जौनपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक ‘हिन्दू सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सिरकोनी के कुद्दूपुर में संपन्न हुआ, जिसमें वक्ताओं ने जाति-भेद मिटाकर भारत को विश्व गुरु बनाने पर जोर दिया। सम्मेलन की अध्यक्षता नेवादा ग्राम सभा के केशव कुमार सिंह ने की। मुख्य वक्ता तरुण शुक्ला थे, जबकि गोधना से डॉ. रुपम सिंह और अरविंद प्यारेलाल जैसे अन्य अतिथि मंच पर उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रहलाद कुमार सिंह ने किया। अपने संबोधन में अध्यक्ष केशव कुमार सिंह ने कहा कि जब हम जाति-भेद और छुआछूत को छोड़कर स्वयं खड़े होंगे, तभी दुनिया को संभालने में सक्षम होंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो स्वयं खड़ा नहीं हो सकता, वह गिरे हुए को उठाने की क्षमता भी नहीं रखेगा। मुख्य वक्ता तरुण शुक्ला ने वर्तमान वैश्विक चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया अनैतिकता, अधर्म, अन्याय, युद्ध, जल और पर्यावरण संकट से जूझ रही है। ऐसी स्थिति में हिंदू समाज का यह दायित्व बनता है कि वह धर्म को आधार बनाकर मानवता के रक्षक के रूप में खड़ा हो। इतिहास का स्मरण कराते हुए शुक्ला ने बताया कि दुनिया के कई देशों ने शक्ति के बल पर शोषण, दमन और गुलामी का रास्ता अपनाया, जबकि भारत ने कभी ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि भारत के राजाओं, संतों, ऋषियों और महापुरुषों ने हमेशा मानवता, करुणा और समरसता का मार्ग दिखाया है। देखें 2 तस्वीरें शुक्ला ने स्पष्ट किया कि विश्व गुरु बनने का अर्थ सत्ता या प्रभुत्व नहीं, बल्कि हिंदू धर्म, हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति के श्रेष्ठ मूल्यों को जीवन में उतारना है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हिंदू अपने ‘भाव’ को भूल गए, तो संकट निश्चित हैं। उन्होंने संघ गीत की पंक्तियां उद्धृत कीं: “हिंदू भाव को जब-जब भूले, आयी विपद महान।” उन्होंने यह भी चेताया कि जाति, मजहब, भाषा और राजनीति के नाम पर आपसी संघर्ष ही भारत की कमजोरी रही है, जिसका लाभ बाहरी शक्तियों ने हमेशा उठाया है। इस अवसर पर खंड संघ चालक सिरकोनी आशुतोष मिश्र, खंड कार्यवाह सिरकोनी हर्ष सिंह, वीरेंद्र सिंह, लक्ष्मी शंकर सिंह सहित कई क्षेत्रवासी मौजूद रहे।
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