यूपी का मिनी जामताड़ा। हरियाणा और राजस्थान के बॉर्डर से सटा वो गांव, जहां बच्चों को होश संभालने के साथ ही साइबर जालसाजी की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां घरों में पहनने के कपड़ों से ज्यादा मोबाइल और सिमकार्ड मिलते हैं। हम बात कर रहे हैं मथुरा जिले में गोवर्धन थाने से सिर्फ 6 Km दूर देवसरस गांव की। 7 हजार आबादी वाले इस गांव में सिर्फ 30% लोग हिंदू हैं। यहां के 60% लोगों के लिए जिंदगी जीने के लिए जॉब का मतलब साइबर फ्रॉड है। 11 दिसंबर को यहां 12 घंटे तक 400 पुलिसवालों ने सर्च ऑपरेशन चलाया। 42 जालसाजों की पहचान की, 37 को पकड़ भी लिया। 120 जालसाज बॉर्डर क्रॉस करके राजस्थान की तरफ भागने में कामयाब रहे। पूछताछ में सामने आया कि इनमें से कई 5वीं और 8वीं पास हैं। साइबर क्रिमिनल्स की पकड़ के लिए डाली गई रेड को ‘क्रेक डाउन’ नाम दिया गया। ये ऑपरेशन क्या था? इस गांव में लोग कैसे जालसाजी करने लगे? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ऑपरेशन के बाद देवसरस गांव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… लोग बोले- सभी क्रिमिनल नहीं, जो करते हैं, उनका आतंक
मथुरा से करीब 21 Km दूर देवसरस गांव तक हम हाईवे से पहुंचे। सिंगल लेन रोड पर चलते हुए हम गांव के अंदर दाखिल हुए। घर के बाहर मौजूद लोग एक दिन पहले इन्हीं सड़कों पर पुलिस का भारी मूवमेंट देख चुके थे। उनके चेहरों पर वो दहशत 24 घंटे बाद भी बनी हुई थी। ज्यादातर सड़क और गलियों में सन्नाटा पसरा मिला। हमें यहां एक तिराहे पर कुछ लोगों का जमावड़ा मिला। हमने बातचीत शुरू की। बिना कैमरे पर आए रामनरेश करते हैं- पुलिस ने अच्छा काम किया। गांव में इन लोगों (साइबर जालसाज) का बहुत आतंक है। कोई उनके खिलाफ नहीं जाता। ये काम नहीं करने वाले लोग अगर इनके खिलाफ जाएं, तो ये मारपीट करते हैं। यहां रहना मुश्किल कर देते हैं। खेतों में छोटे झोपड़ी डालकर बनाए ठिकाने
पास की दुकान पर बैठे रघुवीर कहते हैं- पिछले कुछ सालों में यहां तेजी से नई उम्र के लड़के इस जालसाजी का हिस्सा बन गए हैं। इनमें ज्यादातर मुस्लिम लड़के हैं, वो दिनभर मोबाइल पर कॉलिंग करते दिखते हैं।ये ठगी करने के लिए उन्हें घरों के अंदर रहने की जरूरत भी नहीं है। वो तो खेतों में छोटे-छोटे झोपड़ी बनाकर साइबर ठगी करते हैं। हमने कहा- पुलिस रेड की चिंता नहीं रहती क्या? उन्होंने कहा- नहीं, क्योंकि एंट्री पॉइंट पर पुलिस आते ही, इनके लोग सूचना भेज देते हैं। फिर कुछ नहीं मिलता है। इस बार रेड तड़के सुबह हुई। लोग तो सो रहे थे, इसलिए सारे भाग भी नहीं पाए। फिर भी आधे से ज्यादा तो बॉर्डर के दूसरी तरफ चले गए थे। महिला बोली- मेरे बेटे मेहनती, न जाने क्यों पुलिस उठा ले गई
गांव का माहौल समझते हुए हम आगे बढ़े। अब हम मुस्लिम बाहुल्य एरिया में पहुंच चुके थे। यहां बच्चे सड़कों पर खेल रहे थे। जानकारी की, तो पता चला कि इस इलाके से कई लड़कों को पुलिस लेकर गई है। लोगों ने एक महिला जननी की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इनके 3 बेटे तस्लीम, तालीम और सैफुल को पुलिस लेकर गई है। हमने जननी से बात की, तो उन्होंने कैमरे के आगे हाथ कर लिया। बोलीं- ऐसे ही पूछ लो…। कहा- मेरे बेटे मेहनत करते हैं। उनको पुलिस क्यों ले गई? ये मैं भी पूछ रही हूं। थाने गई थी, तो भगा दिया गया। कोई बता रहा है कि मेरे बेटे मोबाइल पर लोगों को ठगते थे। मुझे तो कुछ भी पता नहीं है। दावा- लोग बेटियां इस गांव में नहीं ब्याहते
अब हम वहां बनी मस्जिद के बाहर पहुंचे। यहां हमको कुछ लोग मिले। यहां मो. शम्सी ने बताया- कुछ लोग मोबाइल से ठगी करते हैं, ये सही बात है। यही वजह है कि गांव बदनाम है। खूब कहा, लेकिन मानते नहीं है। इरशाद ने बताया कि इस वजह से लोग अपनी बेटियां इस गांव में ब्याहना नहीं चाहते हैं। बदनामी की वजह से यहां कोई संबंध नहीं रखता। लोगों से बातचीत करके पता चला कि ये लड़के ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है। 5-8वीं पास लड़के शुरुआती उम्र में ही जालसाजी करने लगते हैं। ट्रेनिंग भी इन्हें घरों के अंदर ही मिलती है। नेट पर उपलब्ध तरह-तरह के ऐप की इन्हें पूरी जानकारी है। वॉयस और स्क्रीन पर बैकग्राउंड बदलने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। लिंक भेजकर लोगों के मोबाइल हैक कर लेते हैं। 5 Km दूर राजस्थान बॉर्डर, 15Km चले तो हरियाणा पहुंच जाते हैं
अब ये समझिए कि यूपी बॉर्डर पर मथुरा के गांवों को ही जालसाजी के लिए क्यों चुना गया। दरअसल, इन गावों की लोकेशन कुछ ऐसी है कि सिर्फ 5 Km की दूरी पर राजस्थान बॉर्डर लगता है। वहीं, 15Km की दूरी पर हरियाणा बॉर्डर मिल जाता है। 11 दिसंबर की सुबह पुलिस ने घेराबंदी की, तो करीब 120 लड़के ये बॉर्डर को क्रॉस कर गए। यही वजह है कि पुलिस करीब 100 से ज्यादा जालसाजों की अरेस्टिंग की प्लानिंग कर रही थी। लेकिन 37 को ही पकड़ा जा सका। पुलिस के पास इनपुट हैं कि इन गांवों में क्राइम करने वाले हरियाणा और राजस्थान के अपने रिश्तेदारों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं। व्यापार भी इन रिश्तेदारों के नाम पर होते हैं। गोवर्धन थाने के प्रभारी निरीक्षक रवि त्यागी ने FIR में लिखा- साइबर जालसाजों के ग्रुप की जानकारी पर रेड
गांव देवसरस में साइबर फ्रॉड करने वालों की लोकेशन मिलने के बाद हम लोग सरकारी और प्राइवेट गाड़ियों में गांव के बाहर तक पहुंचे। बदमाश भाग न जाएं, इसलिए गाड़ियां हमने एक मंदिर के पास छोड़ दीं। फिर हम लोग खेत और पगडंडियों के सहारे गांव की घेराबंदी करने लगे। आगे एक मंदिर के पीछे लोगों का एक ग्रुप मिला। ये दरअसल, जालसाजों का ग्रुप था। 2 ग्रुप अलग-अलग तरह से साइबर जालसाजी कर रहे थे। पहला ग्रुप. मैं रुपए भेज रहा हूं, तुम मेरे में ट्रांसफर कर देना
हैलो..पहचाना नहीं, मैं रमेश मिश्रा बोल रहा हूं। मेरे कहीं से रुपए आने थे। मगर मेरे अकाउंट की लिमिट पूरी हो चुकी है। इसलिए आपके बैंक खाते में कुछ रुपए ट्रांसफर करवा रहा हूं। बाद में मैं जो नंबर बताऊंगा, उस पर ये रुपए ट्रांसफर कर देना। फिर उसने कहा- देखो तुम्हारे पास एक लिंक आया होगा, मैंने 1 रुपया भेजा है। चेक करने के बाद उस व्यक्ति ने कहा, देखिए एक मैसेज आ गया होगा कि रुपए ट्रांसफर हो गए हैं। दूसरा ग्रुप. पॉलिसी क्लियर करा दूंगा…
आप अपना आधार कार्ड और पैन कार्ड के फोटो मेरे पास भेज दो, मैं आपकी पॉलिसी क्लियर करा दूंगा और आपके रुपए आपके खाते में 24 घंटे में आ जाएंगे। इसके लिए आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा, वह मुझे बता देना, तभी कुछ समय बाद फोन कट गया। आधार पर तस्वीर किसी की, नाम-पता किसी और का
पुलिस ने घेराबंदी करके इन लोगों को पकड़ लिया। इसके बाद गांव में हल्ला मच गया। पुलिस टीम को गांव के लोग घेरने लगे। पुलिस ने इन लोगों को भी अरेस्ट किया है। जांच के बाद सामने आया कि इनमें से 6 लोगों के पास जो आधार कार्ड मिले, उसमें तस्वीर किसी की थी, जबकि नाम, पते किसी दूसरे शख्स का था। ये लोग थे- बेहतरीन, इमरान, शैकुल, आशू, कालू, शमीम। इनके अलावा पकड़े गए लोगों ने बताया कि हम लोग मोबाइल नंबरों के आगे-पीछे के नंबर बदलकर उन्हें गूगल पे, फोन पे, पेटीएम, ट्रू कालर पर डालकर नाम, पता जान लेते हैं। फिर नंबर पर लिंक भेजकर हैक कर लेते थे। फोटो और जानकारी निकाल लेते थे। इससे लोगों को गुमराह करना आसान हो जाता था। किन लोगों की अरेस्टिंग दिखाई, ये जानिए
बेहतरीन, इमरान, शैकुल, आशू, कालू, शमीम, अफसर, इसव, तालिम, आबिद, इस्लाम, वाजिद, आरिफ, तस्लीम, आजम, मुनफैद, रुकमुद्दीन, तालिम, हफीज, साहिल, उन्नस, हामिद, फारुख, रोहित, दीपक, मुश्तफा, इरशाद, साहिल, अरशद, शकील, माजिद, इंसाफ, राहुल, जावेद, इस्लाम, नफीस, दिलशाद, फकरु, कैफ, काला, आरिफ, मौसम, साजिद, साहिद, जाविद, मुरसी, तालिम।
……………… ये भी पढ़ें – मथुरा के ठगों ने बड़े नेता का अकाउंट खाली किया, 42 को दौड़ाकर पकड़ा, 400 पुलिसवाले पगडंडी से गांव पहुंचे मथुरा के ‘मिनी जामताड़ा’ में 4 IPS समेत 400 पुलिसकर्मियों ने छापा मारा। गुरुवार सुबह 5 बजे 30 से ज्यादा गाड़ियों में पुलिसवाले पहुंचे। किसी को भनक न लगे, इसलिए गाड़ियां गांव के बाहर खड़ी की गईं। पुलिस खेतों की पगडंडी से गांव पहुंचीं। उस वक्त लोग सो रहे थे। पुलिस को देखते ही लोग इधर-उधर भागने लगे। कुछ खेतों में छिप गए। पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पकड़ा। गांव के एक-एक घर की तलाशी ली गई। करीब 6 घंटे तक कार्रवाई चलती रही। पुलिस 42 लोगों को लेकर रवाना हो गई। ये भी बताया जा रहा है कि 120 से ज्यादा बदमाश खेतों के रास्ते राजस्थान सीमा में भाग गए। पढ़िए पूरी खबर…
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