आयोजन पुरातत्व निदेशालय सभागार, छतर मंजिल:लखनऊ में त्रिदिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिवस में समापन एवं प्रमाणपत्र वितरण कार्यक्रम का
लखनऊ कैसरबाग स्थित छतर मंजिल परिसर के पुरातत्व निदेशालय सभागार में शुक्रवार को त्रिदिवसीय कार्यशाला का समापन एवं प्रमाणपत्र वितरण समारोह आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, लखनऊ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. आफताब हुसैन ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान कर उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर पुरातत्व विभाग की निदेशक रेनू द्विवेदी ने मुख्य अतिथि का स्वागत पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि स्मारक संरक्षण केवल इतिहास की सुरक्षा नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत साक्ष्य है। ऐसे आयोजनों से इतिहास, साहित्य और विज्ञान के साथ जुड़े नए आयामों को समझने का अवसर मिलता है। कार्यशालाएं विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान देती इंटैक, लखनऊ के निदेशक धर्मेंद्र मिश्रा ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं विद्यार्थियों को पुस्तकों से परे व्यावहारिक ज्ञान देती हैं, जो फील्ड अनुभव के लिए अत्यंत आवश्यक है। वहीं, मुख्य अतिथि डॉ. आफताब हुसैन ने कहा कि स्मारक संरक्षण केवल मरम्मत तक सीमित नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति के प्रति सम्मान और गौरव का प्रतीक है। उन्होंने स्मारकों को अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाला सेतु बताया। पारंपरिक चूना गारा विश्लेषण अन्य प्रयोग विधि बताया समापन दिवस पर दो तकनीकी सत्र आयोजित हुए। इनमें इंटैक इंस्टीट्यूट की रिसर्च ऑफिसर अंशिका, प्रतिष्ठा और पंकज पांडेय ने पारंपरिक चूना गारा विश्लेषण, कंपेटिबल लाइम मोर्टार की तैयारी और कंपोज़िशन, कार्बोनेट एवं वॉटर सॉल्युबल टेस्ट का व्यावहारिक प्रदर्शन किया। यह अभ्यास राज्य संरक्षित स्मारक आलमबाग प्रवेश द्वार पर कराया गया। कार्यक्रम का संचालन बलिहारी सेठ ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन सहायक पुरातत्व अधिकारी डॉ. मनोज यादव ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अभयराज सिंह, आशीष, मयंक, अभिषेक, हिमांशु, निर्भय, टिंकू सहित अनेक प्रतिभागी मौजूद रहे।
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