गोरखपुर में 71 वर्षों से अखंड आस्था के साथ रामलीला:युवा निभा रहे प्रभु श्रीराम की लीलाएं, पीढ़ियों से निभाई जा रही रामभक्ति की परंपरा
गोरखपुर में खोराबार के छपरा गौर गांव में हर साल होने वाली रामलीला केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि लोगों की गहरी धार्मिक आस्था का प्रतीक है। सन् 1954 से लगातार आयोजित हो रही यह रामलीला आज 71वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मंचन के लिए कभी बाहरी कलाकार नहीं बुलाए जाते, बल्कि गांव के लोग ही श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, दशरथ और रावण जैसे पवित्र पात्रों की भूमिका निभाकर अपनी भक्ति को जीवंत करते हैं। युवा निभा रहे प्रभु श्रीराम की लीलाएं रामलीला समिति के सदस्यों आशुतोष त्रिपाठी, रामप्रकाश तिवारी, शिवम त्रिपाठी और बंटी ने बताया कि इस बार भी सभी प्रमुख पात्र गांव के ही युवा निभा रहे हैं। लगभग 18 वर्ष के युवक राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार में मंच पर आते हैं। रावण की भूमिका रामप्रकाश त्रिपाठी और मेधनाथ का अभिनय आशुतोष त्रिपाठी कर रहे हैं। वरिष्ठ कलाकार गंगाशरण त्रिपाठी ने याद किया कि 1954 में जब रामलीला शुरू हुई, तब उन्होंने नील का किरदार निभाया था। इसके बाद उन्होंने राम, कैकेयी, रावण जैसे कई प्रमुख पात्रों को जीवंत किया, जिनमें उनका रावण का अभिनय आज भी लोगों के दिलों में बसा है। राम जन्मोत्सव- ताड़का वध के दिव्य दृश्य गुरुवार को रामलीला के दूसरे दिन राम जन्मोत्सव और ताड़का वध के अलौकिक मंचन का आयोजन हुआ। आसपास के गांवों से सैकड़ों श्रद्धालु इस दिव्य दृश्य को देखने पहुंचे। खास बात यह है कि जो परिवार रोज़गार या अन्य कारणों से बाहर रहते हैं, वे भी इस अवसर पर गांव लौटकर प्रभु श्रीराम की लीलाओं का पुण्य लाभ लेते हैं। दशहरा के दिन रावण वध के साथ भव्य मेला लगता है, जहां धर्म की विजय का उत्सव पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है।
रामलीला समिति ने इस अवसर पर वरिष्ठ कलाकार डॉ. रमेश चन्द्र त्रिपाठी, संतोष त्रिपाठी, गंगाशरण त्रिपाठी, राधेश्याम, विजय बहादुर यादव, रामपरघट और रामरक्षा त्रिपाठी का सम्मान किया। इन बुजुर्गों के आशीर्वाद और नई पीढ़ी के लिए उनके प्रेरक संदेशों को एक विशेष पुस्तक में संकलित कर विमोचन किया गया।
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