SGPGI में फैटी लिवर और मोटापे की क्लीनिक शुरू हो गई है। बच्चे और बड़़ों सभी को इलाज मिलेगा। इसकी ओपीडी संस्थान के एडवांस डायबिटीज सेंटर के डी ब्लॉक में हर गुरुवार को चलेगी। लखनऊ के सरकारी संस्थानों में शुरू होने वाली ये पहली क्लीनिक है। SGPGI निदेशक डॉ.आरके धीमान ने गुरुवार को क्लीनिक का उदघाटन किया। डॉ.आरके धीमान ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार स्वास्थ सर्वेक्षण की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 25 फीसदी भारतीय मोटापे से परेशान हैं। बच्चों में बढ़ रहा मोटापा और फैटी लिवर एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ.सुभाष यादव ने बताया कि फैटी लिवर और मोटापे की जद में बच्चे और किशोर तेजी से आ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह बाजार का अधिक कैलोरी और वसा युक्त भोजन का सेवन है। इसमें फाइबर, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट की कमी होती है। साथ ही कम शारीरिक गतिविधियां और लगातार कई घंटे तक बैठकर काम करना शामिल है। मोटापा शरीर को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी बनाता है। ये मधुमेह का कारण बनता है। लिवर में जमा वसा, सूजन, लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनती है। इसके अलावा फैटी लिवर और मोटापे से हृदय और गुर्दा रोग व स्ट्रोक का कारण बनता है। संस्थान के सीएमएस डॉ. देवेन्द्र गुप्ता ने बताया कि हफ्ते में एक दिन चलने वाली क्लीनिक में सिर्फ फैटी लिवर और मोटापे से परेशान रोगियों को समुचित इलाज मिलेगा। नई दवाओं से कम होगा मोटापा हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ.अमित गोयल ने बताया कि मोटे लोगों को शरीर में वसा व खून की जांच के अलावा अल्ट्रासाउंड और फाइब्रो स्कैन कराना चाहिए। जल्द जांच से लिवर की फाइब्रोसिस का पता चलने पर इसे काबू किया जा सकता है। वजन नियंत्रित, नियमित व्यायाम,संयमित आहार व दवाओं की मदद से वज़न को कम किया जा सकता है। वजन कम करने वाली कई नई दवाएंओं को मंज़ूरी मिली है। ये दवाएं इन रोगियों के लिए नई उम्मीद जगा सकती हैं।
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