गोरखपुर का पहला व्यू कटर, नॉइज़ पॉल्यूशन होगा कम:गोरखनाथ ओवरब्रिज 90% पूरा, अधिकारी बोले- अक्टूबर तक होगा तैयार

गोरखनाथ ओवरब्रिज का निर्माण अब अंतिम चरण में है। काम लगभग 85–90% पूरा हो चुका है और टीम तेज़ी से बचे हुए कामों को पूरा कर रही है। पुल की एक खासियत यह है कि उसके दोनों किनारों पर खास तरह का व्यू कटर लगाया जा रहा है। देखिए ओवरब्रिज की लेटेस्ट तस्वीरें… इसके अलावा शेड में छोटे-छोटे होल बनाए गए हैं। ये छोटे छेद साउंड-बैरियर की तरह काम करेंगे। पुल पर चलने वाली गाड़ियों से निकलने वाली आवाज़ इन होल्स और शेड की बनावट की वजह से बाहर कम जाएगी। इससे नॉइस-पॉल्यूशन घटेगा और आसपास रहने वालों को कम शोर सुनना पड़ेगा। अधिकारियों के अनुसार यह गोरखपुर में पहला ऐसा शेड होगा। इसका मकसद यह है कि पुल पर चलने-फिरने और वहां की रोशनी के बावजूद पास के घरों और आँगनों की प्राइवेसी बनी रहे। जिससे आसपास रहने वालों की निजता सुरक्षित रहेगी। पुल की साइड वाली दीवारों पर वाल पेंटिंग भी चल रहा है। जो लोकल लोग और राहगीरो को खूब भा रहा। दीवारों पर बने चित्र पुल को देखने में भी आकर्षक बना रहे हैं। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने जब प्रोजेक्ट लीड अरुण कुमार सिंह से इन विशेषताओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “यह नए तरीके का शेड है जो गोरखपुर का पहला होगा। इसमें बनी छेद से पुल पर गाड़ियों का शोर बाहर नहीं जाएगा।” टीम का कहना है कि बाकी बचा हुआ काम तेज़ी से चल रहा है और अक्टूबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। स्थानीय लोग इस बदलाव से खुश हैं और उम्मीद जताते हैं कि पुल के पूरा होने के बाद आवाज़ और भी कम होगी तथा जगह और साफ-सुथरी दिखेगी। जानिए कैसे हुई इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में विकास कार्यों की समीक्षा बैठक के दौरान इस नए रेल ओवरब्रिज के निर्माण की बात सामने आई थी। उन्होंने लखनऊ-गोरखपुर रेल मार्ग के डोमिनगढ़ और गोरखपुर जंक्शन के बीच क्रॉसिंग पर पहले से निर्मित ओवरब्रिज के पास एक और आरओबी बनाए जाने का निर्देश दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड की गोरखपुर इकाई द्वारा इस पुल के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार किया गया। इस ओवरब्रिज की कुल लंबाई 766.32 मीटर होगी। जिसमें रेलवे हिस्से की लंबाई 17.63 मीटर है। गोरखनाथ रोड से होकर बड़ी आबादी अपने गंतव्य की ओर जाती है। यह मार्ग अत्यधिक व्यस्त रहता है। यहां रोजाना भारी ट्रैफिक के चलते जाम की स्थिति बनी रहती है। खासकर खिचड़ी मेला जैसे आयोजनों के समय सबसे अधिक परेशानी होती है। ऐसे में यह नया ओवरब्रिज न केवल यातायात को सुगम बनाएगा बल्कि आम जनता को जाम से भी निजात दिलाएगा। ओवरब्रिज के बन जाने से न केवल रोजाना लगने वाले जाम से राहत मिलेगी बल्कि आपातकालीन स्थिति में भी लोगों को वैकल्पिक और तेज मार्ग मिलेगा। यह परियोजना शहर के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है। संक्षेप में: परियोजना लागत: ₹178 करोड़ कुल लंबाई: 766.32 मीटर अब तक कार्य: 60% पूर्ण संभावित पूर्णता: अगस्त 2025 प्रमुख लाभ: ट्रैफिक जाम से राहत, खासकर खिचड़ी मेला के दौरान शहरवासी अब इस ओवरब्रिज के जल्द पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें यातायात से जुड़ी समस्याओं से स्थायी राहत मिल सके। एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस की गाड़ियाँ जाम में फंसने के कारण देर से पहुँचती हैं। नया पुल बनने से ऐसी सेवाओं की गति बढ़ेगी और जान-माल की सुरक्षा बेहतर होगी। आखिर क्यों जरूरत पड़ी: वर्ष 1980 में गोरखनाथ क्रासिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण हुआ था। अब शहर में सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। मोहद्दीपुर से जंगलकौड़िया के बीच फोरलेन सड़क बन जाने के बाद इस ओवरब्रिज पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। पुराना ओवरब्रिज दो लेन का है। लिहाजा यहां आते ही वाहनों की रफ्तार भी कम करनी पड़ती है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने पुराने पुल के समानांतर नया ओवरब्रिज बनाने की मंजूरी दी थी।

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