कवयित्री सीमा सिंह को ‘मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार’:लखनऊ में काव्य संग्रह ‘कितनी कम जगहें हैं’ के लिए सम्मानित
लखनऊ की कैफ़ी आज़मी अकादमी में शनिवार शाम साहित्य, संस्कृति और संवेदना का संगम देखने को मिला। के.पी. सिंह मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट ने वर्ष 2025 के ‘मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार’ की घोषणा की, जो इस बार चर्चित कवयित्री सीमा सिंह को उनके काव्य संग्रह ‘कितनी कम जगहें हैं’ के लिए दिया गया। यह पहली बार है जब यह सम्मान किसी महिला कवयित्री को प्रदान किया गया है। कार्यक्रम का आयोजन के.पी. सिंह मेमोरियल ट्रस्ट, जनवादी लेखक संघ लखनऊ और डॉ. राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी की साझेदारी में दो सत्रों में किया गया। पहले सत्र में पुरस्कार वितरण और काव्य चर्चा हुई, जबकि दूसरे सत्र में कविता-पाठ का आयोजन किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नलिन रंजन सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इसे साहित्य में लिंग-संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कविता उनके लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी पुरस्कार ग्रहण करते हुए कवयित्री सीमा सिंह ने कहा कि कविता उनके लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और आत्म-हीलिंग का माध्यम है। उन्होंने इसे प्रतिरोध और जागरूकता की आवाज़ बताया। इस अवसर पर उन्होंने अपने संग्रह की प्रमुख कविताएं ‘कुछ जोड़ी चप्पलें’, ‘तुम पर निगाह रखी जा रही है’, ‘यह कोई प्रेम कविता नहीं’ और ‘उर्फ़ी जावेद’ का पाठ किया। प्रोफेसर रीता चौधरी ने सीमा की कविताओं को स्त्री विमर्श का नया दृष्टिकोण बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं महिलाओं के संघर्ष, सीमाओं और अधिकारों की कमी को स्पष्ट करती हैं। काव्य में स्वतंत्रता और सपनों के भाव की सराहना कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि हरीश चंद्र पांडे ने सीमा के काव्य में स्वतंत्रता और सपनों के भाव की सराहना की। उन्होंने ‘चिड़िया’ को स्वतंत्रता का महत्वपूर्ण प्रतीक और ‘आरे आवा’ को भारत की संवेदनाओं का दर्पण बताया। दूसरे सत्र में हरीश चंद्र पांडे और आरती ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर समीना खान, हफ़ीज़ किदवई, राकेश (इप्टा), सुभाष राय, कौशल किशोर, इरा श्रीवास्तव, चंद्रेश्वर, नवीन जोशी, सीपी राय, प्रतुल जोशी सहित लखनऊ की साहित्यिक बिरादरी के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे।
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