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PCS अफसर के बच्चों के बाद पत्नी की भी मौत:अंगीठी जलाकर सोए थे; साला-साली समेत 3 की हालत गंभीर

बिहार के छपरा में अंगीठी कांड में मरने वालों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है। सोमवार को यूपी के PCS अफसर विजय सिंह की पत्नी अमीषा की भी पटना के रूबन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह पिछले 3 दिन से अस्पताल में भर्ती थीं। उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। शुगर लेबल बढ़ गया था और बीपी काफी लो हो गया था। इससे पहले 26 दिसंबर को PCS अफसर के बेटा-बेटी समेत तीन बच्चों और उनकी सास की मौत हो चुकी है। जबकि 3 लोगों की हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है। दरअसल, ठंड से बचने के लिए बंद कमरे में अंगीठी जलाकर कमलावती, उनकी दो बेटियां अमीषा, आर्या, बेटा अमित और दोनों बेटियों के 3 बच्चे सो रहे थे। अंगीठी से निकले धुएं से नानी और 3 बच्चों की मौत 26 दिसंबर की देर रात ही हो गई थी। कमलावती के बेटे अमित, दूसरी बेटी आर्या और बड़ी बहू अमृता की हालत गंभीर बनी है। PCS अफसर ने 27 दिसंबर को दो बच्चों का अंतिम संस्कार किया था
विजय कुमार सिंह वाराणसी के जिला सहकारी पदाधिकारी हैं। 27 दिसंबर को विजय सिंह ने अपने दोनों बच्चों (बेटा-बेटी) का अंतिम संस्कार किया था। अब उनकी पत्नी की भी मौत हो गई। बच्चों की मौत पर टूट चुके विजय कुमार सिंह ने कहा था कि मेरा सब कुछ उजड़ गया। बच्चे ही नहीं रहे, तो हम जिंदा रहकर क्या करेंगे। मैं तो दोनों बच्चों के स्कूल में एडमिशन की तैयारी कर रहा था। आज ड्रेस की जगह कफन उठा रहा हूं…। अब छपरा सदर अस्पताल में बिलखते PCS अफसर की तस्वीरें… समझिए कैसे धुआं जहर बनकर मौत की वजह बना बिहार के छपरा में अंगीठी जलाकर सो रहे एक परिवार के 8 लोगों की हालत खराब हो गई थी। इसमें 3 बच्चों और उनकी नानी की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि, गंभीर स्थिति में 4 लोगों को पटना के रूबन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। छोटी बहन अंजलि को 28 दिसंबर (रविवार) की सुबह होश आया था, लेकिन फिर से बेहोश हो गईं। वहीं, भाई अमित को वेंटिलेटर पर खा गया है। भाभी अमृता के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। वह होश में आ गई हैं। लेकिन, सोमवार को PCS अफसर की पत्नी अमीषा की मौत हो गई। अमीषा के अलावा हादसे में मरने वालों में 3 साल के तेजस, 4 साल की अध्याय, 7 महीने की गुड़िया और 70 साल की कमलावती देवी शामिल हैं। तेजस और अध्याय सगे भाई बहन है, जबकि गुड़िया मौसेरी बहन थी। कमलावती देवी इन बच्चों की नानी थीं। वहीं, अमीषा, आर्या और अमित सगे भाई-बहन थे। अमृता इनकी भाभी हैं। तेजस और अध्याय, अमीषा और विजय सिंह के बच्चे थे, जबकि गुड़िया आर्या देवी की बेटी थी। परिजन ने बताया घटना की रात क्या हुआ? पटना हॉस्पिटल पहुंचे अमित के भाई मंटू सिंह से हमने बात की। मंटू सिंह ने हमें बताया कि अमीषा वाराणसी में रहती थीं। अमीषा के पति वाराणसी में ही जिला सहकारी पदाधिकारी हैं। 23 दिसंबर को बच्चों और अमीषा को लेकर छपरा आए थे। वह फिर वापस चले गए थे। अमीषा के बच्चों को थोड़ी ठंड लग गई थी। उन्हें फीवर आ गया था। छपरा में ही एक डॉक्टर से चेकअप कराया था। डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं और ठंड से बचने की सलाह दी थी। 26 दिसंबर की शाम खाना खाने के बाद सभी सोने जाने लगे। तभी ठंड से बचाव के लिए मां ने अंगीठी जला दी। उसमें धान का भूसा और गोबर के उपले जला दिए, ताकि देर तक आग जलती रहे। रात 10 बजे मैं और मेरी पत्नी दूसरे कमरे में सोने चले गए। वहीं, मेरे भाई अमित, मेरी मां, मेरी दोनों बहनें और उनके बच्चे एक हॉल में सो गए। अगले दिन सुबह काफी देर तक कोई नहीं उठा तो मैंने सोचा कि आज ठंड ज्यादा है। इसलिए नींद आ गई होगी। जब काफी देर तक कोई नहीं उठा तो पहले मैंने अपने भाई को फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। फिर मेरी पत्नी कमरा खोलने गई तो पूरा कमरा धुएं से भरा था। जब दरवाजा खुला तो धुआं बाहर निकलने लगा और मेरी पत्नी भी बेहोश हो गई। हादसे के बाद की 2 तस्वीरें…. पड़ोसी की मदद से पहुंचाया अस्पताल, फिर पटना रेफर घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे पड़ोसी नीरज गंभीर हालत में सभी को इलाज के लिए पटना लेकर आए थे। नीरज ने बताया कि हमने घर के अंदर घुसकर देखा तो बच्चों और अमित की मां की मौत हो गई थी। हम जल्दी-जल्दी में अमित, उनकी भाभी और उनके दोनों बहनों को छपरा सदर अस्पताल में ले गए। जहां डॉक्टरों ने सभी को पटना रेफर कर दिया। बच्चों का शव देख फफक कर रो पड़े थे पिता घटना की सूचना मिलते ही PCS अफसर विजय सिंह छपरा सदर अस्पताल पहुंचे थे। अस्पताल में अपने बच्चों की लाश देखकर वह फफक कर रोने लगे थे। बार-बार कफन हटाकर अपने बच्चों का चेहरा देखते रहे थे। रोते हुए उन्होंने कहा था कि मैं ही उन्हें यहां छोड़कर गया था। जब जाने लगा था तो बेटा मेरा बैग देखकर कहने लगा कि इसमें चिप्स रखा है। पापा मुझे चिप्स खानी है। मैंने मना किया कि चिप्स नहीं खाया जाता, तो वह जिद करने लगा था। फिर मैंने कहा था कि अब आऊंगा तो चिप्स लेकर आऊंगा। गहरी नींद के कारण घुटन महसूस नहीं हुई अंगीठी से निकलने वाली कार्बन मोनोआक्साइड (CO) गैस रंगहीन और गंधहीन होती है। यह गैस धीरे-धीरे पूरे कमरे में फैलती जा रही थी। सोते हुए लोगों को इसका एहसास नहीं हो रहा था। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, अंगीठी सुलगती रही। कमरे की ऑक्सीजन धीरे-धीरे कम होती चली गई और जहरीली गैस हवा में घुलती रही। करीब आधी रात के बाद बच्चे गहरी नींद में थे। 7 महीने की गुड़िया मां के पास सो रही थी। तेजस और अध्याय बिस्तर के दूसरे हिस्से में थे। नानी पास ही लेटी थीं। किसी को खांसी नहीं आई और न ही किसी ने बेचैनी महसूस की, क्योंकि CO गैस पहले दिमाग पर असर करती है। फिर इंसान सुस्त होता चला जाता है और गहरी नींद में चला जाता है। नानी के घर आए थे PCS अधिकारी के मासूम बच्चे अंजली की शादी बक्सर में विजय सिंह से हुई थी। विजय सिंह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जिला सहकारी पदाधिकारी हैं। ठंड की छुट्टियों में बच्चों को ननिहाल लाने का मकसद यही था कि बच्चे नानी के साथ समय बिता सकें। अब जानिए ठंड में बंद कमरे में अंगीठी जलाने से कैसे होती है मौत हर साल ठंड में इस तरह की घटनाएं देशभर से आती है। ठंड के मौसम में अंगीठी, सिगड़ी या हीटर जलाना कॉमन है। इससे गर्माहट जरूर रहती है, लेकिन जरा सी लापरवाही जान को जोखिम में डाल सकती है। इससे दम घुट सकता है। जानिए किस तरह कि लापरवाही अंगीठी जलाने को जानलेवा बना सकती है। सवाल: अंगीठी की वजह से क्या-क्या परेशानी हो सकती हैं? जवाब: इससे ये 6 परेशानी हो सकती हैं- सवाल: हीटर, ब्लोअर या अंगीठी में कौन सबसे कम नुकसानदेह है? जवाब: यह सवाल अक्सर ठंड से पहले आकर लोग पूछते हैं। हकीकत में ये बात मायने नहीं रखती कि कौन-सा साधन कम नुकसानदेह और कौन सा ज्यादा। समझना यह है कि जिस जगह आप इन चीजों को यूज कर रहे हैं वहां वेंटिलेशन की सुविधा जरूर हो। ऐसा नहीं है तो तीनों से खतरा है। सवाल: अंगीठी का धुआं आंखों को किस तरह नुकसान पहुंचाता है? जवाब: आंखों के स्वस्थ रहने के लिए उनका गीला रहना बहुत जरूरी होता है, लेकिन अंगीठी की वजह से हवा में मौजूद नमी सूख जाती है, जिसकी वजह से आंखें भी सूखने लगती हैं। ऐसे में आंखों में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। इसके अंगीठी कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मा पहनने वालों की आंखों को भी इससे एलर्जी और दूसरी समस्या हो सकती है। सवाल: अगर अंगीठी के धुएं की वजह से शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाए तब क्या होता है? जवाब: ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने के बाद व्यक्ति को एस्फिक्सिया होता है। एस्फिक्सिया दिल, दिमाग और दूसरे हिस्सों में ऑक्सीजन की सप्लाई को कम कर देता है। जब दिल को कम खून सप्लाई होता है तब दूसरे टिशू सही मात्रा में ब्लड पंप करने में असमर्थ होते हैं। इस वजह से कार्डियक अरेस्ट होता है। इस स्थिति में पेशेंट को बिना देर किए ट्रीटमेंट देना चाहिए।


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