बाबा की नगरी में मां जगदम्बा का उत्सव:512 दुर्गा पंडालों में आज से माता देगी दर्शन,रंग बिरंगी लाइटों से सजा शहर
आज नवरात्रि की सप्तमी है आज से वाराणसी के 512 दुर्गा पंडालों में रौनक देखने को मिलेगी। पूजा पाठ के बाद माता के आंख पर लगी पट्टी को खोल दिया जाएगा और भक्त दर्शन कर सकते हैं काशी में विभिन्न थीम पर दुर्गा पंडाल को सजाया गया है। बड़े-बड़े गेट लगाए गए हैं और सड़क को रंग-बिरंगे लाइटों से सजाया गया इस मेले में शामिल होने के लिए वाराणसी ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। बीएचयू में महाषष्ठी पर पूजन में पहुंचे वीसी रविवार को शारदीय नवरात्र की महाषष्ठी पर पूजा पंडालों में प्रतिमाओं को विराजमान कराया गया। सायंकाल मुहूर्त के अनुसार ढाक की थाप के साथ देवी का आह्वान आरंभ हुआ। पंडाल में धूप और गुगुल की सुवास के बीच सप्तशती के ओजस मंत्रों से माता का आगमन हुआ और मिनी बंगाल के रूप में काशी भी निखर उठी। पूजन के दौरान मंत्रोच्चार के बीच देवी को वस्त्र और आभूषण धारण कराए गए। स्वर्ण आभूषणों के साथ ही मां जगदंबा की भुजाओं को अस्त्र और शस्त्र से सुशोभित किया गया। पंडालों में विराजीं माता, कहीं 105 तो कहीं 70 साल की पूजा केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष तिलकराज मिश्र ने बताया कि दुर्गोत्सव सम्मिलनी 105 साल, यंग ब्वायज क्लब 68 साल, केडीएस 65 साल, टाउनहाल में 60 और प्रह्लाद घाट पर होने वाली पूजा अपने 63वें साल में प्रवेश कर गई है।गायघाट स्थित शारदा विद्या मंदिर में पिछले 53 वर्षों से देवी दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। अब समझिए काशी के बंगाली समाज की पूजा का विधान दुर्गा पूजा में पूजा की शुरुआत बंगाली समाज में पंचमी तिथि को बिल्व निमंत्रण दिया जाता है और इसके बाद कलश स्थापना होती है। इसके बाद हर तिथि पर विशेष अनुष्ठान की परंपरा निभाई जाती है और हर तिथि का विशेष महत्व भी होता है। खासकर सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर विशेष पूजा होती है। दशमी तिथि पर मां को विदाई देने से पहले महिलाएं पूजा पंडाल में सिंदूर खेला का उत्सव मनाती हैं। इसमें महिलाएं मां के चरणों में सिंदूर अर्पित करती है और फिर वहीं सिंदूर पूरे साल इस्तेमाल करती हैं। इसके बाद मां को विदाई दी जाती है।
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