इंदिरा तिराहा का नहीं बदला गया नाम:कांग्रेस के विरोध पर नगर निगम का जवाब, लखनऊ के तर्ज पर पड़ा ‘चटोरी गली’
”इंदिरा तिराहा का नाम नहीं बदल गया है, लखनऊ की तर्ज पर बनी गोरखपुर के स्ट्रीट फूड जोन का नाम “चटोरी गली” रखा गया है” यह कहना है नगर निगम के अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह का। उन्होंने बताया कि शहर में जो नया स्ट्रीट फूड ज़ोन विकसित किया गया है, उसका नाम लखनऊ की तर्ज पर “चटोरी गली” रखा गया है। पहले देखिए चटोरी गली की 2 लेटेस्ट तस्वीरें…. उन्होंने कहा कि गोरखपुरवासियों और बाहर से आने वाले पर्यटकों को एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद मिल सके, इसी उद्देश्य से इस स्ट्रीट फूड ज़ोन की शुरुआत की गई है। यहाँ स्वच्छता और सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया है, ताकि लोग सुरक्षित और आनंददायक वातावरण में खान-पान का आनंद उठा सकें। अब जानिए ‘चटोरी गली’ के नाम को लेकर विरोध क्यों है… सोमवार को महानगर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता डीएम कार्यालय पहुंचे और इस नाम का विरोध करते हुए सड़क पर उतरे। महानगर अध्यक्ष रवि प्रताप निषाद ने कार्यकर्ताओं के साथ डीएम को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की कि नगर निगम इस नाम को तुरंत वापस ले और वहां लगे ‘चटोरी गली’ के बोर्ड को भी हटवाए। निषाद ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया, तो कांग्रेस कार्यकर्ता नगर निगम का घेराव करेंगे। इस मुद्दे पर जब दैनिक भास्कर ने नगर आयुक्त से बात की, तो उन्होंने साफ कहा कि नगर निगम ने किसी नाम में कोई बदलाव नहीं किया है। उनके अनुसार, इंदिरा तिराहा आज भी इंदिरा जी के नाम से ही जाना जाता है। बल्कि वहां इंदिरा गांधी की प्रतिमा को पहले से ज्यादा भव्य रूप दिया गया है, हरियाली और लाइटिंग की नई व्यवस्था की गई है, जिसे लोग पसंद कर रहे हैं। नगर आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि लखनऊ की तर्ज पर गोरखपुर में जो नया स्ट्रीट फूड जोन बनाया गया है, उसका नाम ‘चटोरी गली’ रखा गया है। यह इलाका इंदिरा तिराहे से बिल्कुल अलग है और चौराहे के नाम से इसका कोई संबंध नहीं है। इंद्रा बाल विहार का इतिहास और सुंदरीकरण इंद्रा बाल विहार का नाम तो कई वर्षों से नगर के लोगों की जुबान पर है। यह स्थल नगरवासियों के लिए न केवल मनोरंजन और विश्राम का स्थान रहा है, बल्कि यहाँ स्थापित मूर्ति के कारण यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। फिलहाल यहाँ स्थित मूर्ति का स्थापना वर्ष 1995 है, जिसे नगर निगम के द्वारा भव्य रूप से स्थापित कराया गया था। समय के साथ इसकी महत्ता और भी बढ़ी और नगर निगम ने वर्ष 2025 में इस स्थल का सौंदर्यकरण कराया। सौंदर्यकरण के अंतर्गत मूर्ति के चौहदी को और अधिक बड़ा आकार दिया गया, जिसके कारण यह स्थान पहले की तुलना में और भी भव्य दिखाई देने लगा। चौहदी के अंदर हरियाली का विशेष ध्यान रखा गया, जहाँ सुंदर पौधों और पेड़ों की सजावट ने इस स्थल को प्राकृतिक आकर्षण से भर दिया। इसके अतिरिक्त, यहाँ आधुनिक लाइटिंग की व्यवस्था भी की गई है। रात के समय जब ये लाइटें जल उठती हैं तो उनकी चमक मूर्ति और आस-पास की हरियाली को और भी मनमोहक बना देती है। यही कारण है कि शाम ढलते ही यहाँ आने वाले लोग इस नज़ारे को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। लखनऊ की प्रेरणा लखनऊ की चटोरी गली, खासतौर पर हजरतगंज और अमीनाबाद इलाकों में, न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पर्यटकों के बीच भी बेहद लोकप्रिय रही है। वहां की तरह ही गोरखपुर की चटोरी गली को भी एक पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित हो चुकी है। गोरखपुर की खासियत:
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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