स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर क्यों उठ रहे सवाल:39 लाख स्मार्ट मीटर, 2 लाख चेक मीटर, बावजूद रीडिंग मिलान का खुलासा नहीं
प्रदेश में लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर उपभोक्ताओं का संदेह दूर नहीं हो पा रहा है। बिजली विभाग ने प्रदेश में 39 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए। लोगों का संदेह दूर करने के लिए पांच प्रतिशत चेक मीटर छोड़े गए हैं। आदेश है कि हर महीने चेक मीटर और स्मार्ट प्रीपेड मीटर की रीडिंग का मिलान कर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा, लेकिन आज तक बिजली कंपनियों ने इसका पालन नहीं किया। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर तत्काल हस्तक्षेप कर रिपोर्ट सार्वजनिक कराने की मांग की है। चेक मीटर का नहीं कर रहे मिलान प्रदेश में अब तक बिजली वितरण कंपनियों ने 39 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए हैं। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के निर्देश के अनुसार स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर उपभोक्ताओं में कई तरह के संदेह हैं। उनका भरोसा जीतने के लिए 5% चेक मीटर लगाए जाएंगे और उनकी मासिक रीडिंग मिलान कर डेटा रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) को भेजा जाएगा। 21 सितंबर 2023 को आरईसी के कार्यकारी निदेशक ने इस संबंध में प्रोफार्मा के साथ आदेश भी जारी किया था। और 15 सितंबर तक हर हाल में इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था। यूपी में 39 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद चेक मीटर के तौर पर 2.24 लाख मीटर छोड़े गए हैं। पर ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। प्रदेश में सबसे अधिक पूर्वांचल में लगा गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर प्रदेश में अब तक 39,33,924 स्मार्ट प्रीपेड मीटर और 2,24,226 चेक मीटर स्थापित किए गए हैं। यह स्मार्ट मीटरों का करीब 5.7% है। इन आंकड़ों के बावजूद, बिजली कंपनियों ने रीडिंग मिलान की कोई जानकारी साझा नहीं की। इससे उपभोक्ताओं में यह धारणा बन रही है कि स्मार्ट मीटर तेज चलते हैं। और बिजली बिल में अनावश्यक बढ़ोतरी हो रही है। योजना की लागत में भी गड़बड़ी का आरोप स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना की कुल लागत 27,342 करोड़ रुपए है, जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित 18,885 करोड़ रुपए से करीब 8,500 करोड़ रुपए अधिक है। ये अतिरिक्त राशि खर्च करने की क्या वजह है। बिजली कंपनियों की उदासीनता और पारदर्शिता की कमी के चलते उपभोक्ताओं का भरोसा टूट रहा है। मिलान रिपोर्ट जारी न होने से उपभोक्ताओं में भ्रम निर्मित हो रही है। प्रदेश में स्मार्ट मीटरों को लेकर उपभोक्ताओं में भारी नाराजगी है। लोगों की शिकायत है कि मीटर तेज चल रहे हैं और बिल में ‘लोड जंप’ की शिकायतें आम हैं। आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल किया है। उन्होंने बिजली नियामक आयोग से मांग की है कि वह बिजली कंपनियों को 15 सितंबर 2025 तक का डेटा सार्वजनिक करने का निर्देश दे। परिषद ने इस मामले की शिकायत भारत सरकार के रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन को भी भेजी है।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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