रामपुर में जुबैर का एनकाउंटर:गोरखपुर में NEET छात्र की मां बोलीं- कालिया मारा गया, ऐसे ही रहीम और सारे हत्यारे मारे जाएं
रामपुर में मेरे बेटे के हत्यारे जुबैर उर्फ कालिया का एनकाउंटर किया गया है। ऐसे ही रहीम समेत सारे हत्यारों को गोली मारकर मारा जाए। तब मेरी मन को शांति मिलेगी। तभी मेरे बेटे दीपक की आत्मा भी शांत होगी। सीएम योगी ने जो कहा है, वो करके दिखा रहे हैं। लेकिन जब तक सारे हत्यारे जिंदा हैं, मेरा मन शांत नहीं हो सकता है। यह बातें नीट छात्र दीपक की मां सीमा गुप्ता ने कही। उन्हें जब पता चला कि 26 सितंबर की देर रात रामपुर जिले में पुलिस मुठभेड़ में कालिया मारा गया। तब अपने बेटे की फोटो लेकर रो पड़ी। पिपराइच के महुआचाफी गांव 15 सितंबर की वो रात कभी नहीं भूल सकता, जब उनका प्रिय दीपक हमेशा के लिए बुझ गया। एक तरफ बेटे दीपक को याद कर मां सीमा देवी का चेहरा बार-बार आंसुओं से भीग जाता है। पिता दुर्गेश की आंखें निराश होकर सूनी पड़ गई हैं। वहीं घटना के 12 दिन बाद गांव में अभी भी सन्नाटा पसरा है। दीपक को यादकर ग्रामीण भी गमगीन हो जाते हैं। शनिवार को दैनिक भाष्कर से बात करते हुए चाचा सुरेंद्र और भाई प्रिंस ने कहा कि दीपक सिर्फ उनका बेटा या भाई नहीं था बल्कि पूरे गांव का सपना था। वह डॉक्टर बनकर न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन करना चाहता था। 15 सितंबर की रात पशु तस्करों ने बेरहमी से ईंट से कूचकर दीपक को मौत के घाट उतार दिया था। जिस जगह से उसकी लाश बरामद हुई, वहां आज भी लोग जाते हुए सहम जाते हैं। गांव के लोग कहते हैं कि दीपक शांत स्वभाव का लड़का था, उसकी किसी से दुश्मनी नहीं थी। इधर, शुक्रवार को मुख्य आरोपी जुबैर के मारे जाने की सूचना पर आसपास के गांव के लोग दीपक के घर के पास स्थित मंदिर पास एकत्रित होकर बातचीत करते हुए नजर आए। मंदिर में आत्मा की शांति के लिए कराया अनुष्ठान जुबैर के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद शनिवार को दीपक की आत्मा की शांति के लिए परिवार ने जंगल धूसड़ स्थित एक मंदिर में अनुष्ठान कराया। बाबा खरबान, पिता दुर्गेश, चाचा सुरेंद्र और भाई प्रिंस समेत परिवार व गांव के कई लोग वहां मौजूद रहे। पूजा-पाठ के दौरान माहौल बेहद भावुक था। हर किसी की आंखें नम थीं। ग्रामीण भी इस अनुष्ठान में शामिल हुए और दीपक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। दीपक की हत्या के बाद गांव में आक्रोश और डर दोनों है। लोग खुलेआम कहते हैं कि जब तक इस हत्याकांड में शामिल सभी आरोपियों को पकड़ा नहीं जाता है। गांव को चैन नहीं मिलेगा। एक आरोपी के एनकाउंटर से लोगों को थोड़ी तसल्ली जरूर मिली है। लेकिन परिवार का दर्द अब भी जस का तस है। वहीं मां सीमा देवी बार-बार यही दोहराती हैं कि उनका बेटा वापस नहीं आएगा, लेकिन जब तक उसके हत्यारों को सजा नहीं मिलेगी, उसकी आत्मा भी तड़पती रहेगी। यह शब्द पूरे गांव में गूंजते हैं। हर सुनने वाले का दिल दहल जाता है। एसटीएफ की सख्ती से बढ़ी उम्मीद पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई ने गांव वालों में उम्मीद जगा दी है। लोग कहते हैं कि जिस तरह जुबैर का अंत हुआ है। उसी तरह बाकी आरोपियों को भी सजा मिलनी चाहिए। एसटीएफ ने दावा किया है कि जल्द ही वहाब और उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी होगी जिससे इस संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकेगा। जानिए घटना वाले दिन की कहानी विस्तार से… टाइम – 11.40 बजे (15 सितंबर) स्पॉट – पिपराइच (गोरखपुर) पशु तस्करों का पीछा करते हुए NEET स्टूडेंट दीपक गांव वालों से करीब 250 मीटर आगे निकल गया। तस्कर 2 पिकअप लेकर आए थे। इसका अंदाजा गांव के लोगों को नहीं था। एक पिकअप गाड़ी के पीछे दीपक भी स्कूटी से भाग रहा था, तस्करों ने गाड़ी के पीछे भाग रहे दीपक को देखा तो पकड़ लिया। गांव के लोग काफी दूरी पर थे। गांव के लोगों ने बताया कि हमने देखा कि दीपक अकेला ही तस्करों से भिड़ गया। आंखों के सामने 4-5 बदमाश उसको पकड़कर पिकअप के अंदर खींच ले गए। लोगों ने कहा- पिकअप के अंदर क्या हुआ, ये हमें नहीं पता। मगर 1.30 घंटे बाद दीपक की लाश गांव से करीब 4km दूर मिली। तस्करों ने दीपक के साथ इस कदर हैवानियत दिखाई कि उसके सिर और कान की 6 हड्डियां टूट चुकी थीं। ज्यादा खून बहने से उसकी मौत हो गई थी। गांव के ही एक व्यक्ति बताते हैं कि जब वह गाड़ी के कुछ करीब पहुंचे, तो तस्कर ने पिस्टल दिखाकर धमकी दी- मार देंगे, भाग जाओ…। जान प्यारी नहीं है क्या? दीपक के दाह संस्कार के बाद भी गांव के लोगों का गुस्सा थम नहीं रहा। हत्या के 36 घंटे के अंदर पुलिस ने 1 लाख के इनामी पशु तस्कर अब्दुल रहीम को कुशीनगर के रामकोला से पकड़ा। उसके दोनों पैरों में गोली लगी है। इस मुठभेड़ में बिहार का उसका साथी मन्नू सेठ भागने में कामयाब हो गया। 3 और तस्करों को भी पकड़ा गया है। यही वो तस्कर थे, जिन्होंने दीपक को पीटा था। दैनिक भास्कर टीम ने गोरखपुर के पिपराइच इलाके में दीपक की हत्या के बाद एक बार फिर पहुंची। गांव के बाहर पुलिस की एक जीप खड़ी दिखी। मगर पुलिस के जवान गांव के अंदर नहीं जा रहे थे। बताया गया कि लोगों में पुलिस को लेकर गुस्सा ज्यादा है, कुछ चुनिंदा पुलिस वाले ही घर में सुरक्षा के लिए मौजूद हैं। गांव के लोग यही मान रहे हैं कि पुलिस दीपक को छुड़ाने में ताकत लगाती, तो दीपक बच जाता। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… दादी चीख रहीं- फंदे पर लटका दो इन बदमाशों को
गांव के लोगों की बातचीत को समझते हुए हम दीपक के घर पहुंचे। घर को बाहर से देखकर ही अंदाजा लगा कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। घर की दीवारों पर प्लास्टर तक नहीं था। घर के दरवाजे पर एक बुजुर्ग महिला बैठी थीं। लोगों ने बताया कि वो दीपक की दादी अमरावती हैं। वो रोते-रोते चीख पड़ती थीं। मेरे घर का बेटा चला गया। नाश हो इन बदमाशों का…। फंदे पर लटका दो ऐसे लोगों को…। इनके घरों पर बुलडोजर चलवा दो। घर के अंदर भी महिलाएं इकट्ठा थीं। दीपक की मां सीमा भी बेहाल हो रही थीं, गांव की महिलाएं उन्हें संभाल रही थीं। वहां मौजूद लोगों से हमने दीपक के परिवार के बारे में जाना। बताया गया कि दीपक के पिता दुर्गेश 3 भाई है। सुरेंद्र और वीरेंद्र के परिवारों को मिलाकर 16 सदस्य एक ही घर में रहते हैं। दुर्गेश के 2 बेटे हैं। बड़ा बेटा दीपक और छोटा प्रिंस 9वीं क्लास में पढ़ता है। सुरेंद्र के 3 बच्चे अदिति, आराधना और कृष हैं। छोटे भाई वीरेंद्र के 2 बच्चे अयांश और प्रियांश हैं। छोटे भाई बोले- तस्कर बोला, हम पुलिस वाले हैं… हमने घर के बाहर ही बैठे परिवार के बच्चों से बात की। वह बहुत मासूमियत से कहते हैं- दीपक हमारे भैया थे, अब वो भगवान के पास चले गए हैं। हमें सबने बताया कि उन्हें चोरों ने मार डाला है। दीपक के छोटे भाई प्रिंस गुप्ता कहते हैं- उस रात मैं चाचा की बाइक पर बैठकर गया था। मैं भी गांव के लोगों के साथ पशु तस्करों को मारने के लिए आगे बढ़ा था। तब उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। तस्कर ने गुस्से से कहा- हम लोग पुलिस वाले हैं। तुम्हारे गांव जांच करने आए हैं, मेरा शरीर बिल्कुल शांत पड़ गया। उसने मुड़कर अपने साथी से कहा- इसको पिकअप में लाद लो। यह सुनते ही मैंने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ा लिया और पीछे की तरफ भाग निकला। चाचा बोले- बदमाशों के हाथ में तमंचा देखकर हम पीछे हटे
दीपक के चाचा वीरेंद्र कहते हैं- 15 सितंबर को हम लोग घर पर खाना खाकर सो चुके थे। तभी मेरे भांजे मोनू का कॉल आया। उसने कहा कि गोदाम के पास सड़क पर 2 पिकअप लेकर चोर आए हैं। गाड़ी खड़ी करके सड़क पर टहल रहे हैं। मैंने उससे कहा कि बगल में ही रहने वाले परिचित से मदद मांगो। मोनू गांव के बाहर सड़क किनारे बने गोदाम में ही रहता था। मोनू रात के समय बाहर सड़क की तरफ निकला। तभी एक बदमाश ने उसे देख लिया। बदमाश तमंचा लेकर उसके पीछे दौड़ा। वह गोदाम के अंदर आ गया, दरवाजा बंद कर लिया। उसने फिर फोन कर सारी बात बताई। तब पूरा परिवार बाइक से गोदाम के लिए निकला। वहां जाने पर बदमाश पत्थर मारने लगे। उनके हाथ में तमंचा भी था। यह देखकर हमलोग पीछे हट गए। इसके बाद वे गाड़ी लेकर भागने लगे। तब दीपक स्कूटी से उनका पीछा करने लगा। करीब 250 मीटर आगे निकलने पर ही पशु तस्करों ने गाड़ी रोक दी। उन्होंने दीपक को पकड़ लिया। गांव के एक व्यक्ति ने बताया- दीपक पशु तस्करों से हाथ छुड़ाने के लिए लड़ रहा था। लेकिन गाड़ी से 5-6 की संख्या में निकले बदमाश मिलकर उसे काबू में किए। इसके बाद सब मिलकर उसे पिकअप में लाद लिए। इस दौरान उसे मारा-पीटा भी था। रात करीब 1.30 बजे उसकी लहूलुहान लाश मिली थी। क्रिकेट किट देखकर रोने लगते हैं दोस्त
घर के ही एक कोने में दीपक की क्रिकेट किट रखी थी। जिसे छोटे भाई प्रिंस ने बाहर निकाला। बैग के अंदर से बैट, पैड और हेलमेट निकालते समय वह रोने लगा। इस दौरान दीपक के दोस्त भी वहां आ गए। दोस्तों ने बताया- दीपक बहुत अच्छा बैट्समैन था। कॉलेज के मैच में दूर-दूर से लोग सिर्फ देखने आते थे। गांव के कई मैच में ज्यादा पैसे लगते थे। तब लोग दीपक के ऊपर ही दांव लगाते थे। क्योंकि वो मैच जिताने वाली पारी खेलता था। दीपक मेडिकल कॉलेज रोड पर प्रकाश स्टेडियम में प्रैक्टिस करने जाता था। वहां कोच सूरज यादव से मुलाकात हुई। वह बताते हैं- दीपक ने एक महीने पहले अंडर-19 का ट्रॉयल भी दिया था। वो टैलेंटेड था, स्टेट लेवल के टूर्नामेंट में अच्छा परफार्म करता था। वो T-20 में देश के लिए खेलना चाहता था, मगर इससे पहले ये हादसा हो गया। उसको इस तरह से नहीं मरना चाहिए था। टीचर बोले- यूट्यूब से भी करता था पढ़ाई
दीपक को पढ़ाने वाले टीचर कृष्ण पांडेय बताते हैं- दीपक पढ़ने में बहुत होशियार था। वह कहता था कि मेरे पापा को लोग कंपाउंडर कहकर बुलाते हैं। मुझे डॉक्टर बनकर उनका सपना पूरा करना है। अगले साल वह एक बड़ी कोचिंग में एडमिशन भी कराने वाला था। वह यूट्यूब से भी पढ़ाई करता था। तैयारी के लिए जितने भी सोर्स होते हैं, वह सबका इस्तेमाल करता था। मेरे कमरे पर आकर वह घंटों पढ़ता रहता था। उसे कुछ भी समझाओ, वह तुरंत समझ जाता था, इसलिए उसे पढ़ाना अच्छा लगता था। अब पुलिस जांच जानिए गांव वालों ने जिस पिकअप को फूंका, वो बरेली में खरीदी गई
गोरखपुर में पशु तस्करों ने जब छात्र की हत्या कर दी, तो गांव वालों ने पिकअप को फूंक दिया। पुलिस ने उसके नंबर को ट्रेस किया, तो वह भोजीपुरा के अभयपुर में रहने वाले तस्लीम खान के नाम से खरीदी गई थी। जांच में पता चला कि तस्लीम एक ट्रक ड्राइवर है और ट्रक चलाकर ही परिवार का पालन पोषण करता है। जिस पिकअप को जलाया गया है, तस्लीम ने उसे लोन पर लिया था। जब बरेली पुलिस ने जांच की, तो सामने आया कि तस्लीम इस गाड़ी को 2024 में ही बेच चुका था। किस्त नहीं भर पाने की वजह से उसने 26 दिसंबर, 2024 को भोजीपुरा के ही मिर्जापुर पचोदरा में रहने वाले नबी जान को बेची थी। टीम नवी जान के पास पहुंची तो पता चला कि नवी जान भी उस पिकअप को इसी साल 25 फरवरी को रामपुर के टांडा में रहने वाले सोनू को बेच चुका था। पुलिस की टीम ने गाड़ी का पीछा करते हुए रामपुर पुलिस से संपर्क किया। वहां से पता चला कि सोनू ने इस पिकअप को 9 अप्रैल, 2025 को मुरादाबाद के बिलारी में रहने वाले शानू आलम को बेच दी। पुलिस को तस्लीम और नबी जान का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। पशु तस्करी के 3 रूट, बिहार के गोपालगंज, चंपारण से चल रहा नेटवर्क गोरखपुर में 3 रूट से पशु तस्कर आते हैं। ट्रक और पिकअप में पशुओं को भरकर बॉर्डर क्रॉस करके बिहार चले जाते हैं। गोपालगंज और चंपारण से पूरा नेटवर्क चलाया जा रहा है। तस्करों को ये भी जानकारी होती है कि पिकेट कहां-कहां पर तैनात हैं, बाकायदा रूट मैप बनाए जाते हैं। पहला रूट – कोड़ीराम से होते हुए कैंपियरगंज की ओर जाता है। दूसरा रूट – देवरिया मार्ग से होते हुए सहजनवां की तरफ जाता है। तीसरा रूट – महाराजगंज बॉर्डर की तरफ जाता है। दीपक को मारने वाले 4 तस्कर अरेस्ट, भेजे गए जेल
घटना के करीब SSP राज करन नय्यर ने जंगल धूषण चौकी इंचार्ज ज्योति नारायण तिवारी समेत 4 कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया था। पूरी चौकी के खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी थी। इस मामले में पुलिस 4 पशु तस्करों को पकड़ चुकी है। इसमें बिहार के गोपालगंज के अजब हुसैन को गांव के लोगों ने पकड़कर पुलिस को सौंपा था। पुलिस ने छोटू और राजू को बाद में सर्च ऑपरेशन के दौरान पकड़ा। वहीं कुशीनगर के रहीम के दोनों पैर में गोली मारकर अरेस्ट किया गया। रहीम ने पुलिस कस्टडी में पशुओं को पकड़ने के लिए गांव में जाने से लेकर भगाने तक की कहानी सुनाई। हालांकि उसके बयानों से यही सामने आया कि गांव वालों ने जब उन्हें घेर लिया, तब वह बचने के लिए जो भी सामने आ रहा था, उस पर हमला कर रहे थे। दीपक को पिकअप में खींचने के बाद वह काबू में नहीं आ रहा था, इसलिए सिर पर लोहे की रॉड मारी थी। उसके बाद उसको गाड़ी से बाहर फेंक दिया गया था। पुलिस ने चारों तस्करों को कोर्ट में पेश करने के बाद उसको जेल भेजा गया है। अब इस मामले में हुई सियासत को समझिए ………………… यह भी पढ़ें : गोरखपुर में पशु तस्करों ने की NEET छात्र की हत्या:SP घायल, बवाल-आगजनी; पुलिस चौकी सस्पेंड, अमिताभ यश पहुंचे गोरखपुर में पशु तस्करों और ग्रामीणों में भिड़ंत हो गई। पशु तस्करों ने NEET की तैयारी कर रहे छात्र को खींच लिया। उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। लाश को घर से 4 किमी दूर फेंक दिया। साढ़े चार घंटे बाद घरवालों को छात्र की खून से लथपथ लाश मिली। उसका सिर कुचला हुआ था। पढ़िए पूरी खबर…
Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/6Rh1FNG
Leave a Reply