शरद-पूर्णिमा पर श्रद्धालु मिट्टी के बर्तनों में बनाते हैं खीर:चित्रकूट में खुले आसमान के नीचे रखी जाती है औषधीय खीर
चित्रकूट में शरद पूर्णिमा के अवसर पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आकर मिट्टी के बर्तनों में खीर बनाते हैं। उसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं में पूर्ण होता है, जिसकी किरणें सीधे खीर पर पड़ने से दमा और श्वास के मरीजों को लाभ मिलता है। यह खीर गाय के दूध और चावल से तैयार की जाती है। श्रद्धालु सुबह स्नान-ध्यान के बाद इस खीर का सेवन करते हैं। चित्रकूट में यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। यह भी माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस तिथि पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। इस रात को चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुणों की मात्रा सर्वाधिक होती है। धार्मिक मान्यता है कि औषधीय गुणों से भरपूर चंद्रमा की ये किरणें मनुष्य को कई बीमारियों से छुटकारा दिला सकती हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। रात भर चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से उसमें भी औषधीय गुण आ जाते हैं। इस खीर का सेवन करने से सेहत अच्छी होती है।
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