वाराणसी MP/MLA कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ सुनवाई पूरी:अमेरिका में सिखों पर की थी टिप्पणी, 17 अक्टूबर को फैसला
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के मामले में वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई पूरी कर ली है। राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज किया जाने की मांग पर साक्ष्य, गवाह और रिपोर्ट का अवलोकन भी कर लिया। कोर्ट में दाखिल दोनों पक्षों के जवाब और वकीलों की जिरह भी सुनी। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ MPMLA नीरज त्रिपाठी की अदालत ने सिखों पर अमेरिका में बयान देने के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। वादी के दस्तावेजों की मजबूती और केस के अहम पहलुओं पर चर्चा सुनी। अब कोर्ट 17 अक्तूबर को अपना फैसला सुनाएगी। बता दें कि वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने पहले पूर्व प्रधान की ओर से दायर याचिका को स्वीकार कर लिया था और राहुल गांधी पर अमेरिका में सिखों पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस चलाने को मंजूरी दे दी थी। जानिए पूरा मामला और राहुल गांधी विवाद सिख सम्प्रदाय के लोगों की भावनाएं आहत सारनाथ थाना क्षेत्र के तिलमापुर में रहने वाले पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र ने MP-MLA कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ याचिका दाखिल की। याचिका में नागेश्वर मिश्र ने बताया कि पिछले दिनों कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे पर भड़काऊ बयान दिया था। इस बयान से सिख सम्प्रदाय के करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। राहुल ने कहा था कि भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है। ना ही उन्हें गुरद्वारा में जाने की इजाजत है। इस बयान का खालिस्तानी आतंकवादी गुरुवंत सिंह पन्नू ने भी समर्थन किया है। उनके बयान से यह लगता है कि उनका मिशन भारत में गृहयुद्ध भड़काने का है। आज यानि सोमवार को पूर्व प्रधान की ओर से कोर्ट में एडवोकेट विवेक शंकर तिवारी और अलख राय ने दलीलें पेश करेंगे। सरकारी वकील के तौर पर एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने पक्ष रखा। अभियोजन की ओर से कोर्ट में मामले में अब तक की कार्यवाही पेश करेंगे। क्या बोले राहुल, जिस पर मचा बवाल राहुल ने कहा था- सिखों को चिंता है कि क्या वे गुरुद्वारे जा सकेंगे 10 सितंबर, 2024 को अमेरिका में राहुल ने कहा था- भारत में सिख समुदाय के बीच इस बात की चिंता है कि उन्हें पगड़ी, कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं? क्या वे गुरुद्वारे जा सकेंगे? ये चिंता सिर्फ सिखों की नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है। देश सबका है, यह BJP नहीं मानती। BJP को समझ में नहीं आता कि यह देश सबका है। भारत एक संघ है। संविधान में साफ लिखा है। भारत एक संघ राज्य है, जिसमें विभिन्न इतिहास, परंपराएं, संगीत और नृत्य शामिल हैं। BJP कहती है कि ये संघ नहीं है, ये अलग है। RSS भारत को नहीं समझती। RSS कहती है कि कुछ राज्य दूसरे राज्यों से कमतर हैं। कुछ भाषाएं दूसरी भाषाओं से, कुछ धर्म दूसरे धर्मों से, कुछ समुदाय दूसरे समुदाय से कम हैं। हर राज्य का अपना इतिहास, परंपरा है। RSS की विचारधारा में तमिल, मराठी, बंगाली, मणिपुरी हैं, ये कमतर भाषाएं हैं। इसी बात पर लड़ाई है। RSS भारत को नहीं समझती। राहुल गांधी ने कहा था- आरक्षण खत्म करने का सही समय नहीं राहुल ने कहा था- आरक्षण खत्म करने का अभी सही समय नहीं। कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी, जब सही समय होगा। जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपए में से 10 पैसे मिलते हैं, दलितों को 100 रुपए में से 5 रुपए मिलते हैं और OBC को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है। भारत के बिजनेस लीडर्स की लिस्ट देखें। मुझे लगता है कि टॉप 200 में से एक OBC है, जबकि वे भारत में 50% हैं, लेकिन हम इस बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं। वाराणसी कोर्ट में यह याचिका तिलमापुर के पूर्व प्रधान नागेश्वर मिश्रा ने दायर की थी। हालांकि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 28 नवंबर, 2024 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने MP-MLA कोर्ट ने याचिका दाखिल की, जिसे जज यजुवेंद्र विक्रम सिंह की कोर्ट ने बाद में अपनी सहमति दे दी। 28 नवंबर 24 को खारिज हुई थी पहली याचिका वादी तिल्मापुर निवासी नागेश्वर मिश्र ने इसे भारत विरोधी बयान बताते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ वाराणसी की कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया था। उक्त कोर्ट ने नागेश्वर मिश्र की याचिका को 28 नवंबर 2024 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि देश के बाहर किए गए अपराध के संबंध में भारत सरकार की पूर्वानुमति के बिना नहीं मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इसके विरुद्ध नागेश्वर मिश्र ने अपर सत्र न्यायालय पंचम के समक्ष एक पुनर्विचार याचिका प्रस्तुत की थी। अब इस मामले में 17 अक्टूबर को फैसला आएगा।
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