प्रयागराज में सचिन चला रहे ‘फ्री पाठशाला’:शहर के चार स्थानों पर चलती है क्लॉस, 300 से ज्यादा बच्चे प्रतिदिन आते हैं पढ़ने
प्रयागराज के चार अलग अलग स्थानों पर फ्री पाठशाला का संचालन हो रहा है। यहां प्रतिदिन 300 से ज्यादा बच्चे पढ़ाई करने पहुंचते हैं। इस पाठशाला में सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि उन्हें शुरू से ही हुनरमंद बनाया जा रहा है। पिछले 5 साल पहले इस पहल की शुरूआत सचिन सिंह ने की थी। अकेले इस मुहिम को शुरू किया और अच्छी टीम उनके साथ है जो बिना कोई चार्ज लिए बच्चों को पढ़ाने के लिए टाइम-टू-टाइम बच्चों के बीच पहुंचती है। यहां से अभी तक 4 से 5 हजार बच्चे पढ़कर निकल चुके हैं। स्वदेश सेवा संस्थान अभियान के तहत इस मुहिम को युवाओं की टीम आगे बढ़ा रही है। अभी जो चार स्कूलों का संचालन हो रहा है उसमें बड़ा बघाड़ा में भारद्वाज शाखा, तिकोना पार्क तेलियरगंज में संदीपनी शाखा, संगम क्षेत्र में संगम शाखा और सलोरी में विवेकानंद शाखा है। मां को पढ़ाते देखा तो मिली यह सीख सचिन सिंह ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज में छात्र संघ के महामंत्री रहे हैं। वह कहते हैं उनकी मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थीं। वह छोटे बच्चों को अपने केंद्र पर पढ़ाती थीं। वहीं से मन में विचार आया कि यह काम हमें भी करना चाहिए। दोस्तों से 100-100 रुपये लेकर बच्चों के लिए किताब काॅपी आदि की व्यवस्था करता और बस्तियों में जाकर बच्चों को पढ़ाने का करता था। खुद की पढ़ाई के साथ साथ इन बच्चों को भी पढ़ाने का उद्देश्य बनाया है। आज हमारे 15 से ज्यादा साथी हैं जो इन बच्चों को अलग अलग सभी केंद्राें पर पढ़ा रहे हैं। इन्हें आर्ट एंड क्राफ्ट की भी विधिवत ट्रेनिंग दी जाती है। यहीं पर पढ़कर अब इन बच्चों को पढ़ा रही हूं खुशी मिश्रा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से PG कर रही हैं। वह नेपाल की रहने वाली हैं। वह कहती हैं मैं 2 साल से यहां बच्चों को पढ़ाने आती हूं। उद्देश्य है कि उन बच्चों को पढ़ाने पर फोकस करती हूं तो किन्हीं कारणवश शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। ये बच्चे यदि पढ़कर आगे बढ़ेंगे तो मेरा उद्देश्य पूरा हो जाएगा। दीपाली, कभी यहीं पर पढ़ती थीं। आज यह इन बच्चों को फ्री में पढ़ाने आती हैं। उत्कर्ष पांडेय, UPSC की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। वह कहते हैं कि पिछले 3 वर्षों से वह यहां से जुड़े हैं और बच्चों को पढ़ाने आते हैं। निहारिका अभी खुद 9वीं क्लॉस में पढ़ती हैं लेकिन यहां छोटे बच्चों को पढ़ाने आती हैं।
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