यूपी में हुए Special Intensive Revision यानी SIR अभियान में कई अवैध घुसपैठियों के नाम सामने आने पर बरेली में हड़कंप मच गया है। बरेली के शीशगढ़ में कई ऐसे परिवार सामने आए है जो अवैध तरीके से रह रहे है। अब ऐसे लोगों पर प्रशासन एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में जुट गया है। ये लोग आधार कार्ड और पहचान पत्र बनाकर कई चुनाव में वोट भी डाल चुके है, लेकिन SIR अभियान के बाद ऐसे लोग पकड़ में आए हैं। नगर पंचायत शीशगढ़ में जन्म स्थान दर्शाकर जन्म प्रमाणपत्र बनवाने की कोशिश करने वाले कंजड़ जाति के लोगों का मामला जांच में फर्जी निकला है। एसडीएम मीरगंज के निर्देश पर कराई गई जांच में अधिशासी अधिकारी ने पूरे मामले का खुलासा किया है। अब इन आवेदनों के निरस्त होने के साथ ही झूठा हलफनामा देने वालों पर कार्रवाई की तलवार भी लटक गई है। जानकारी के अनुसार बीते सात वर्षों से शीशगढ़ नगर पंचायत क्षेत्र में रह रहे कंजड़ जाति के 9 लोगों ने स्वयं को शीशगढ़ में जन्मा बताते हुए जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के लिए एसडीएम मीरगंज को आवेदन दिया था। एसडीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिशासी अधिकारी शीशगढ़ से रिपोर्ट तलब की। जांच में सामने आया कि आवेदकों का शीशगढ़ में जन्म होना तथ्यहीन है। बताया जाता है कि वर्ष 2018 में कंजड़ जाति के करीब छह परिवार शीशगढ़ के मोहल्ला शेखुपुरा में आकर बसे थे। इन लोगों ने कस्बे के एक व्यक्ति से जमीन खरीदकर स्टांप पेपर पर लिखापढ़ी कर अपना डेरा डाला। वर्तमान में इनके परिवारों के लगभग 40 लोग शीशगढ़ में रह रहे हैं। जब विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान इनका नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में नहीं पाया गया तो इन लोगों में खलबली मच गई। इसके बाद रफ्फन, नगीना, सितारा, शमशुल, मोअज्जम, शौकीन, ताहिर, शहादत और सफन मियां सहित नौ लोगों ने स्वयं को शीशगढ़ में जन्मा बताते हुए जन्म प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर दिया। हालांकि अधिशासी अधिकारी की जांच में यह दावा गलत पाया गया। उत्तराखंड से जुड़ा है पुराना ठिकाना
स्थानीय सूत्रों के अनुसार इन कंजड़ जाति के लोगों के पूर्वज उत्तराखंड के किच्छा क्षेत्र में रहते थे। इसके बाद ये लोग मीरगंज तहसील के गांव सुजातपुर और शाही नगर पंचायत क्षेत्र में भी डेरा डालकर रहे। वर्ष 2018 में इन्होंने शीशगढ़ नगर पंचायत में आकर स्थायी रूप से रहना शुरू किया। सभासद के प्रमाण से बनवाए आधार कार्ड
बताया जा रहा है कि शीशगढ़ में निवास प्रमाण दिखाकर और स्थानीय सभासद के प्रमाण के आधार पर इन लोगों ने आधार कार्ड भी बनवा लिए थे। इतना ही नहीं, नगर पंचायत चुनावों में इन लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग भी किया। लेकिन जैसे ही एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई, मामला संदेह के घेरे में आ गया। झूठे हलफनामे पर कार्रवाई संभव
जन्म प्रमाणपत्र के लिए दिए गए आवेदन में इन लोगों ने एसडीएम मीरगंज को झूठा हलफनामा सौंपा था, जिसमें शीशगढ़ को जन्म स्थान बताया गया था। साथ ही हलफनामे में शीशगढ़ के दो गवाहों के हस्ताक्षर भी दर्शाए गए हैं। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि झूठा हलफनामा देने वाले और झूठी गवाही देने वाले दोनों ही कानूनन दोषी हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
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