टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षकों का प्रदर्शन:प्रधानमंत्री ने नाम सौंपा ज्ञापन, फैसले पर पुनर्विचार की मांग
बलरामपुर में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के सैकड़ों सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के विरोध में प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर एकत्रित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें टीईटी अनिवार्यता के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला देशभर के लाखों शिक्षकों के लिए निराशाजनक और अन्यायपूर्ण है। संघ ने तर्क दिया कि जो शिक्षक टीईटी लागू होने से पहले भर्ती हुए थे और वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें अब पात्रता परीक्षा देने की आवश्यकता क्यों है, जबकि उनकी अनुभव और शैक्षणिक योग्यता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं है। इस निर्णय का सर्वाधिक प्रभाव उन शिक्षकों पर पड़ेगा जिनकी सेवा अवधि पाँच वर्ष से अधिक शेष है और जो बिना टीईटी उत्तीर्ण किए सेवा में बने नहीं रह सकेंगे। इसके अतिरिक्त, पदोन्नति के इच्छुक शिक्षकों के लिए भी टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है। संघ ने इस फैसले को असंवैधानिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है।संघ का मानना है कि यह फैसला शिक्षकों का मनोबल गिराने के साथ-साथ सरकारी स्कूलों की स्थिति को भी कमजोर करेगा। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि इससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है और विद्यार्थियों के भविष्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। संघ ने प्रधानमंत्री से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनकी मांग है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कराई जाए या अध्यादेश लाकर शिक्षकों की सेवा सुरक्षित की जाए। यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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