डीएम ने कानूनगो को रिवर्ट कर बनाया लेखपाल:विवादित जमीन का एक ही दिन वरासत दर्ज और उसी दिन बैनामा कराने की हुई पुष्टि
कानपुर की एक जमीन पर कानूनगो ने जमकर हेराफेरी की। पैसे के लालच में आकर कानूनगो आलोक दुबे ने विवादित जमीन न्यायालय में विचाराधीन होने के बाद भी विपक्षी से मिलकर उसका बैनामा करा लिया। इतना ही नहीं उसे एक निजी कंपनी को बेच भी दिया। इसके बाद मामला जिलाधिकारी तक पहुंचा तो उन्होंने तत्काल 3 लोगों की एक कमेटी बनाई और पूरे मामले की जांच की। इसके बाद कानूनगो को रिवर्ड कर उसे लेखपाल नियुक्त कर दिया गया। जांच में कानूनगो की 41 संपत्तियां सामने आ चुकी हैं। सेवा पुस्तिका में परिनिन्दा प्रविष्टि दर्ज की जाएगी जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने विवादित जमीन सौदों में मिलीभगत और अभिलेखीय हेरफेर के दोषी पाए गए राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) आलोक दुबे को पदोन्नति-पूर्व मूल पद लेखपाल पर पदावनत ही नहीं किया, इसके अलावा सेवा पुस्तिका में परिनिन्दा प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश दिया। यह निर्णय विस्तृत विभागीय जांच, साक्ष्यों और तीन सदस्यीय समिति (एडीएम न्यायिक, एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली) की संयुक्त आख्या पर आधारित है। शिकायकर्ता की अर्जी पर हुई सुनवाई एक शिकायतकर्ता ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन निवासी शिकायतकर्ता संदीप सिंह ने 2 दिसंबर 2024 को जिलाधिकारी से शिकायत की थी। बताया गया कि सिंहपुर कठार की गाटा 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा 895 में न्यायालयीन वाद लंबित रहने और विक्रेता का नाम खतौनी में दर्ज न होने के बावजूद 11 मार्च 2024 को वरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा करा लिया गया। इसके बाद 19 अक्टूबर 2024 को गाटा 207 को एक निजी कंपनी RNG इंफ्रा को बेच दिया गया। समिति ने इसे पद का दुरुपयोग, मिलीभगत और हित-संघर्ष की श्रेणी में माना। फरवरी में शुरू हुई विभागीय कार्रवाई मामले में 17 फरवरी 2025 को निलंबन के साथ विभागीय कार्यवाही शुरू हुई। 6 मार्च को चार आरोपों का आरोपपत्र जारी हुआ, नोटिस-पत्र, जवाब, साक्ष्य-आह्वान और 21 अगस्त को व्यक्तिगत सुनवाई तक पूरी प्रक्रिया चली। इस पूरे मामले में संदीप की तहरीर पर थाना कोतवाली में 25 मार्च को कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था। इसके बाद दोनों ही लोग अरेस्टिंग स्टे ले आए थे। जन-विश्वास को चोट पहुंचाने वाला कृत्य है डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले में कहा कि विवादित प्रकरणों में एक ही दिन वरासत और बैनामा कराना और अल्प अवधि में आगे विक्रय कर देना राजस्व अभिलेखों की शुचिता और जन-विश्वास को चोट पहुंचाने वाला कृत्य है। इसी आधार पर आलोक दुबे को कानूनगो संवर्ग से हटाकर लेखपाल पद पर रिवर्ट किया गया है। प्रकरण में संबंधित क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी की भूमिका भी गंभीर रूप से चिन्हित हुई है, जिनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई एसडीएम सदर स्तर पर विचाराधीन है। जिलाधिकारी ने साफ किया कि अभिलेखों से छेड़छाड़, कूटरचना या मिलीभगत पर सख्त कार्रवाई होगी और जमीन का खेल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। संपत्तियों की होगी जांच जांच में ये भी सामने आया है कि कानूनगो आलोक दुबे की करीब 41 संपत्तियां है। इन सभी संपत्तियों की जांच गुप्त रूप से कराई जा रही हैं। जिलाधिकारी द्वारा नामित एक कमेटी इस पर काम कर रही हैं, जल्द ही उस पर भी एक रिपोर्ट सामने आने की उम्मीद हैं।
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