इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनिल कुमार पटेल, कम्प्यूटर ऑपरेट ग्रेड-ए के विरूद्ध पारित बर्खास्तगी आदेश वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, झाँसी एवं अपीलीय आदेश, पुलिस उपमहानिरीक्षक, झॉसी परिक्षेत्र, झॉसी को निरस्त करते हुये याची को सेवा में बहाल करने के आदेश पारित किये है। यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुद्धवार की एकलपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं आर्या गौतम की बहस सुनकर पारित किया। मामले के तथ्य यह है कि अनिल कुमार पटेल, कम्प्यूटर ऑपरेट ग्रेड-ए के पद पर वर्ष 2021 में थाना कटेरा जनपद झाँसी में नियुक्ति थे। इनके विरूद्ध प्रभारी निरीक्षक, नवाबाद, जनपद झॉसी में एक रिपोर्ट दिनांक 13 मई २०२१ को प्रस्तुत करते हुये अवगत कराया गया कि दिनांक 12 मई २०२१ को वादिनी कुमारी नीलम जनपद झाँसी की लिखित तहरीर के आधार पर मु०अ०सं० 150/2021 घारा 376 आई०पी०सी० व 3(2)/5, एस०सी०/एस०टी० एक्ट बनाम अनिल पटेल, कम्प्यूटर ऑपरेटर थाना कटेरा जनपद झॉसी के विरुद्ध पंजीकृत कराया गया। जिसकी विवेचना क्षेत्राधिकारी नगर, झॉसी द्वारा सम्पादित की जा रही है। क्षेत्राधिकारी नगर, झॉसी के निर्देश पर दिनांक 13 मई २०२१ को याची अनिल पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
चूंकि याची अनिल पटेल, उ०प्र० पुलिस विभाग में सरकारी कर्मचारी है, जिनके द्वारा उपरोक्त आपराधिक कृत्य करते हुये पुलिस की छवि धूमिल हुई है। अतः इनके विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया गया, जिसके फलस्वरूप प्रश्नगत प्रकरण की प्रारम्भिक जॉच क्षेत्राधिकारी लाइन, को आवंटित करते हुये, याची को दिनांक 1३ मई 2021 को उक्त आरोप में तत्कालीन प्रभाव से निलम्बित किया गया। तत्पश्चात् याची को दिनांक 05 अप्रैल 2022 को प्रचलित विभागीय कार्यवाही / पंजीकृत अभियोग पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले तत्कालीन प्रभाव से बहाल किया गया। जाँचकर्ता अधिकारी द्वारा प्रश्नगत प्रकरण की प्रारम्भिक जॉच करते हुये अपनी जॉच आख्या प्रस्तुत की गयी, जिसमें याची को वादिया मुकदमा कुमारी नीलम श्रीवास से प्रेम प्रंसग होने तथा शादी का आश्वासन दे कर नशील दवा खिलाकर अपने इलाईट स्थित कमरे पर ले जा कर शारीरिक सम्बन्ध बनाने के कारण उक्त मुकदमा पंजीकृत होना तथा जेल जाने के साथ ही साथ पुलिस जैसे अनुशासित बल में रहते हुये, उ०प्र० आचरण नियमावली-1956 का उल्लंघन कर आपराधिक कृत्य कर के पुलिस की छवि धूमिल करने का दोषी पाया गया। तत्पश्चात् पुलिस महानिदेशक, उ०प्र० लखनऊ के आदेश में निहित निर्देशों के अनुपालन में प्रश्नगत जाँच आख्या पर याची के विरुद्ध उ०प्र० अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली-1991 के नियम-14(1) के अन्तर्गत विभागीय कार्यवाही किये जाने का निर्णय लेते आदेश दिनांक 07 जुलाई 2021 द्वारा प्रश्नगत विभागीय कार्यवाही अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण जनपद झाँसी को आवंटित की गयी। कम्प्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए याची अनिल कुमार पटेल के विरूद्ध उक्त आरोपों के सम्बन्ध में उ०प्र० अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम-14(1) के अन्तर्गत आरोप पत्र प्रेषित करने के पश्चात् विभागीय कार्यवाही पीठासीन अधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण जनपद झांसी द्वारा सम्पादित की गयी एवं दिनांक 12 दिसम्बर 2022 को जॉच रिपोर्ट वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, झांसी को प्रेषित की गयी, जिसमें याची को कम्प्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए को सेवा से हटाये जाने की संस्तुति की गयी। बर्खास्तगी आदेश के विरूद्ध याची ने विभागीय अपील पुलिस उपमहानिरीक्षक, झॉसी परिक्षेत्र, झॉसी के समक्ष प्रेषित की। पुलिस उपमहानिरीक्षक, झॉसी परिक्षेत्र, झॉसी द्वारा याची की अपील दिनांक 09 जून 2023 को निरस्त कर दी गयी गई। बर्खास्तगी आदेश एवं अपीलीय आदेश को याची ने रिट याचिका दाखिल करते हुये हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं आर्या गौतम ने सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसलों का हवाला देते हुये यह तर्क दिया कि, जहाँ पर कानूनी प्रकिया का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया गया है, उन परिस्थितियों में यह जरूरी नहीं है कि रिवीजन उच्चाधिकारियों के यहाँ दाखिल किया जाये। उक्त प्रकरण में पीठासीन अधिकारी द्वारा नियम व कानून का पालन नहीं किया गया है तथा बर्खास्तगी आदेश नियम व कानून तथा विधि की व्यवस्था के सिद्धान्तों के विपरीत है। न्यायमूर्ति विकास बुद्धवार ने दोनो पक्षों की बहस सुनने के पश्चात् बर्खास्तगी आदेश एवं अपीलीय आदेश को निरस्त करते हुये याची को सेवा में बहाल करने के आदेश पारित किये है। एकलपीठ ने कहा है कि याची के प्रकरण में सक्षम अधिकारी नये सिरे से परीक्षण करें एवं हाईकोर्ट के आदेश में दी गयी फाइन्डिंग का अवलोकन करने के पश्चात् कानून के तहत आदेश पारित कर सकते है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार कम्पलान्इस को यह निर्देशित किया है कि हाईकोर्ट के उक्त आदेश की की जानकारी से डी०जी०पी० उ०प्र० लखनऊ को दिनांक 15 जनवरी 2026 तक अवगत करायें एवं तद्नुसार हाईकोर्ट के आदेश के आदेश के परिप्रेक्ष्य में अनुपालन सुनिश्चित करायें।
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