झूंसी में सेना की कार्रवाई से 500 परिवारों में डर:99 घरों पर लगे लाल निशान, नोटिस के बाद सन्नाटा और बेचैनी का माहौल
“आर्मी वाले आए थे, नोटिस देकर चले गए और बोले कि ये घर उनकी ज़मीन में है, आप लोग घर खाली कर दीजिए। हमारे पास यही एकमात्र रहने का ठिकाना है। छोटा-मोटा धंधा करके हम यहीं गुजारा करते हैं। घर में आठ लोग और हैं। 50 सालों से हमारे परिवार वाले यहीं रह रहे हैं। अब आर्मी वाले घर तोड़ने की बात कर रहे हैं। अब अगर घर टूट जाएगा तो इंसान क्या करेगा? मर जाएगा और क्या होगा।” ये कहना है प्रयागराज के झूंसी के रहने वाले पवन का। चेहरे पर डर और कांपती जुबान के साथ वह यह बात कह रहे थे। उनकी आंखों में डर और आंसू साफ नजर आ रहे थे। 500 परिवारों की यही स्थिति
पवन ही अकेले नहीं हैं। झूंसी इलाके में करीब 500 परिवार ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी इसी तरह असुरक्षित हो गई है। इस इलाके में बने 99 घरों पर सेना और रक्षा संपदा विभाग की टीम ने लाल क्रॉस का निशान लगा दिया है। आरोप है कि ये सभी घर सेना की जमीन पर बने हैं और सभी निर्माण अवैध हैं। इसके बाद सेना और रक्षा संपदा विभाग की टीम ने इन घरों को चिह्नित किया और नोटिस जारी किया। हालांकि, नोटिस में कहा गया है कि 16 से 19 सितंबर के बीच अलग-अलग दिनों में हर परिवार को बुलाया जाएगा और अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा। साथ ही उन्हें अपने जमीन के कागजात दिखाने के लिए कहा गया है। इस कार्रवाई के बाद पूरे क्षेत्र में सन्नाटा छा गया है। सड़कें खामोश हैं और लोग बेचैन हैं। इस मामले की तह तक जाने के लिए दैनिक भास्कर ने लाल क्रॉस लगे घरों के लोगों से बात की और उनका पक्ष जानने का प्रयास किया। यहां पर पहुंचने पर सबसे पहले हमें छेदी मिले। सबसे पहले हम छेदी के पास पहुंचे। छेदी अपने घर के पास ही सब्जियों की दुकान लगाकर परिवार का गुजारा करते हैं। छेदी के घर पर भी लाल क्रॉस का निशान लगा हुआ था। पूछने पर उन्होंने बताया-हम लोग यहां चालीस साल से रह रहे हैं। ये जमीन हमने मेवा मल्लाह से खरीदी थी। बहुत पुराने समय में जमीन खरीदने की बात हुई थी और स्टाम्प पर जमीन का काम भी कराया गया था। तब से हम अपने परिवार के साथ यहीं रह रहे हैं। छेदी ने आगे बताया-कुछ दिन पहले आर्मी वाले आए और कहा कि ये जमीन उनकी है, आपको इसे छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि आप अपने कागजात दिखाकर अपना पक्ष रख सकते हैं। लेकिन इतनी महंगाई में हम कहां जमीन खरीदें और मकान बनवाएं? इसी तरह, शिवमंगल नाम के 60 साल के व्यक्ति ने बताया- उनकी जमीन अंग्रेजों के समय खरीदी गई थी। वे चाय-पान की दुकान चलाकर परिवार का गुजारा कर रहे हैं। लाल निशान देखकर उन्हें बताया गया कि यह जमीन मिलिट्री की है। अब हमारे परिवार का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। परिवारों की बढ़ी चिंता
इस इलाके के लोग छोटे-मोटे काम करके परिवार का पेट पालते हैं। कई परिवारों में अगले 1-2 महीनों में शादी है और इनके पास घर के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जमीन और मकान की कीमत आसमान छू रही है, ऐसे में नए मकान खरीदना उनके लिए मुश्किल है। लोगों की मांग है कि या तो उन्हें कहीं दूसरी जगह दी जाए या कोई ऑप्शनल रास्ता निकाला जाए। फिलहाल सेना और रक्षा संपदा विभाग ने उन्हें एक मौका दिया है कि वे कागजात दिखाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण
सेना की इस कार्रवाई के बाद इलाके में भय का माहौल है। लोग अपने घर उजड़ने के डर में हैं और हर पल चिंता में हैं। प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद, यह बात तय है कि इस विवाद का असर इन परिवारों के भविष्य और रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा पड़ेगा।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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