा लेते हैं लफड़ा, थोड़े–थोड़े दिन में। पहले भी मना किया था कि इन सब चीजों से दूर रहो। क्या है मामला ये, ये किसी का पेमेंट का मामला है या किसी का व्यक्तिगत मामला है? पुष्पेंद्र– भैया व्यक्तिगत तो मुश्किल है, ये मेरी जानकारी में भी नहीं है। अखिलेश दुबे– हमने इसलिए पूछा कि जिस ढंग से मुकदमा लिखा गया न, वीआईपी तरीके से। किसी पेमेंट वाले का मुकदमा होता तो कांटेक्ट करता पहले आपको और अगर पर्सनल है तो निपटा लें इसको। जाजमऊ के हैं क्या कोई सूचनाकर्ता इसमें? पुष्पेंद्र– भैया पूरी डिटेल नहीं है इसमें अखिलेश दुबे– फिर ये नौबस्ता में मुकदमा क्यों लिखा गया, ये भी समझना पड़ेगा। अच्छा दूसरी चीज ये है बेटा कि कल चार कमरें खाली है? कोई इमरजेंसी जरूरत पड़ जाए तो, अगर कल होगी तो बता देंगे तुमको। पुष्पेंद्र– ठीक है भैया। अखिलेश दुबे– पुष्पेंद्र कहां हैं तुम्हारे पिता जी ? पुष्पेंद्र– भैया इलाहाबाद में हैं, उनके सिगनल नहीं मिल रहे। इसलिए पता नहीं चल रहा कि कितनी दूरी पर है अखिलेश दुबे– उनके सिगनल नेताओं से मिल रहे हैं, नेताओं से हमको फोन कराएंगे पूछ लो ? अभी बैठा हूं, उनका इंतजार कर रहा हूंं, यहां से उठ जाऊंगा तो इसके बाद इनसे बात नहीं करुंगा बता दिया तुमको। आज इस आदमी ने जो काम किया है, अक्षम्य है यह काम। यही गलती ओम जायसवाल ने की थी और वहीं गलती ये कर रहा है। ये अपनी गलती के लिए बहुत ज्यादा पछताएगा, कि क्या मैंने गलत काम किया है। जब मैने कह दिया कि बंद कमरे में मैटर निपटाओ, ये हमको चूतिया बना रहा है। इलाहाबाद से बाबूजी आए नहीं, मोबाइल बंद किए है, कौन सा नंबर है? पुष्पेंद्र– वो लास्ट में दो वाला अखिलेश दुबे– हां बताओ क्या हुआ? पुष्पेंद्र– भैया वो लेट हो रहे थे, कह रहे थे कि सुबह–सुबह किसी भी टाइम बात कर लेंगे अखिलेश दुबे– नहीं मैं सुबह नहीं बात करूंगा, लेट हो रहे है तो मैं रात में बैठा हूं, मैं बिल्कुल सुबह नहीं बैठूंगा। अगर मैने वापस कर दिया इन लोगों को, मैने इनसे बता दिया था। अगर ये फिर भी नही समझेंगे, तो अपनी बर्बादी अपने हाथ से लिखेंगे। हम फिर सुनेंगे नहीं, ये मैं तुम्हे इसलिए बता रहा हूं कि मामला इतना गंभीर है उनको बता चुके थे। आज जब उनकी बर्बादी शुरू होने जा रही है, तो हम चाह रहे है कि सुबह होने के बाद बैठना बेकार है मेरे लिए। वो इतना बड़ा गवर्नर है कि मोबाइल से भी बात करने को नहीं तैयार है। पुष्पेंद्र– नहीं वो मैसेज कर रहे थे कि रास्ते में है लेट हो जाएंगे। अखिलेश दुबे– लेट हो जाएंगे, 11 बजे तक उनके काम के लिए मैं बैठ सकता हूं तो क्या वो अपने काम के लिए नही आएंगे। बात या तो कराइए आप हमसे। अगर आज ये रिपोर्ट चली गई, तो तुम लोग सोचोगे कि किस दिन की मैने गलती की थी और पछताओगे मेरे पास आकर और मै कहूंगा कि मेरे पास टाइम नहीं तुम लोगों की बाते सुनने का। ये बहुत ही गंभीर मामला है और तुमको नहीं मालूम कि किस लेवल का मामला है। इसलिए मै तुमको समझा रहा हूं। वरना मेरा काम थोड़ी है, जिसका काम है उसको चिंता नहीं तो मैं क्यों परेशान हूं। बात कराओ न फोन से मेरी पुष्पेंद्र– नहीं मैं बात कराता हूं, देखता हूं अभी अखिलेश दुबे– पुष्पेंद्र इमरजेंसी है तुरंत अपने पिता जी से कहो कि तुरंत पांच मिनट में आएं है। साढ़े आठ बजे का समय दिया था मैं बैठा हूं। पुष्पेंद्र– मैं देखता हूं भैया, कही निकले है बाहर अखिलेश दुबे– बाहर निकले हैं तो निकले रहे कल हमसे न कहे कि मेरा नाश क्यों हो गया? बहुत गंभीर बात है इसलिए मैं तुमसे कह रहा हूं। अखिलेश दुबे– पुष्पेंद्र तुम्हारे पिताजी को समझने का भी समय नहीं है क्या ?, अगर ये गलतफहमी हो कि बीजेपी के कार्यक्रम करा लेते हो, तो वहां कोई समस्या नहीं होगी तो ये बात दिमाग से निकाल देना। गंभीरता समझो बात की। पुष्पेंद्र– ऐसा कुछ नहीं भैया, वो इलाहाबाद की डेट का था इसलिए अखिलेश दुबे– हां तो वो डेट का करा लें, उसमें दिक्कतें है इसलिए मैं कह रहा हूं बार–बार और हमसे फोन पर बात नहीं मिल लेना आकर मैं तुम्हें समझाा दूंगा। दो मिनट लगेंगे। पुष्पेंद्र– हां फोन पर नहीं, मैं कोशिश कर रहा हूं कि उनसे कन्वेंस कर लूं अखिलेश दुबे– नहीं नहीं उनको कन्वेंस कर ही लो, लेकिन मुझसे आकर मिल लेना, अभी तुम कहां हो ? पुष्पेंद्र– होटल में भैया अखिलेश दुबे– तो आओ बाहर, दो मिनट मुझसे खड़े–खड़े बात कर लो। े

Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/Uk4dC70