सपा के श्रावस्ती सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने संसद में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 1 सितंबर 2025 के फैसले के बाद देशभर के करीब 25 लाख शिक्षक, जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 2 लाख शिक्षक शामिल हैं, गहरी असुरक्षा की स्थिति में हैं। सांसद वर्मा ने बताया कि पिछले 15–20 वर्षों से सेवाएं दे रहे अनुभवी शिक्षक अचानक अनिश्चितता और मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से अपने लोकसभा क्षेत्र बलरामपुर का उल्लेख किया, जहां 40 से 55 वर्ष आयु वर्ग के शिक्षक इस निर्णय से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल लाखों शिक्षकों के भविष्य को खतरे में डाल रही है, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे अनुभवी शिक्षकों को अस्थिरता में धकेलना किसी भी तरह उचित नहीं है। सांसद वर्मा ने सरकार से इस विषय पर स्थायी अध्यादेश लाने की मांग की। उन्होंने आग्रह किया कि पूर्व से नियुक्त शिक्षक, जो योग्य हैं और वर्षों से सेवा दे रहे हैं। उन्हें TET की अनिवार्यता से छूट दी जाए।साथ ही पदोन्नति, सेवा सुरक्षा और कार्यदायित्व की गारंटी भी सुनिश्चित की जाए।
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