हिंदूओ से नफरत फिर त्यौहारों पर कमाई भी करते है:मुस्लमानों का मेहंदी लगाने का मकसद हमारी बेटियाें को फसानें का है

करवा चौथ और दीपावली जैसे त्योहारों के नजदीक आते ही बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है मेरठ में सोशल मीडिया पर मुस्लिम लड़कों से मेहंदी न लगवाने का कैंपेन चलाया जा रहा है। कुछ संगठन व्हाट्सएप, सोशल मीडिया पर इसके मैसेज सर्कुलेट कर रहे हैं। इस कैंपेन से करवाचौथ, दिवाली जैसे त्यौहार पर मेरठ में सज चुका मेहंदी बाजार टारगेट पर है। महिलाएं भी आगे आकर कह रही है कि हिंदू लड़कियों को मेहंदी लगाने के लिए मुस्लिम लड़के रखे जाते हैं। वो बातचीत बढ़ाकर लव जिहाद के रास्ते पर लड़कियों को ले जाते हैं। त्योहार की नजदीकी को देखते हुए पहले से ही इस तरह के मैसेज सभी लोगाें तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। जिसमें मुस्लिम लोगों हिन्दू त्यौहारों पर बाजार में सक्रिय हो जाते है और हमारी परम्पराओं में दखलअंदाजी क्यों कर रहे है जैसे मुद्दे रखे गये। इस बीच हिंदू त्योहारों में मुस्लिम महिलाओं द्वारा मेंहदी लगाने को लेकर कई महिलाओं ने अपनी राय रखी। भाजपा महानगर उपाध्यक्ष सीमा श्रीवास्तव का कहना है कि जहां भारत की बात होती है, वहां हिंदू-मुस्लिम एकता की बात भी होती है। लेकिन दोस्ती एकतरफा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “एक तरफ आप हिंदुओं से नफरत करते हैं, सर कलम की बात करते हैं, धर्मांतरण और लव जिहाद में शामिल रहते हैं, और दूसरी तरफ हिंदुओं के त्योहारों पर सक्रिय होकर कमाई करते हैं। हिंदू त्योहारों पर मुस्लिम काफी इनकम करते हैं, यह गलत नहीं है, लेकिन जब उसी के जरिए हमारी बहनों को लव जिहाद में फंसाया जाता है तो यह चिंताजनक है।” सीमा शर्मा ने आगे कहा कि, “मैं सभी से निवेदन करती हूं कि इस बार कोशिश करें कि हम अपनी हिंदू बहनों से ही मेंहदी लगवाएं। व्यापारी वर्ग भी लालच में आकर अपने घर या दुकान के बाहर मुस्लिम दुकानदारों को जगह न दें। बेहतर होगा कि यह अवसर हमारे गरीब हिंदू भाई-बहनों को दिया जाए।” उन्होंने कहा कि कलाकारी मुस्लिम समुदाय में अच्छी होती है क्योंकि मेंहदी उनके रस्मों में शामिल है, लेकिन अच्छी मेंहदी लगाना ही काफी नहीं है, उसके पीछे का मकसद भी समझना जरूरी है। हिंदू त्योहारों में काम हमें ही करना चाहिए— सरिता खुल्लर सरिता खुल्लर ने कहा कि, “हम अपने हिंदू त्योहारों में खाली बैठे रहते हैं और मुस्लिम लोग सारा काम करते हैं। भगवान की मूर्तियां भी वे बेचते हैं और बाद में वही तोड़ते हैं। यह हमारा हक है कि हम अपने त्योहारों से जुड़ी सभी चीजें खुद करें। अब जैसे करवा चौथ आ रहा है, तो मेंहदी भी हिंदू लड़कियां ही लगाएं। उन्होंने आगे कहा, “हमारा और मुस्लिम समुदाय का आपसी प्यार बना रहे, लेकिन त्योहारों में दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए।” त्योहार हिंदू समाज के हैं, इन्हें आनंदपूर्वक मनाने दें— उमंग वर्मा देवी पूजा भंडार की संचालिका उमंग वर्मा ने कहा कि करवा चौथ और दिवाली जैसे त्योहार हिंदू समाज के बड़े पर्व हैं। उन्होंने कहा, “मैं सभी हिंदू बहनों से अनुरोध करती हूं कि खरीदारी और मेंहदी जैसे काम अपने ही समाज के लोगों से करवाएं। आजकल मार्केट में मुस्लिमों की भीड़ बहुत बढ़ गई है, वे इन त्योहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन यह हिंदू समाज का पर्व है, इसे हिंदू ही आनंदपूर्वक मनाएं।” पटाखों पर देवी-देवताओं के चित्र नहीं होने चाहिए— प्रेमलता शर्मा प्रेमलता शर्मा का कहना है कि, “हमारे किसी भी प्रोडक्ट, खासकर पटाखों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र नहीं होने चाहिए। इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं।” मुस्लिमों को बढ़ावा न दें, खुद के स्टॉल लगाएं— हिमानी चौधरी हिमानी चौधरी ने कहा कि, “हमें मुसलमानों को त्योहारों में बढ़ावा नहीं देना चाहिए। हमारे पास इतनी हिंदू बहनें और लड़कियां हैं जो काम करना चाहती हैं। हमें अपने स्टॉल खुद लगाने चाहिए और मुसलमानों को एंट्री नहीं देनी चाहिए। जब हम उनके त्योहारों में दखल नहीं देते तो उन्हें भी हमारे त्योहारों में नहीं करना चाहिए।” हमें खुद आगे आकर जिम्मेदारी लेनी चाहिए— नीलम राजपूत नीलम राजपूत ने कहा कि, “हमारे त्योहारों में अगर मुस्लिम शामिल होते हैं तो उसमें गलती हमारी ही है। हमें खुद आगे आकर इन पर्वों में हिस्सा लेना चाहिए। हिंदू बहनों और भाइयों को खुद स्टॉल लगाना चाहिए और एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए।”

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