अधिवक्ता परिवार ने मांगी सामूहिक इच्छा मृत्यु:पैतृक घर से बेदखली पर प्रशासन की कार्रवाई, बंटवारे पर बनी सहमति
कुशीनगर में प्रशासन ने न्यायालय के आदेश के अनुसार एक मकान के बंटवारे के लिए कार्रवाई की। जिसमें छोटे-छोटे बच्चों से लेकर 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला और उनकी दो बहुएं भी प्रभावित हुईं। इस कार्रवाई का संबंध परिवार के मुखिया राजेंद्र बाबू के न्यायालय से प्राप्त आदेश से था। बाद में प्रशासन के सामने ही मकान के तीन हिस्सेदारों ने आपसी सहमति से बंटवारा करने की स्वीकृति दे दी। राजेंद्र बाबू के बेटे विनायक प्रबल ने बताया कि वे पेशे से अधिवक्ता हैं। उन्होंने कहा कि उनका परिवार वर्तमान में अत्यंत त्रासदीपूर्ण और अमानवीय परिस्थितियों से गुजर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए कार्रवाई की। लेकिन उनके परिवार की कठिन स्थिति और मानसिक असंतुलन की स्थिति को नजरअंदाज किया गया। विनायक ने कहा, “मेरे पिता मानसिक एवं सामाजिक असंतुलन की स्थिति में हैं। कुछ असामाजिक तत्वों के बहकावे में आकर परिवार को निरंतर प्रताड़ित कर रहे हैं। इस अन्याय के कारण मैं अपने पूरे परिवार के लिए सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने को विवश महसूस कर रहा हूं। दर-दर भटकने से बेहतर होगा कि हम इस अन्याय का अंत कर दें। एसडीएम सदर ने बताया कि एक व्यक्ति ने अपने भरण-पोषण के लिए मुकदमा दायर किया था। इसके आदेश 11 मार्च को आए थे। कंप्लाइंस न होने के कारण वादी ने उच्च न्यायालय की शरण ली और डीएम को पार्टी बनाई, जिससे मकान का बंटवारा कराने का आदेश मिला। एसडीएम ने कहा कि पिछले महीने वादी ने कहा था कि या तो बंटवारा कर दिया जाए या पूरा परिसर उन्हें मिल जाए। आज इसी क्रम में प्रशासन के लोग मकान पहुंचे और तीनों हिस्सेदारों ने आपसी सहमति से बंटवारा कर लिया। पिलर लग चुका है और जल्द ही दीवार बनाकर प्रत्येक हिस्सेदार अपना हिस्सा अलग कर लेगा। कोर्ट को इस संबंध में रिपोर्ट भेज दी जाएगी। एसडीएम ने स्पष्ट किया कि अब मकान के मामले में कोई समस्या नहीं है और सभी पक्ष अपने-अपने हिस्से में रहने लगेंगे।
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