मुजफ्फरनगर में रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल (RDF) के उपयोग को लेकर किसानों और पेपर मिल मालिकों के बीच गतिरोध एक महीने के लिए टल गया है। सोमवार को हुई बैठक में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद एक महीने की मोहलत पर सहमति बनी। यह बैठक मुजफ्फरनगर के कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई थी। इसमें भोपा रोड और जौली रोड के किसान, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के कार्यकर्ता, पेपर मिल मालिक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। मुख्य मुद्दा पेपर मिलों में RDF जलाने का था। बैठक की शुरुआत में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया कि मुजफ्फरनगर में बाहर से कोई कचरा नहीं लाया जाएगा और न ही इसे मिलों में जलाया जाएगा। उन्होंने प्रदूषण के मुद्दे पर किसानों की चिंताओं को सामने रखा। इसके जवाब में उत्तर प्रदेश पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने कहा कि RDF के बिना पेपर मिल चलाना मुश्किल है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दबाव में मिलें चलानी पड़ीं, तो वे मिलों की चाबियां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप देंगे। इस बयान का सभी मिल मालिकों ने समर्थन किया। पंकज अग्रवाल के बयान पर राकेश टिकैत ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि बाहर का कचरा मुजफ्फरनगर की सीमा में घुसा, तो किसान भाला मारकर ट्रकों के टायर फाड़ देंगे। इस बयान के बाद बैठक में तनाव बढ़ गया। तनावपूर्ण माहौल के बावजूद, अंततः एक महीने की मोहलत पर सहमति बनी। राकेश टिकैत ने जिला प्रशासन से इस मामले में आगे की कार्रवाई करने को कहा। ये सुनकर अधिकारी एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ, जिसके बाद स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एई कुंवर संतोष कुमार ने माइक थामकर माहौल शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कचरे और आरडीएफ के अंतर को शांतिपूर्ण तरीके से समझाया। बताया कि कूड़ा साफ करके आरडीएफ तैयार किया जाता है, जिसे जलाने के लिए फैक्ट्रियों तक पहुंचाया जाता है। अमित गर्ग की मोहलत वाली अपील किसानों और मिल मालिकों के बीच उत्पन्न हुए विवाद पर सिल्वरटोन के मालिक और वरिष्ठ व्यापारी नेता अमित गर्ग ने बीच-बचाव किया। कहा, “पेपर मिल मालिकों को एक महीने का समय दिया जाए। समस्याओं का निस्तारण किया जाएगा, सुधार किए जाएंगे।” पंकज अग्रवाल समेत सभी मिल मालिकों ने भी एक महीने का समय मांगा। एक महीने की मोहलत, अगली बैठक 2 फरवरी अंत में सहमति बनी कि अगली बैठक 2 फरवरी को होगी। तब तक दोनों पक्ष अपनी-अपनी कमेटियां बनाएंगे। राकेश टिकैत ने इलाके के गणमान्य ग्रामीणों की कमेटी गठित की, जो मिलों पर नजर रखेगी और सुधारों का विश्लेषण करेगी। मिल मालिकों ने भी कमेटी बनाई, जो आरोपों के निस्तारण के प्रयासों को अंजाम देगी। किसान दिवस पर काली राख का प्रदर्शन बैठक में किसानों ने काली राख/छाई से लबालब केले का पत्ता और गन्ने की पत्ती लाकर रख दी। जहां पत्तियां रखी गईं, वहां सब काला हो गया। एडीएम को अपनी डायरी तक साफ करनी पड़ी। पंकज अग्रवाल समेत अन्य को हाथ साफ करने पड़े। ये स्थिति देखकर हर कोई हैरान रह गया। पेपर मिल मालिकों की बोलती बंद हो गई और माना कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है, जिसे सुधारा जाना जरूरी है। प्रभात कुमार को बैठक से दूर रखा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया-किसानों पर ‘हमला’ करने वाले आरामको पेपर मिल मालिक प्रभात कुमार (वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केपी मलिक के रिश्तेदार) को इस बैठक से दूर रखा गया। सूत्रों के मुताबिक, फजीहत से बचने के लिए मिल मालिकों ने ही उन्हें बाहर रखा। बैठक में एडीएम प्रशासन, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम, भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, जिला अध्यक्ष नवीन चौधरी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। प्रदूषण का खतरनाक स्तर मुजफ्फरनगर में AQI लगातार खतरनाक स्तर पर है। पेपर मिलों से निकलता धुआं और स्लज मुख्य वजह है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। पेपर मिल मालिकों की लापरवाही और अनदेखी के कारण लोगों को खुद सड़क पर उतरना पड़ा और शायद ये ही वजह है कि मुजफ्फरनगर में प्रदूषण के खिलाफ पहली बार इतना बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। किसान और ग्रामीण प्रदूषण से त्रस्त हैं। एक महीने की मोहलत मिली है, लेकिन क्या सुधार होंगे? क्या मिल मालिक वादे निभाएंगे? या फिर फिर वही पुरानी कहानी कि प्रदूषण बढ़ेगा, लोग बीमार पड़ेंगे और माफिया जेब भरते रहेंगे?
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