बिजली कर्मचारियों ने की निजीकरण रद्द करने की मांग:गोरखपुर में विद्युत संशोधन बिल 2025 का किया विरोध

गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भारत सरकार के ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 का कड़ा विरोध किया। समिति ने चेतावनी दी है कि इस बिल के प्रावधान प्रदेश में सरकारी विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ हैं। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया कि निजीकरण का निर्णय तुरंत रद्द किया जाए और पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को सरकारी क्षेत्र में बनाए रखा जाए। पदाधिकारियों ने जताई गंभीर आपत्ति संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया ने बताया कि सरकार के इस फैसले से 42 जनपदों में निजी कंपनियों का एकाधिकार (monopoly) स्थापित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बिल के प्रावधानों के अनुसार सरकारी वितरण निगमों को बनाए रखना संभव है, लेकिन प्रदेश सरकार का निर्णय इसके विपरीत है। बिल के प्रावधान और जनहित का विरोध ड्राफ्ट बिल में सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे विद्युत वितरण निगमों को कार्य जारी रखने की अनुमति है। निजी कंपनियों को केवल सरकारी नेटवर्क का उपयोग कर लाइसेंस दिए जा सकते हैं। संघर्ष समिति ने इसे भी जनहित विरोधी प्रावधान बताया और कहा कि इस पर केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को जल्द ही प्रतिवेदन भेजा जाएगा। निजीकरण के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन बिजली कर्मचारियों ने कहा कि प्रदेश में 42 जनपदों के निजीकरण का निर्णय सरकारी नीति के खिलाफ है। यही कारण है कि निजीकरण विरोधी आंदोलन के 317वें दिन, गोरखपुर सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने व्यापक प्रदर्शन और विरोध जारी रखा। पदाधिकारियों ने चेताया कि यदि निजीकरण का निर्णय तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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