ज्ञानवापी वजूखाना के सर्वेक्षण मामले में आज सुनवाई:सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने के कारण कई सुनवाई टाली गई थी
वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित वजूखाना के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी। इससे पहले छह अगस्त को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ को बताया गया कि प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश अभी भी प्रभावी है। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर मुकर्रर की थी। न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने उपासना स्थल कानून को लेकर दाखिल याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने के कारण पिछली सुनवाई टाल दी थी। इससे पहले शुक्रवार को राखी सिंह अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने कोर्ट को बताया कि उपासना स्थल कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई पूरी नहीं हुई है। अंतरिम आदेश प्रभावी है जिससे किसी प्रकार के सर्वे आदेश पर रोक लगी है। इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी। गौरतलब है कि श्रृंगार गौरी केस की पक्षकार राखी सिंह की सिविल पुनरीक्षण याचिका के साथ संबद्ध 1991 के स्वंभू लार्ड आदि विशेश्वर वाद में अतिरिक्त वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका में हाईकोर्ट नें विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद एवं सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड से जबाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश से न्यायालयों को सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश करने से रोक दिया है। 21अक्टूबर 2023 के वाराणसी सिविल कोर्ट के फैसले को राखी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूस्थल में मौजूद संरचना शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है। पहले की सुनवाई में क्या हुआ जानिये वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में वजूखाना का ASI से सर्वेक्षण की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर दलीलें दी गईं। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय कर दी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले को सुना। दरअसल, उपासना स्थल कानून को लेकर दाखिल याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के कारण हाईकोर्ट ने भी सुनवाई टाल दी थी। पिछली सुनवाई में हिन्दू पक्ष के एडवोकेट सौरभ तिवारी ने हाईकोर्ट को बताया था कि उपासना स्थल कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी है। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को जवाब देने के लिए कहा-श्रृंगार गौरी केस में वादी राखी सिंह की तरफ से 21 अक्टूबर, 2023 को दिए गए जिला जज वाराणसी के फैसले के खिलाफ सिविल रिवीजन याचिका दायर की गई है। ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग छोड़कर वजूखाने के एएसआई सर्वेक्षण की मांग को लेकर सिविल रिवीजन (सिविल पुनरीक्षण) याचिका दाखिल है। कोर्ट ने ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर दूसरे पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जवाब देने का आदेश दिया। दो साल पहले कथित शिवलिंग मिलने के बाद वजूखाने को सील कर दिया गया था। मुस्लिम पक्ष की ओर से इसे फव्वारा बताया जाता है लेकिन हिंदू पक्ष इसे शिवलिंग होने का दावा कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश से अदालतों को सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया गया है। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई टाल दी गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग आकृति के अलावा वजूखाने का एएसआई से सर्वेक्षण की मांग में दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने उपासना स्थल कानून को लेकर दाखिल याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने के कारण दिया है। शुक्रवार को राखी सिंह अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने कोर्ट को बताया कि उपासना स्थल कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई पूरी नहीं हुई है। अंतरिम आदेश प्रभावी है जिससे किसी प्रकार के सर्वे आदेश पर रोक लगी है। इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी। गौरतलब है कि श्रृंगार गौरी केस की पक्षकार राखी सिंह की सिविल पुनरीक्षण याचिका के साथ संबद्ध 1991 के स्वंभू लार्ड आदि विशेश्वर वाद में अतिरिक्त वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका में हाईकोर्ट नें विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद एवं सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड से जबाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश से न्यायालयों को सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश करने से रोक दिया है। 21अक्टूबर 2023 के वाराणसी सिविल कोर्ट के फैसले को राखी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूस्थल में मौजूद संरचना शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है।
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