“बच्चे मिकी माउस जानते, पर शिवाजी नहीं”:जाणता राजा महानाट्य में बोले केन्द्रीय मंत्री प्रो. बघेल, मैदान में गूंजे राष्ट्रभक्ति के स्वर
कलाकृति कन्वेंशन सेंटर में दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा प्रस्तुत ऐतिहासिक महानाट्य ‘जाणता राजा’ के दूसरे दिन शिवाजी महाराज के जीवन, मातृभक्ति, धर्मनिष्ठा और स्वराज्य के आदर्श मंच पर जीवंत हुए। मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने कहा — “आज के बच्चे मिकी माउस और हैरी पॉटर को जानते हैं, लेकिन जीजाबाई और समर्थ रामदास को नहीं पहचानते। हमें अपने इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए, न कि पश्चिम से।” उन्होंने कहा कि आगरा की धरती गौरवशाली है, क्योंकि यहां के सिपाहियों ने औरंगजेब की कैद से शिवाजी और संभाजी महाराज को मुक्त कराने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी। आगरा का गौरव और शिवाजी की मुक्ति की कथा केंद्रीय मंत्री और सांसद प्रो. बघेल ने कहा कि औरंगजेब ने छलपूर्वक शिवाजी महाराज को आगरा में कैद किया था, लेकिन यहां के हिंदू सिपाहियों ने लड्डू के टोकरों में छिपाकर उनकी मुक्ति का मार्ग बनाया। उन्होंने कहा, “हमारे पुरखे राणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, शिवाजी-संभाजी, जीजाबाई और गुरु नानक हैं — और यही हमारी सच्ची विरासत है।” बघेल ने युवाओं से राष्ट्रवाद और आत्मगौरव की भावना अपनाने का आह्वान किया। स्वराज्य के सिद्धांतों से युवाओं को करें जागृत-आचार्य राम चरण दास विशिष्ट अतिथि महामंडलेश्वर आचार्य राम चरण दास महाराज ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन सनातन संस्कृति की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने संस्कृत श्लोकों के माध्यम से कहा — “अयोग्यो पुरुषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः” — कोई व्यक्ति अयोग्य नहीं, संयोजक दुर्लभ होता है। ‘जाणता राजा’ के मंचन में झलका मातृत्व, भक्ति और पराक्रम का संगम दूसरे दिन का मंचन तुलजा भवानी की आराधना से आरंभ हुआ।जीजाबाई की भूमिका में तेजस्विनी नागरे ने मातृत्व और राष्ट्रप्रेम का आदर्श रूप प्रस्तुत किया। कृष्ण भक्ति के प्रसंग “तुम हो कृष्ण कन्हाई…” ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया, वहीं युद्ध और राजनीति के दृश्यों ने शिवाजी महाराज की वीरता, नीति और धर्मशीलता को उजागर किया। लावणी नृत्य, प्रकाश-संगीत और संवादों ने प्रस्तुति को जीवंत बना दिया। दर्शकों ने कहा कि यह नाटक केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि ‘राष्ट्र चेतना का माध्यम’ है। नाट्य मंचन की देखिए तस्वीरें मंचन के एक प्रमुख दृश्य में शिवाजी महाराज ने युद्ध में पराजित पक्ष की महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त किया, यह कहते हुए कि “स्त्री का सम्मान ही सच्चे योद्धा का धर्म है।” इस प्रसंग ने सभागार में उपस्थित हर दर्शक को गहराई से प्रभावित किया। शिवाजी महाराज की गाथा से गूंजा आगरा सभागार में उपस्थित हजारों दर्शक मराठी संस्कृति, धर्मनिष्ठा और राष्ट्रप्रेम के इस अनूठे संगम से भावविभोर हो उठे। प्रकाश, ध्वनि और भव्य मंच सज्जा ने शिवकालीन युग को जीवंत कर दिया। नाटक में समुद्री सेना, किलों की संरचना और रणभूमि के दृश्य इतने सजीव थे कि दर्शकों ने स्वयं को उस कालखंड में पाया। अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, महामंडलेश्वर आचार्य राम चरण दास, न्यायमूर्ति श्री प्रकाश, मंडलायुक्त शैलेन्द्र कुमार सिंह, डीआईजी शैलेश कुमार, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक आशीष गौतम भैया, स्वागत समिति अध्यक्ष राकेश गर्ग, सीए संजय माहेश्वरी, विधायक छोटेलाल वर्मा, भाजपा महानगर अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता, तथा कई प्रतिष्ठित अतिथि उपस्थित रहे।
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