उलमा को राजनीति में सक्रिय होना चाहिए- अज़हरी:मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अध्यक्ष ने आज़म ख़ान पर भी साधा निशाना

पीलीभीत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष हाफिज़ नूर अहमद अज़हरी ने शनिवार को एक राजनीतिक बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश में कुछ सियासी और अमीर तबका उलमा को मस्जिद और मदरसे की चारदीवारी तक सीमित रखना चाहता है। अज़हरी ने उलमा को राजनीति में सक्रिय होने का आह्वान किया। अज़हरी ने आरोप लगाया कि यह वर्ग जानता है कि उलमा में असल इंकलाब लाने की ताक़त है, इसलिए उन्हें राजनीति से दूर रखने की कोशिश की जाती है। उन्होंने याद दिलाया कि हिंदुस्तान की आज़ादी की बुनियाद उलमा-ए-किराम ने रखी थी और आज भी यह वर्ग देश और समाज में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखता है। अपने बयान में, अज़हरी ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर सांसद आज़म ख़ान पर भी निशाना साधा। उन्होंने आज़म ख़ान पर मौलाना तौक़ीर मुहिबुल्लाह नदवी को निशाना बनाने का आरोप लगाया। अज़हरी के अनुसार, यह बयान आज़म ख़ान के अहंकार और उलमा विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। प्रदेश अध्यक्ष ने सवाल उठाया कि अगर आज़म ख़ान को “मौलाना” शब्द से इतनी नफ़रत है, तो उन्होंने मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम पर यूनिवर्सिटी क्यों बनाई। अज़हरी ने दावा किया कि यह विरोधाभास दिखाता है कि राजनीति में अक्सर व्यक्तिगत हित और अहंकार जनहित पर भारी पड़ते हैं। अज़हरी ने कहा कि अब समय आ गया है कि उलमा राजनीति की समझ विकसित करें और उसमें सक्रिय हों। उन्होंने चेतावनी दी कि जिस दिन उलमा सियासत में उतरेंगे, कई नेता राजनीति करना भूल जाएंगे। अज़हरी ने ज़ोर दिया कि उलमा को दबाने की कोशिशें कभी सफल नहीं होंगी, क्योंकि उनके पास समाज को दिशा देने और देश में वास्तविक परिवर्तन लाने की क्षमता है। पूरनपुर में दिए गए इस बयान से हाफिज़ नूर अहमद अज़हरी ने न केवल आज़म ख़ान की राजनीति पर सवाल उठाए, बल्कि उलमा को राजनीति में आने के लिए एक स्पष्ट संदेश भी दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इतिहास गवाह है कि जब उलमा सक्रिय हुए हैं, तो देश में बड़े बदलाव हुए हैं, और यह प्रक्रिया आज भी जारी रहनी चाहिए।

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