‘मरीजों को वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी देने के साथ SGPGI अब वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस कर रहा है। संस्थान के पैथोलॉजी विभाग से लेकर न्यूरो सर्जरी विभाग का कम्पलीट डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। इससे जांच के दौरान तैयार सभी तरह की स्लाइड कम्पलीट डिजिटल फॉर्मेट में मौजूद रहेगी। जिससे AI के जरिए मरीजों को बेस्ट मेडिकल केयर मुहैया कराई जा सके।’ ये कहना है SGPGI के निदेशक पद्मश्री डॉ. आरके धीमन का। यूपी के इस टॉप मेडिकल संस्थान ने 42वां स्थापना दिवस मनाया है। इस मौके पर दैनिक भास्कर ने उनसे खास बातचीत कर आगे के लक्ष्य के बारे में जाना। उन्होंने कहा कि हर तरह के सोफिस्टिकेटेड ऑपरेशन और ट्रीटमेंट संस्थान में करने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि कोई भी पेशेंट हाई एंड ट्रीटमेंट के लिए प्रदेश से बाहर न जाए। पढ़िए बातचीत के मुख्य अंश… सवाल: एक और साल स्थापना वर्ष के पूरे हुए। 42 साल के इस सफर को इसे कैसे देखते हैं? जवाब: हमारे लिए आने वाला हर नया साल एक चैलेंज की तरह होता है। हम कैसे आगामी वर्ष संस्थान को कितनी ऊंचाई पर ले जा सकें। संस्थान के मुख्य तीन पिलर हैं। एक- पेशेंट केयर। दूसरा- टीचिंग एंड ट्रेनिंग और तीसरा- रिसर्च वर्क। पेशेंट केयर में हम लंबे समय से हाई एंड सर्विसेज दे रहे हैं। आगे भी हमें इसी पर फोकस करना है। बहुत जल्द इसमें 3 नए प्रोजेक्ट जुड़ रहे हैं। इनमें गामा लाइफ, रोबोटिक्स और टेली ICU है। इन सभी से मकसद पेशेंट को टॉप क्लास मेडिकल फैसिलिटी देना है। हमारा लक्ष्य यही रहता है कि जो पिछले साल किया उससे कम से कम डेढ़ गुना या दो गुना आगे बढ़कर काम किया जा सके। टीचिंग के क्षेत्र में कई नए DM और MCH प्रोग्राम आए हैं। इससे हम ज्यादा से ज्यादा सुपर स्पेशियलिटी फील्ड को कवर कर सकेंगे। सवाल: क्या आपको लगता है कि SGPGI अब ‘एक्सीलेंस के एट पार’ पर आ चुका है? जवाब: इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमने कई बेहतरीन मुकाम हासिल किए हैं, लेकिन सफर अभी यहां रुकता नहीं है। आगे बहुत कुछ करना है। AI के जरिए हम इफेक्टिवनेस को मैक्सिमम लेवल पर ले जाना चाहते हैं। SGPGI के सभी डिपार्टमेंट को हम डिजिटाइज्ड करने जा रहे है। जिससे हम न केवल किसी मरीज का ट्रीटमेंट कर सकें, बल्कि उसके पूरे ट्रीटमेंट को ट्रैक भी कर सकेंगे। पेशेंट केयर को हम वर्तमान के लेवल से ऊपर लेकर जा रहे है। अभी हम टर्शियरी केयर सेंटर के तौर पर काम कर रहे हैं। अब संस्थान को क्वाटरनरी केयर सेंटर के रूप में लेकर जाना है। यहां तक की हर तरह के सोफिस्टिकेटेड ऑपरेशन और ट्रीटमेंट इसी संस्थान में कर सकें। ताकि कोई भी पेशेंट हाई एंड ट्रीटमेंट के लिए प्रदेश से बाहर न जाए और देश से भी बाहर न जाए। इसमें एक बात में और जोड़ रहा हूं कि SGPGI में इलाज के लिए विदेश से पेशेंट आए। सवाल: प्रदेश के बाकी संस्थान भी तेजी से कई ट्रांसप्लांट शुरू करने जा रहे हैं। आपके तीन बड़े प्रायोरिटी प्रोजेक्ट क्या हैं? जवाब: इस समय बच्चों के कॉन्जीनाइटल हार्ट डिजीज से जुड़े सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। हर साल 70000 बच्चे उत्तर प्रदेश में हार्ट के गंभीर बीमारियों के साथ जन्म लेते हैं। इनके इलाज के लिए अब तक राज्य में कोई बड़ा केंद्र मौजूद नहीं था, बल्कि पूरे देश में इस स्तर का ऐसा कोई सेंटर नहीं है। हमने SGPGI में इसके लिए सलोनी हार्ट फाउंडेशन के सहयोग से सेंटर स्थापित किया है। पहले फेस में 30 बेड से शुरुआत हुई है। 6 ICU के बेड है और एक OT है। महज एक साल में ऐसे 300 ऑपरेशन किए हैं। इसके सेकेंड फेज में अब 200 बेड का नया सेंटर आ रहा है। जिसमें 50% से ज्यादा ICU बेड होंगे और हर साल 5000 जटिल सर्जरी की जा सकेंगी। दूसरा बड़ा सेंटर भी बच्चों से जुड़ा है। एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर नाम के प्रोजेक्ट में 24 विभाग और 575 बेड होंगे। अक्टूबर 2026 तक इसे स्टार्ट करने का हमारा लक्ष्य है। AI की हेल्थकेयर के सेक्टर में भूमिका बियॉन्ड इमेजिनेशन है। एक लाख मरीजों के डेटा को AI के यूज से जो निष्कर्ष निकलेगा, वो मरीजों के इलाज और उन्हें नया जीवन देने में सहायक होगा। यही कारण है कि हेल्थकेयर और फॉर एडमिनिस्ट्रेशन दोनों में ही एआई को पूरी तरीके से लागू किया जा रहा है। सवाल: स्थापना दिवस से पहले आप हर साल रिसर्च डे और एलुमिनाई मीट करवा रहे हैं। संस्थान के एलुमिनाई की एक लंबी लिस्ट है। एलुमिनाई फंडिंग के मामले में संस्थान कमजोर है। इस दिशा में आप क्या कदम उठा रहे हैं? जवाब: आपकी बात सही है कि अभी इस मामले में हम कमजोर हैं, पर साल दर साल इस क्षेत्र में भी हम तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। पहले जो फंडिंग हजारों में आती थी, अब वह लाखों और करोड़ों तक पहुंच चुकी है। आने वाले सालों में इसमें और तेजी से इजाफा किया जाएगा। सवाल: राष्ट्रीय स्तर पर क्या कुछ बड़े लक्ष्य आपने निर्धारित कर रखे हैं? जवाब: मेडिकल संस्थान को क्वाटरनरी लेवल पर लेकर जाना एक बड़ी पहल है। इसको ऐसे समझिए कि न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में पहले ओपन सर्जरी होती थी, अब एंडोस्कोपिक सर्जरी हो रही है। चाहे वह ब्रेन की हो या फिर स्पाइन की। हम उसे संस्थान में संभव करेंगे। स्टेम सेल थेरेपी भी लेकर आ रहे हैं। करीब 14 करोड़ की लागत से जीनोम सीक्वेंसिंग लैब भी तैयार हो रही है। इससे जीन थेरेपी और जीन रिपेयर भी किया जा सकेगा।
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