आगरा गुरु का ताल पर तीन दिन का गुरु समागम:संत बाबा साधु सिंह और संत बाबा निरंजन सिंह की स्मृति चल रहा कार्यक्रम
आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल में मंगलवार शाम से तीन दिवसीय गुरमत समागम की शुरुआत कवि दरबार के साथ हुई। यह समागम पिछले 38 वर्षों से संत बाबा साधू सिंह मौनी और संत बाबा निरंजन सिंह जी की स्मृति में लगातार आयोजित किया जा रहा है। गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि शुरुआत से ही पंजाबी साहित्य और कवियों को मंच देने की परंपरा निभाई जा रही है। इस वर्ष भी करीब 15 कवियों ने शिरकत कर गुरुओं का इतिहास, संघर्ष, वीरता और मुगलिया अत्याचार जैसे विषयों पर काव्य पाठ किया। उद्देश्य नई पीढ़ी में साहित्य व इतिहास के प्रति रुचि पैदा करना है। “हर गुरुद्वारा निभाए ऐसी परंपरा” देशभर से आए कवि और कवित्रियों ने कहा कि जिस तरह गुरु का ताल गुरुद्वारा साहित्यिक परंपरा निभा रहा है, उसी तरह हर बड़ा गुरुद्वारा कम से कम साल में एक बार कवि दरबार का आयोजन करे। प्रो. जोगिंदर सिंह कंग, डॉ. भूपेंद्र सिंह सैनी और डॉ. सतपाल कौर ने कहा कि इससे पंजाबी साहित्य का प्रचार-प्रसार होगा और युवाओं को इतिहास से जोड़ने में मदद मिलेगी। कवि सतपाल कौर ने कहा कि “आज की पीढ़ी पंजाबी पॉप गानों को ही संस्कृति मान रही है, जबकि असली परिचय ऐसे साहित्यिक कार्यक्रमों से मिलेगा।” सभी कवियों ने बाबा प्रीतम सिंह के इस प्रयास को पंजाबी साहित्य के लिए “संजीवनी” बताया। 2 अक्टूबर को होगा मुख्य कीर्तन दरबार मीडिया प्रभारी जसबीर सिंह ने बताया कि मुख्य कार्यक्रम 2 अक्टूबर को होगा। सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक और शाम 6 से रात 12 बजे तक कीर्तन दरबार सजेगा। इसमें देशभर के रागी जत्थे, कथावाचक, धर्म प्रचारक और प्रमुख गुरुद्वारों के जत्थेदार शिरकत करेंगे। कवियों की रचनाएं भूपेंद्र सिंह सैनी – सैनी आखदा सिखी नहीं मुक सकदी, मुकदा एनू मुकान वाला डॉ. सतपाल कौर – खंडे बाटे दी धार चौ होए पैदा, नहीं किसी दे आगे झुकना सिखया है प्रो. जोगिंदर सिंह कंग – दिल्ली शहर तो सतगुरु आ गए सी, कुछ सिख भी ओना दे नाल आए, डेरे आगरा विच लाए सी इनके अलावा बीबी सतीश कौर चौहल, बीबी सतनाम कौर सत्ते, बीबी राजेंद्र कौर जीत, अमरजीत कौर नूरी, बलविंदर सिंह निराला, रणजीत कौर जीत और मनिदर सिंह परिंदा ने भी काव्य पाठ किया। मंच संचा लन प्रो. जोगिंदर सिंह कंग ने किया।
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