बच्चे पूछ रहे-पापा कब आएंगे, परिजन ने उम्मीद नहीं छोड़ी:सैलाब में बह गए थे यूपी के 6 लोग, उत्तराखंड में बादल फटने से तबाही
सहारनपुर के मीरपुर गांव से उत्तराखंड कमाने गए 6 मजदूर हादसे का शिकार हो गए। गुरुवार को तीन मजदूरों के शव मिले जबकि तीन मजदूर अभी भी लापता हैं। सभी मजदूर 15 सितंबर को देहरादून में बादल फटने से आई बाढ़ में बह गए थे। डूबे गए सभी मजदूर एक ही गांव के थे। 7 सितंबर को एक साथ देहरादून गए थे। घटना के 84 घंटे से अधिक समय बीत चुका है। तीन मजदूरों की तलाश अभी भी एनडीआरएफ की मदद से जारी है। घरवालों ने भी अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। गुरुवार को दैनिक भास्कर की टीम लापता हुए लोगों के घर पहुंची। गलियों में सन्नाटा पसरा था। कई घरों में आज चूल्हे नहीं जले। हर घर से रोने की आवाजें सुनाई दे रही थी। लोगों ने बातचीत कर अपनी आपबीती बयान की। हादसे से जुड़ी तीन तस्वीरें देखिए… आइए आपको विस्तार से पूरी घटना के बारे में बताते हैं… पहले जानिए हादसा कैसे हुआ उत्तराखंड में 15 सितंबर को बादल फटने से भारी तबाही मची। टोंस नदी के जलस्तर में उफान के बाद पानी और मलबा तेज बहाव के साथ विकास नगर इलाका में सैलाब आ गया। सैलाब ने लोगों को संभलने का मौका भी नहीं मिला, कई लोगों को बहाकर ले गया। इसने घर-दूकानों को भी नुकसान पहुंचाया। इस दैवीय आपदा में मीरपुर गांव के 6 मजदूर भी बह गए थे। वह किराए के मकान में रह रहे थे। ये लोग यूपी के सहारनपुर से मजदूरी करने गए थे। यूपी के छह मजदूरों में तीन के शव मिले बादल फटने के बाद आए सैलाब में बहने वालों में मिथुन (32), श्यामलाल (62), धर्मेंद्र (45), विकास (22) और सुरेंद्र (44) और सचिन (36) शामिल हैं। हालांकि, हादसे के कुछ ही घंटों बाद मिथुन, विकास ओर श्यामलाल के शव मिल गए थे। मिथुन और श्यामलाल चाचा-भतीजे थे। धर्मेंद्र, सुरेंद्र और सचिन अभी भी लापता हैं। उनकी तलाश हो रही है। विकास का शव गुल्लर घाटी में पड़ा मिला विकास का शव सोम नदी में गुल्लर घाटी में पड़ा मिला है। एक कबाड़ी ने इसकी सूचना पुलिस को दी। परिजन थाने में विकास की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे थे तभी सूचना मिली। पुलिस ने शक के आधार पर उनको एक शव देखने की सलाह दी। पहचान कराने लेकर गई। लेकिन चेहरा पहचानने लायक नहीं था। हालांकि, हाथों पर बने टैटू से उसकी पहचान हो गई। परिवार के मुताबकि, विकास का शव घटनास्थल से करीब 30 किलोमीटर दूर मिला था। मिथुन की पत्नी बोली- बेटी बार-बार पूछती है पापा कब आएंगे मीरपुर गांव की रहने वाली कविता ने बताया- पति मिथुन और चचेरे ससुर श्यामलाल मजदूरी करने देहरादून गए थे। वे पत्थर तोड़ने का काम करते थे। 15 सितंबर को पहाड़ों पर बादल फटने से नदी में बाढ़ आ गई। जिसमें वे दोनों बह गए। घरवालों ने उनके बारे में पता करने का काफी प्रयास किया लेकिन पता नहीं चल पाया। घर में 5 बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी साक्षी 15 साल की है, जबकि सबसे छोटी डेढ़ साल की। साक्षी बार-बार पूछ रही है कि मां, पापा कब आएंगे। बाबा क्यों नहीं लौटे। आखिरी बार पापा से बात क्यों नहीं कर पाई। पति की तबीयत खराब थी। मैंने उन्हें रोकना चाहा, लेकिन वे नहीं माने। कहा कि घर पर रहकर क्या करेंगे। जाऊंगा तो कुछ पैसे कमाकर लाऊंगा। धर्मेंद्र ने आखिरी बार फोन पर कहा था- बाहर निकलने में खतरा है यहीं की रहने वाली बबीता ने बताया- पति धर्मेंद्र काम के सिलसिले में गांव के लोगों के साथ देहरादून गए थे। हादसे वाली रात उन्होंने फोन पर मुझसे बात की थी। कहा था कि यहां बहुत बारिश हो रही है। बाहर पानी बह रहा है। निकलना खतरे से खाली नहीं है। अगले दिन जब मैंने दोबारा से उन्हें फोन मिलाया तो घंटी नहीं बजी। हमारी दो बेटियां छवि और मिष्ठी हैं। वे आज भी दरवाजे की ओर टकटकी लगाए बैठी हैं। वे बार-बार एक ही बात कहती हैं कि पापा जरूर लौटकर आएंगे। पहली बार भाई मजदूरी करने गया, फिर लौटकर नहीं आया गांव की ही रहने वाली आरती ने बताया कि मेरा भाई विकास (22) पहली बार घर से बाहर मजदूरी करने निकला था। बरसात में गांव में काम नहीं मिला तो उसने जिद करके देहरादून का रुख किया। घरवालों ने मन न होते हुए भी भेज दिया। भैया ने जाते वक्त कहा था जल्दी लौट आऊंगा। अब न जाने कब आएंगे। पिता हर दिन तलाश में देहरादून जाते हैं, घर आना तक छोड़ दिया है। —————– ये खबर भी पढ़ें… THAR ने महिला टीचर को उड़ाया, गाजियाबाद में पैदल जा रही थी; हवा में उछलकर 15 फीट दूर गिरी गाजियाबाद में गुरुवार को एक महिला टीचर को THAR ने टक्कर मार दी। इससे टीचर पहले गाड़ी के बोनट पर आई और फिर उछलकर 15 फीट दूर सड़क पर जा गिरी। इस हादसे में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। वहीं THAR ड्राइवर गाड़ी लेकर भाग गया। इस पूरी घटना का सीसीटीवी भी सामने आया है। पढ़ें पूरी खबर…
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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